बिहार में बच्चों के दाखिले से पूर्व उनके पिता शराब न पीने की शपथ लेंगे

Edited By ,Updated: 11 Mar, 2016 12:53 AM

prior to admission of children in bihar will take oath as his father drinker

देश में शराबनोशी लगातार बढ़ रही है और उसी अनुपात में बीमारियां व अपराध भी बढ़ रहे हैं। इससे बड़ी संख्या में महिलाओं के सुहाग उजड़ रहे हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं तथा देश की जवानी बर्बाद हो रही है।

देश में शराबनोशी लगातार बढ़ रही है और उसी अनुपात में बीमारियां व अपराध भी बढ़ रहे हैं। इससे बड़ी संख्या में महिलाओं के सुहाग उजड़ रहे हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं तथा देश की जवानी बर्बाद हो रही है।

 
परंतु सरकारों ने इस ओर से आंखें मूंद रखी हैं क्योंकि हमारे शासक शराब को नशा ही नहीं मानते। वे इसकी बिक्री से होने वाली भारी-भरकम आय को खोना नहीं चाहते और इसीलिए प्रतिवर्ष इसका उत्पादन बढ़वा देते हैं। आमतौर पर लोगों को शराब से नशे की लत लगती है और जब वे शराब नहीं खरीद पाते तो अन्य सस्ते नशों, कैप्सूलों आदि तथा नकली शराब का सेवन शुरू करके अपना और अपने परिजनों का जीवन तबाह कर बैठते हैं। 
 
 बिहार में गत वर्ष हुए विधानसभा चुनावों से पूर्व शराब के हाथों अपने परिजनों को खो चुकी  महिलाओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शराब पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था और तब श्री नीतीश कुमार ने उनसे वादा किया था कि दोबारा सत्ता में आने पर वह राज्य में शराबबंदी अवश्य लागू करवा देंगे। 
 
अपने वायदे के अनुरूप गत वर्ष 20 नवम्बर को सत्ता में आने के तुरंत बाद 26 नवम्बर को उन्होंने 1 अप्रैल, 2016 से राज्य में देसी शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी क्योंकि 31 मार्च को पुराने ठेके समाप्त होने के बाद 1 अप्रैल से शराब के नए ठेकों की शुरूआत होती है।
 
श्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में शराबबंदी की घोषणा को देखते हुए अब तक 200 शराब विक्रेताओं ने अपनी शराब की दुकान के स्थान पर ‘सुधा’ (बोतलबंद दूध आदि ) के बूथ खोलने के लिए आवेदन किए हैं।
 
अब इसी क्रम में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए लोगों में शराब न पीने के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए राज्य के शिक्षा विभाग ने राज्य के सरकारी प्राइमरी व सैकेंडरी स्कूलों में दाखिला लेने वाले सभी 73,000 के लगभग छात्रों को दाखिला देते हुए उनके पिता से अपने पुत्र या पुत्री के नाम पर यह शपथ पत्र भरवाने का निर्णय किया है कि वे शराब नहीं पीएंगे। 
 
श्री नीतीश कुमार के अनुसार पिताओं से उनके बच्चों के नाम पर यह शपथ पत्र भरवाने से राज्य में शराबबंदी लागू करने में कुछ सहायता अवश्य मिलेगी। उन्होंने निजी स्कूलों के प्रबंधकों से भी ऐसे शपथ पत्र भरवाने का आग्रह किया है।
 
उन्होंने यह भी कहा कि बिहार दूसरे राज्यों में लागू की गई शराबबंदी संबंधी नीति का पालन नहीं करेगा क्योंकि वहां शायद ही उन राज्यों के कायदे-कानून सफल हुए हों। गुजरात जैसे राज्य में तो शराबबंदी के बावजूद शराब की ‘होम डिलीवरी’ होती है। वहां व्यापारी शराबबंदी हटाने का विरोध कर रहे हैं क्योंकि शराब के ‘होम डिलीवरी सिस्टम’ से उन्हें अधिक आय होती है। 
 
श्री नीतीश कुमार के अनुसार, ‘‘मध्य प्रदेश में तो शराब की बिक्री इतनी अधिक है कि वहां लोगों ने इसे ‘मध्य प्रदेश’ की बजाय ‘मद्य (शराब) प्रदेश’  पुकारना शुरू कर दिया है। शराबबंदी को प्रभावी रूप से लागू करना एक चुनौती है। हमें इसमें आने वाली अनेक बाधाओं का सामना करना होगा और हमारा यह फैसला महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा पग होगा।’’ 
 
उन्होंने फिर पटना में 9 मार्च को कहा कि ‘‘देसी शराब के ठेके बंद करने के साथ-साथ राज्य सरकार अवैध शराब के कारोबार पर भी लगाम लगाने की हरसंभव कोशिश कर रही है। इसके लिए इसी सत्र में विधेयक लाया जाएगा जिसमें अवैध शराब बनाने वालों को फांसी की सजा देने का प्रावधान होगा। दूसरों की मौत का कारण बनने वालों के लिए यही सजा उचित है और देश में शराब पर अब तक का यह सबसे कड़ा कानून हो सकता है।’’
 
बिहार सरकार द्वारा शराबबंदी की दिशा में उठाए जाने वाले दोनों ही पग अपने आप में अनूठे हैं। जहां तक स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों के अभिभावकों से शपथ पत्र लेने का संबंध है, इस संबंध में यदि शपथ पत्र भरने वालों पर कड़ी नजर रखी जाए और शपथ के उल्लंघन पर शिक्षाप्रद सजा जैसा कोई प्रावधान हो तो यह अधिक लाभदायक हो सकता है। 
 
जो भी हो, इस वायदे के शपथ पत्र से राज्य में शराबनोशी पर कुछ अंकुश तो जरूर लगेगा अत: अन्य राज्य सरकारों को भी यह उपाय अवश्य आजमाना चाहिए। एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है और यदि शरीर ही स्वस्थ न रहा तो विभिन्न मानसिक विकृतियों का शिकार होकरलोग अपराध की दुनिया जैसे गलत रास्ते पर ही चलेंगे जो अंतत: उन्हें और उनके परिवारों व समाज को तबाही के गड्ढ में गिरा देगा।  
 

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