उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी का प्रभाव

Edited By ,Updated: 18 Feb, 2019 03:57 AM

priyanka gandhi s influence in uttar pradesh

प्रियंका गांधी वाड्रा के राजनीति में आने से न केवल कांग्रेस के कार्यकत्र्ताओं में जोश भरा है बल्कि पार्टी ने उत्तर प्रदेश में छोटे दलों से हाथ मिलाना भी शुरू कर दिया है। ओ.बी.सी. प्रभुत्व वाले महान दल ने प्रियंका की उपस्थिति में कांग्रेस से हाथ...

प्रियंका गांधी वाड्रा के राजनीति में आने से न केवल कांग्रेस के कार्यकत्र्ताओं में जोश भरा है बल्कि पार्टी ने उत्तर प्रदेश में छोटे दलों से हाथ मिलाना भी शुरू कर दिया है। ओ.बी.सी. प्रभुत्व वाले महान दल ने प्रियंका की उपस्थिति में कांग्रेस से हाथ मिलाया है। इसके बाद उत्तर प्रदेश में मीरापुर सीट से भाजपा विधायक अवतार सिंह भड़ाना प्रियंका की उपस्थिति में लखनऊ स्थित यू.पी.सी.सी. कार्यालय में रविवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। भड़ाना हरियाणा के फरीदाबाद से तीन बार तथा उत्तर प्रदेश में मेरठ से एक बार सांसद रहे हैं। उनकी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ हरियाणा की गुर्जर पट्टी पर अच्छी पकड़ है। 

सीतापुर से दलित नेता राम लाल राही औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल हो गए। वह नरसिम्हा राव सरकार में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री थे। ऐसा माना जाता है कि उनकी कांग्रेस में वापसी से उनके बेटे सुरेश राही भी कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे जो सीतापुर में हरगांव निर्वाचन क्षेत्र से वर्तमान भाजपा विधायक हैं। दरभंगा से सांसद तथा पूर्व क्रिकेटर कीॢत आजाद बिहार से कई भाजपा नेताओं तथा कार्यकत्र्ताओं के साथ कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश कांग्रेस का राज्य नेतृत्व शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के साथ-साथ अपना दल के एक धड़े के साथ गठबंधन का प्रयास कर रहा है। इसके लिए शिवपाल यादव के साथ बातचीत जारी है और कांग्रेस उनकी पार्टी को उत्तर प्रदेश में 5 सीटें देने को तैयार है। इसके अंतिम निर्णय बारे शीघ्र घोषणा की जाएगी। 

इस बीच प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस संबंध में ब्लाक स्तर से लेकर राज्य नेतृत्व से चर्चा की है और अधिकतर पार्टी कार्यकत्र्ताओं ने उन्हें छोटी पाॢटयों, शिवपाल यादव की पसपा (लोहिया) व अजित सिंह की रालोद के साथ गठजोड़ करने की सलाह दी है तथा कांग्रेस ने रालोद को 4-5 सीटों का प्रस्ताव दिया है क्योंकि 3 उत्तरी राज्यों के चुनाव परिणामों ने उच्च जातियों, मुसलमानों, दलितों तथा मध्यम वर्ग द्वारा कांग्रेस पार्टी का समर्थन करने के रुझान दिखाए हैं और उत्तर प्रदेश के कार्यकत्र्ताओं एवं नेताओं को विश्वास है कि वे राज्य में ब्राह्मणों, मुसलमानों, दलितों तथा मध्यम वर्ग का समर्थन हासिल कर लेंगे लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ लडऩे के लिए उत्तर प्रदेश सहित देश भर में महागठबंधन चाहता है। 

भाजपा सांसदों के कार्य की समीक्षा
भाजपा आने वाले लोकसभा चुनावों में कोई भी अवसर खोना नहीं चाहती इसलिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) ने गुजरात प्रगति पर देश भर में भाजपा सांसदों के कार्य की समीक्षा शुरू कर दी है। गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी यह निर्णय लेने के लिए कि क्या कोई वर्तमान विधायक के पुन: चुने जाने के अवसर हैं, फीडबैक पर निर्भर रहते हैं। परिणामस्वरूप वह नए चेहरों को अवसर देने के लिए कई पदेन विधायकों के टिकट काट देते थे। इसी तरह मोदी अब प्रत्येक सांसद की उसके निर्वाचन क्षेत्र में लोकप्रियता अथवा सत्ता विरोधी लहर की समीक्षा कर रहे हैं। इसी के आधार पर वर्तमान सांसदों को फिर से टिकट देने या न देने बारे निर्णय लिया जाएगा। गत 5 वर्षों के दौरान भाजपा सांसदों के साथ हर बार मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार जोर देकर उनसे कहा था कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में सक्रिय हों तथा सरकारी कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाएं। 

