ओली के बचे रहने में ‘चीनी हाथ’

Edited By ,Updated: 17 Jul, 2020 04:58 AM

oli s chinese hand in survival

जम्मू -कश्मीर में आतंकवाद को उकसाने तथा उसके प्रोत्साहन में पाकिस्तान का हाथ होने से सभी भली-भांति परिचित हैं, मगर अभी हाल ही में नेपाल की राजनीति में चीनी हाथ घुसता हुआ दिखाई दिया जिसने नि:संदेह नेपाली प्रधानमंत्री के.पी. ओली को बचने में मदद की...

जम्मू -कश्मीर में आतंकवाद को उकसाने तथा उसके प्रोत्साहन में पाकिस्तान का हाथ होने से सभी भली-भांति परिचित हैं, मगर अभी हाल ही में नेपाल की राजनीति में चीनी हाथ घुसता हुआ दिखाई दिया जिसने नि:संदेह नेपाली प्रधानमंत्री के.पी. ओली को बचने में मदद की जिन्हें त्यागपत्र देने के लिए उनकी अपनी ही पार्टी यानी कम्युनिस्ट पार्टी नेपाल (सी.पी.एन.) की स्थायी समिति के अधिकतर सदस्यों द्वारा दर-किनार कर दिया गया था। ओली ने आरोप लगाया था कि स्थानीय ताकतों की मदद से उन्हें अस्थिर करने के लिए भारत जोड़़-तोड़  कर रहा है। 

विरोधी नेपाली कांग्रेस सहित विभिन्न ताकतों के साथ निरंतर बातचीत के परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री ओली स्थायी समिति के सदस्यों,जैसे कि पूर्व प्रधानमंत्री एवं सी.पी.एन. के चेयरमैन पुष्प कमल दहल (प्रचंड), माधव नेपाल, जलनाथ दहल आदि के प्रयासों को विफल करने के लिए निरंतर समय आगे बढ़ाते जा  रहे हैं। इन लोगों ने ओली पर देश के लोगों के मामले में असफल रहने का आरोप लगाने के अतिरिक्त कोविड-19 के संकट से निपटने में विफल रहने का भी आरोप लगाया। संसद तथा देश की सर्वोच्च इकाई की बैठक को टालने के लिए ओली के जोड़-तोड़ ने उसके विरोधियों को एक अस्थायी चोट पहुंचाई है। विदेश नीति के विशेषज्ञों की राय है कि ओली के अल्पकालिक बचाव के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं जो मुख्य रूप से स्पष्ट तथा व्यावहारिक तौर पर चीनी दखलअंदाजी से संबंधित हैं और साम्यवादी नेताओं को एक कड़ी चेतावनी है कि वे पार्टी में विभाजन से बचें। 

समीक्षक तथा खुफिया सूत्र एक राय हैं कि सी.पी.एन. के सदस्यों द्वारा ओली को बाहर का रास्ता दिखाने से बचाने में चीन के राजदूत के रूप में चीनी हाथ संबंधी विश्वसनीय रिपोर्टें सही हैं। विशेषकर जब वह राष्ट्रपति बिद्या भंडारी तथा वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेताओं से मिली ताकि उन्हें वर्तमान संकट का सामना करने के लिए मार्गदर्शन दिया जा सके। भारत के साथ सीधे झगड़े तथा इसके तीन क्षेत्रों को दिखाने वाले नक्शे को पुन: बनाने का निर्णय लेने के ओली के निर्णय के पीछे उसे एक ताकत माना जा रहा है। 

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि चीनी राजदूत ने वरिष्ठ साम्यवादी नेताओं को पेईचिंग के इकट्ठे रहने और पार्टी में किसी में किसी भी कीमत पर विभाजन से बचने के लिए निर्देश सुनाए ताकि पड़ोसी भारत को उसका कोई लाभ न पहुंच सके। सेवानिवृत्त मेजर गौरव आर्य ने दावा किया कि नेपाली प्रधानमंत्री काठमांडू चीनी दूतावास द्वारा ‘हनी ट्रैप’ कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि चीन के पास वीडियो भी है। आर्य ने अपनी बात को नेपाल में चीन की राजदूत होऊ यांकी के एक चित्र के साथ सिद्ध करने का प्रयास किया और कहा कि ओली पर उनका नियंत्रण है। यही कारण है कि जब चीन ने नेपाल के गांवों को हड़प लिया तो ओली कुछ नहीं बोले। इसी वर्ष पहले काठमांडू में चीनी दूतावास में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में होऊ यांकी को लहंगा-चोली तथा एक लोकप्रिय नेपाली गीत पर नृत्य करते देखा गया था। 

