‘सड़क सुरक्षा यानी जीवन की रक्षा’

Edited By ,Updated: 29 Jan, 2021 04:01 AM

road safety  means saving life

भारत एक ऐसा देश है जहां रक्षा व सुरक्षा की सबसे ज्यादा आवश्यकता अगर कहीं महसूस होती है तो वह सड़कों पर होती है क्योंकि सड़कों पर ज्यादा गति से चलोगे तो खुद आगे जाकर ठोकोगे, धीमे चलोगे तो पीछे से आकर कोई ठोक देगा। इसलिए

भारत एक ऐसा देश है जहां रक्षा व सुरक्षा की सबसे ज्यादा आवश्यकता अगर कहीं महसूस होती है तो वह सड़कों पर होती है क्योंकि सड़कों पर ज्यादा गति से चलोगे तो खुद आगे जाकर ठोकोगे, धीमे चलोगे तो पीछे से आकर कोई ठोक देगा। इसलिए सड़कों पर नियमित गति के साथ स्वयं व दूसरों की रक्षा व सुरक्षा को ध्यान में रखकर चलना पड़ता है। पर क्या कोई ऐसे चलता भी है या यह मात्र कहने तक ही सीमित है। 

सड़क सुरक्षा मात्र एक वैचारिक संकल्प ही नहीं है बल्कि यह जीवन को सुरक्षित रखने का एक महाअभियान है। सड़क हादसों को कम करने और राहगीरों को वाहन चलाते समय नियमों का पालन करवाने के उद्देश्य से 18 जनवरी 2021 से 17 फरवरी 2021 तक मनाए जाने वाले सड़क सुरक्षा माह का इस बार का थीम ‘सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा’ तय किया गया है। परिवहन विभाग द्वारा इस थीम पर आधारित विभिन्न गतिविधियां आयोजित करवाई जाएंगी। इसमें ट्रैफिक पुलिस, स्वास्थ्य, सूचना और प्रचार, पी.डब्ल्यू.डी. समेत ट्रांसपोर्ट अथारिटी, जिला अथारिटी, स्वैच्छिक संगठनों की भी मदद ली जाएगी। 

अगर सड़कों पर फैले मौत के जाल का आंकड़ों के माध्यम से अध्ययन करें तो अंतर्राष्ट्रीय सड़क संगठन (आई.आर.एफ.) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 12.5 लाख लोगों की प्रति वर्ष सड़क हादसों में मौत होती है। इसमें सबसे चिंताजनक यह है कि इसमें भारत की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से ज्यादा है। एन.सी.आर.बी. के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में 4,37,396 सड़क हादसे हुए, जिनमें 1,54,732 लोगों की जान गई और 4,39,262 लोग घायल हुए। 

इनमें 59.6 फीसदी सड़क दुर्घटनाओं का कारण तेज रफ्तार रही, वहीं ओवर स्पीडिंग की वजह से सड़क दुर्घटना में 86,241 लोगों की मौत हुई जबकि 2,71,581 लोग घायल हुए। इन सभी दुर्घटनाओं के पीछे शराब/मादक पदार्थों का इस्तेमाल, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, वाहनों में जरुरत से अधिक भीड़ होना और थकान आदि शामिल हैं। भारत जैसे देश में, सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ जहां इतना अधिक है वहां सीट बैल्ट्स और हैल्मेट्स का इस्तेमाल केवल पुलिस के चालान से बचने के लिए ही किया जाता है, इन सुरक्षा उपकरणों का प्रयोग न करना ही ऐसे मामलों को और बढ़ावा देता है। 

एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक दोपहिया वाहन और ट्रक ही हैं जो हमारे देश में करीब 40 प्रतिशत मौतों का कारण बनते हैं। भारत में दुनिया के विकसित देशों की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं के मामले तीन गुना अधिक हैं। इसलिए सड़क दुर्घटनाओं की वजह से मृत्यु दर को रोकने के लिए एकमात्र तरीका सुरक्षा के नियमों का पालन करना है। यह सड़क सुरक्षा माह इन दुर्घटनाओं की रोकथाम में मील का एक बड़ा पत्थर सिद्ध होगा यह तय है लेकिन तब भी किसी चीज की आवश्यकता है तो वह है जागरूकता की। 

जन-जन तक सड़क सुरक्षा जागरूकता पहुंचाना एक लक्ष्य होना चाहिए तभी इस सड़क सुरक्षा माह विशेष जागरूकता अभियान को मनाने का औचित्य रह जाता है अन्यथा इस प्रकार के अनेक दिवस, सप्ताह व माह वर्षों से संचालित किए जा रहे हैं उनमें केवल खानापूर्ति की औपचारिकता मात्र निभाई जाती है, उससे अधिक कुछ नहीं। सड़क दुर्घटनाएं कोई प्राकृतिक घटनाएं नहीं हैं जो इन्हें रोका ही नहीं जा सकता,ये मानव द्वारा स्वयं निर्मित व स्वयं घटित घटनाएं हैं। जब प्रत्येक व्यक्ति ङ्क्षचतन व चेतना से इस विषय पर अध्ययन करेगा तो वह जरूर सुरक्षा उपायों की ओर अग्रसर होगा। उसी से इन घटनाओं का स्तर कम किया जा सकता है अन्यथा देश में सड़कें मौत का एक अदृश्य जाल बनती जा रही हैं जो पलक झपकते ही मौत के ग्रास के रूप में राहगीरों को निगल जाता है।-डा. मनोज डोगरा
 

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