मुलायम की इच्छा-मोदी
मुलायम सिंह यादव द्वारा मोदी के दूसरे कार्यकाल की इच्छा जताए जाने के एक दिन बाद लखनऊ में पोस्टर लग गए जिनमें 125 करोड़ भारतीयों की भावनाओं को प्रकट करने के लिए समाजवादी नेता का धन्यवाद किया गया था। लखनऊ में इस बात के चर्चे हैं कि मुलायम अपने छोटे बेटे प्रतीक यादव के खिलाफ नहीं जा सकते। प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव कट्टर मोदी भक्त हैं। यहां तक कि उन्होंने भाजपा में शामिल होने का भी विचार किया था। कहने की जरूरत नहीं कि सौतेले परिवार का समीकरण सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ उतना गर्माहट भरा नहीं है। 

शिवसेना-भाजपा प्रेम व नफरत
शिवसेना नेता संजय राऊत आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्र बाबू नायडू की विपक्षी एकता रैली में शामिल हुए जिसमें नरेन्द्र मोदी हमले का निशाना थे। संजय राऊत ने रैली को सम्बोधित भी किया जो भाजपा तथा शिवसेना के बीच संबंधों में मतभेदों की गहराई को दर्शाता है लेकिन दूसरी ओर भाजपा को शिवसेना के साथ संबंध सुधरने की आशा है। राजनीतिक विचारक दोनों के बीच लडख़ड़ाते संबंधों का उल्लेख करने के लिए एक मुहावरे का हवाला देते हुए कहते हैं कि ‘शिवसेना भाजपा के साथ नहीं रह सकती और शिवसेना भाजपा के बिना नहीं रह सकती’। शिवसेना विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन में वरिष्ठ सांझीदार की भूमिका निभाना चाहती है और इस बात पर जोर दे रही है कि इसका संबंध लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे से है, जबकि भाजपा को आशा है कि यदि उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को उपमुख्यमंत्री पद देने का वायदा किया जाता है तो शिवसेना बात करने के लिए आगे आएगी मगर वर्तमान में राजनीतिक विश्लेषकों की भविष्यवाणी है कि शिवसेना विपक्षी गठबंधन में शामिल हो सकती है। 

कांग्रेस-झामुमो-जे.वी.एम.-राजद गठबंधन
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने लोकसभा चुनावों के लिए शीघ्र सौदा करने हेतु कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की है। राहुल ने झारखंड पार्टी अध्यक्ष अजय कुमार व कांग्रेस के राज्य प्रभारी आर.पी.एन. सिंह को समान विचार वाले दलों से बातचीत करने के निर्देश दिए हैं और बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि कांग्रेस झारखंड में 7 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और 4 सीटें झामुमो, 2 झारखंड विकास मोर्चा (जे.वी.एम.) तथा एक सीट राजद के लिए छोड़ेगी। दोनों के बीच यह भी निर्णय हुआ कि लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस गठबंधन का नेतृत्व करेगी। 

विधानसभा चुनावों में झामुमो हेमंत सोरेन के नेतृत्व में अधिकतर सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ऐसा माना जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री सोरेन ने सौदा स्वीकार कर लिया है।-गांधी वाड्रा के राजनीति में आने से न केवल कांग्रेस के कार्यकत्र्ताओं में जोश भरा है बल्कि पार्टी ने उत्तर प्रदेश में छोटे दलों से हाथ मिलाना भी शुरू कर दिया है। ओ.बी.सी. प्रभुत्व वाले महान दल ने प्रियंका की उपस्थिति में कांग्रेस से हाथ मिलाया है। इसके बाद उत्तर प्रदेश में मीरापुर सीट से भाजपा विधायक अवतार सिंह भड़ाना प्रियंका की उपस्थिति में लखनऊ स्थित यू.पी.सी.सी. कार्यालय में रविवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। भड़ाना हरियाणा के फरीदाबाद से तीन बार तथा उत्तर प्रदेश में मेरठ से एक बार सांसद रहे हैं। उनकी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ हरियाणा की गुर्जर पट्टी पर अच्छी पकड़ है। 

सीतापुर से दलित नेता राम लाल राही औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल हो गए। वह नरसिम्हा राव सरकार में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री थे। ऐसा माना जाता है कि उनकी कांग्रेस में वापसी से उनके बेटे सुरेश राही भी कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे जो सीतापुर में हरगांव निर्वाचन क्षेत्र से वर्तमान भाजपा विधायक हैं। दरभंगा से सांसद तथा पूर्व क्रिकेटर कीॢत आजाद बिहार से कई भाजपा नेताओं तथा कार्यकत्र्ताओं के साथ कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश कांग्रेस का राज्य नेतृत्व शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के साथ-साथ अपना दल के एक धड़े के साथ गठबंधन का प्रयास कर रहा है। इसके लिए शिवपाल यादव के साथ बातचीत जारी है और कांग्रेस उनकी पार्टी को उत्तर प्रदेश में 5 सीटें देने को तैयार है। इसके अंतिम निर्णय बारे शीघ्र घोषणा की जाएगी। 