नेपाली केबल प्रदाता भी कुछ भारतीय टी.वी. चैनलों से खफा हैं और इसलिए उन्होंने इन भारतीय समाचार चैनलों को ब्लैक आऊट करने का निर्णय किया। इसकी वजह भारतीय मीडिया द्वारा नेपाली प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली तथा चीनी राजदूत पर कटाक्ष किए जाने संबंधी भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स को लेकर देश में जनाक्रोष था। नेपाल में सबसे बड़े स्वतंत्र केबल टैलीविजन सेवा प्रदाता मैगा मैक्स टी.वी. के वाइस चेयरमैन ध्रुबा शर्मा ने कहा कि चूंकि भारतीय समाचार चैनलों ने पत्रकारिता के आचार-विचार का उल्लंघन किया है। इसलिए उन्होंने दूरदर्शन के अतिरिक्त कोई अन्य चैनल प्रसारित नहीं करने का निर्णय किया है। नेपाली पत्रकारों के संग तथा नेपाल प्रैस कौंसिल ने भी इन भारतीय टी.वी. चैनलों की आलोचना की है जिन्होंने चीनी राजदूत को नेपाली राजनीति में घसीटा। 

विशेषज्ञों का कहना है कि ओली के बचने में योगदान देने वाले अन्य कई कारक हैं जिनका नेपाल की राजनीति में महत्व तथा प्रासंगिकता है। पहला कम्युनिस्ट पार्टी नेपाल में विभाजन के आरोपों को दर-किनार करने के प्रयास में ओली के विरोधियों ने प्रधानमंत्री के साथ कई दौर की वार्ता की क्योंकि वे तोड़-फोड़ करने वालों के तौर पर नहीं देखा जाना चाहते थे। विरोधी नेता प्रचंड ने ओली को सम्मानपूर्वक छोडऩे के लिए मनाने का प्रयास किया मगर उन्होंने ज्यादा कड़ाई नहीं दिखाई जिसके परिणामस्वरूप स्थायी समिति की बैठक 17 जुलाई के लिए टल गई तथा ओली की कहानी को समाप्त करने के लिए एक निर्णायक झटका हो सकती है क्योंकि विपक्षी लगभग अपनी सहन शक्ति खो चुके हैं। दूसरे, विरोधी साम्यवादी नेता नेपाल में ‘भारत विरोधी’ भावनाओं को लेकर सतर्क हैं और इसलिए वह यह आभास नहीं देना चाहते कि उनकी भारत सरकार के साथ सहानुभूति है। विशेषकर जब ओली ने 28 जून को सार्वजनिक रूप से भारत पर उन्हें अस्थिर करने का आरोप लगाया था। 

तीसरे, प्रचंड-दहल धड़ा शुरू से ही ओली को लेकर संदिग्ध था कि सत्ता से चिपके रहने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसलिए प्रधानमंत्री को सम्मान के साथ पद छोडऩे के लिए एक अन्य अवसर दिया गया। चौथे, ओली सत्ता से चिपके रहने को इतने बेताब हैं कि सी.पी.एन. में विघटन के मामले में उनकी पार्टी का समर्थन प्राप्त करने के लिए उन्होंने नेपाली कांग्रेसी नेता शी बहादुर देऊबा से मुलाकात की जिसने काठमांडू में कइयों को हैरान कर दिया है। नेपाली कांग्रेस के दशकों से भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध हैं लेकिन ओली ने इसकी परवाह नहीं की। हालांकि उन्होंने भारत को एक राजनीतिक दुश्मन बताया जो उन्हें पदच्युत करने पर तुला है। 

पांचवां, समीक्षक महसूस करते हैं कि महामारी तथा प्राकृतिक आपदाओं ने भी ओली के विरोधियों की मानसिकता पर दबाव डाला है कि वह उनके खिलाफ स्थायी समिति में अश्विास प्रस्ताव लाने की जल्दी न करें जिसे संभवत: हिमालयी राजशाही के सामान्य लोग पसंद नहीं करेंगे जिस कारण वे प्रधानमंत्री को अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखते हुए पद छोडऩे के लिए सभी संभावित रास्ते उपलब्ध करवा रहे हैं। विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ओली बचे रहने के अपने बेताब प्रयासों में असफल रहते हैं तो भारत को कुछ राहत मिलेगी जो पहले ही पाकिस्तान जैसे अपने कुख्यात पड़ोसियों से समस्याओं का सामना कर रहा है। भारत पहले ही दोबारा नक्शा बनाने को लेकर ओली से परेशान है जो चीन की शह पर किया गया तथा भारतीय सेना प्रमुख ने भी भारत के आक्रमण तथा सबूतों के आधार पर ऐसी आशंकाएं व्यक्त की हैं। मगर यदि ओली अपने पद पर बने रहते हैं तो निश्चित तौर पर नेपाल तथा भारत के बीच दूरियां और बढ़ेंगी क्योंकि वह भारत  सरकार को अपनी नंबर-1 दुश्मन समझते हैं।-के.एस. तोमर 
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!