इस बीच प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस संबंध में ब्लाक स्तर से लेकर राज्य नेतृत्व से चर्चा की है और अधिकतर पार्टी कार्यकत्र्ताओं ने उन्हें छोटी पाॢटयों, शिवपाल यादव की पसपा (लोहिया) व अजित सिंह की रालोद के साथ गठजोड़ करने की सलाह दी है तथा कांग्रेस ने रालोद को 4-5 सीटों का प्रस्ताव दिया है क्योंकि 3 उत्तरी राज्यों के चुनाव परिणामों ने उच्च जातियों, मुसलमानों, दलितों तथा मध्यम वर्ग द्वारा कांग्रेस पार्टी का समर्थन करने के रुझान दिखाए हैं और उत्तर प्रदेश के कार्यकत्र्ताओं एवं नेताओं को विश्वास है कि वे राज्य में ब्राह्मणों, मुसलमानों, दलितों तथा मध्यम वर्ग का समर्थन हासिल कर लेंगे लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ लडऩे के लिए उत्तर प्रदेश सहित देश भर में महागठबंधन चाहता है। 

भाजपा सांसदों के कार्य की समीक्षा
भाजपा आने वाले लोकसभा चुनावों में कोई भी अवसर खोना नहीं चाहती इसलिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) ने गुजरात प्रगति पर देश भर में भाजपा सांसदों के कार्य की समीक्षा शुरू कर दी है। गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी यह निर्णय लेने के लिए कि क्या कोई वर्तमान विधायक के पुन: चुने जाने के अवसर हैं, फीडबैक पर निर्भर रहते हैं। परिणामस्वरूप वह नए चेहरों को अवसर देने के लिए कई पदेन विधायकों के टिकट काट देते थे। इसी तरह मोदी अब प्रत्येक सांसद की उसके निर्वाचन क्षेत्र में लोकप्रियता अथवा सत्ता विरोधी लहर की समीक्षा कर रहे हैं। इसी के आधार पर वर्तमान सांसदों को फिर से टिकट देने या न देने बारे निर्णय लिया जाएगा। गत 5 वर्षों के दौरान भाजपा सांसदों के साथ हर बार मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार जोर देकर उनसे कहा था कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में सक्रिय हों तथा सरकारी कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाएं। 

मुलायम की इच्छा-मोदी
मुलायम सिंह यादव द्वारा मोदी के दूसरे कार्यकाल की इच्छा जताए जाने के एक दिन बाद लखनऊ में पोस्टर लग गए जिनमें 125 करोड़ भारतीयों की भावनाओं को प्रकट करने के लिए समाजवादी नेता का धन्यवाद किया गया था। लखनऊ में इस बात के चर्चे हैं कि मुलायम अपने छोटे बेटे प्रतीक यादव के खिलाफ नहीं जा सकते। प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव कट्टर मोदी भक्त हैं। यहां तक कि उन्होंने भाजपा में शामिल होने का भी विचार किया था। कहने की जरूरत नहीं कि सौतेले परिवार का समीकरण सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ उतना गर्माहट भरा नहीं है। 

शिवसेना-भाजपा प्रेम व नफरत
शिवसेना नेता संजय राऊत आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्र बाबू नायडू की विपक्षी एकता रैली में शामिल हुए जिसमें नरेन्द्र मोदी हमले का निशाना थे। संजय राऊत ने रैली को सम्बोधित भी किया जो भाजपा तथा शिवसेना के बीच संबंधों में मतभेदों की गहराई को दर्शाता है लेकिन दूसरी ओर भाजपा को शिवसेना के साथ संबंध सुधरने की आशा है। राजनीतिक विचारक दोनों के बीच लडख़ड़ाते संबंधों का उल्लेख करने के लिए एक मुहावरे का हवाला देते हुए कहते हैं कि ‘शिवसेना भाजपा के साथ नहीं रह सकती और शिवसेना भाजपा के बिना नहीं रह सकती’। शिवसेना विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन में वरिष्ठ सांझीदार की भूमिका निभाना चाहती है और इस बात पर जोर दे रही है कि इसका संबंध लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे से है, जबकि भाजपा को आशा है कि यदि उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को उपमुख्यमंत्री पद देने का वायदा किया जाता है तो शिवसेना बात करने के लिए आगे आएगी मगर वर्तमान में राजनीतिक विश्लेषकों की भविष्यवाणी है कि शिवसेना विपक्षी गठबंधन में शामिल हो सकती है। 

कांग्रेस-झामुमो-जे.वी.एम.-राजद गठबंधन
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने लोकसभा चुनावों के लिए शीघ्र सौदा करने हेतु कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की है। राहुल ने झारखंड पार्टी अध्यक्ष अजय कुमार व कांग्रेस के राज्य प्रभारी आर.पी.एन. सिंह को समान विचार वाले दलों से बातचीत करने के निर्देश दिए हैं और बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि कांग्रेस झारखंड में 7 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और 4 सीटें झामुमो, 2 झारखंड विकास मोर्चा (जे.वी.एम.) तथा एक सीट राजद के लिए छोड़ेगी। दोनों के बीच यह भी निर्णय हुआ कि लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस गठबंधन का नेतृत्व करेगी। विधानसभा चुनावों में झामुमो हेमंत सोरेन के नेतृत्व में अधिकतर सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ऐसा माना जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री सोरेन ने सौदा स्वीकार कर लिया है।-राहिल नोरा चोपड़ा
 

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