रोल मॉडल की तलाश में भटकते सिख युवक

Edited By ,Updated: 22 Mar, 2024 05:16 AM

sikh youth wandering in search of role

संसार का प्रत्येक मनुष्य अपने परिवेश से प्रभावित होता है और जब कोई व्यक्ति असाधारण अच्छे कार्य करता है और अपने आदर्श जीवन के सभी पहलुओं में परिपक्वता से प्रभावित होता है तो आम लोग उसके जैसा

संसार का प्रत्येक मनुष्य अपने परिवेश से प्रभावित होता है और जब कोई व्यक्ति असाधारण अच्छे कार्य करता है और अपने आदर्श जीवन के सभी पहलुओं में परिपक्वता से प्रभावित होता है तो आम लोग उसके जैसा जीवन जीने का प्रयास करते हैं, तो वह व्यक्ति उन लोगों का रोल माडल कहा जाता है। दुनिया के हर धर्म, हर क्षेत्र और हर सभ्यता में रोल मॉडल पैदा हुए हैं। इसी प्रकार, लगभग साढ़े 5 सौ वर्ष पूर्व सिख समुदाय में जब श्री गुरु नानक देव जी ने उस समय भारतीय समाज में व्याप्त अन्यायों तथा अंध विश्वास के विरुद्ध आवाज उठाई तो उन्होंने लोगों को कर्म करो, जप करो नाम जपो और बांट कर खाओ का संदेश दिया। उन्होंने स्वयं भी अपनी दी हुई शिक्षाओं को क्रियान्वित किया। लोगों के कल्याण के लिए उन्होंने 4 दशकों से अधिक समय तक अपने घर से दूर साधारण जीवन व्यतीत किया, संपूर्ण मानवता की भलाई के लिए काम किया और सिख धर्म की शुरूआत की। 

उस समय लोग उनकी शिक्षाओं पर अमल करने लगे। उनकी शिक्षाओं का पालन करने वाले सिख कहलाए और श्री गुरु नानक पहले सिख गुरु होने के साथ-साथ सिखों के पहले आदर्श भी बने। इसके बाद गुरु अंगद देव जी ने गुरबाणी का पाठ किया। स्कूल और साहित्यिक केंद्र खोलकर, कुश्ती का अभ्यास शुरू करने के अलावा, उन्होंने गुरुमुखी का मानकीकरण किया और दुनिया को एक अनूठी लिपि दी और इन्हीं कारणों से वे एक आदर्श भी बन गए। इसके बाद सभी गुरु महान त्याग और बलिदान देकर आदर्श बन गए। गुरु साहिब के बाद भी सिख समुदाय में अनेक व्यक्तित्व गुरुओं के मार्ग पर चलते हुए अपने उच्च एवं पवित्र चरित्र के कारण आदर्श बने। लेकिन जैसे-जैसे सिख नेतृत्व गुरु साहिब द्वारा निर्धारित सिख सिद्धांतों और आदर्शों से पीछे हटता गया, सिख समुदाय में नए रोल मॉडल की कमी होने लगी। लेकिन हाल के दिनों में सिख नेतृत्व में चरित्र की गिरावट, सिख युवाओं की गौरवशाली इतिहास से दूरी और गुरबाणी की उचित व्याख्या की कमी ने सिख युवाओं को नकारात्मक सोच की ओर धकेल दिया है। उनमें अपने आदर्शों को पहचानने का विचार भी लुप्त होता जा रहा है। 

इसी कारण से आज के समय में सिख युवा ऐसे लोगों को अपना आदर्श मानने लगे हैं जिनका सिख कार्य या समाज में कोई विशेष योगदान नहीं है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे अपनी पृष्ठभूमि पर ध्यान देना भी जरूरी नहीं समझते हैं। वे उसी को आदर्श मानने लगते हैं जो स्थापित नेतृत्व और सरकार का विरोध करता हो, या जिसका आधा हिस्सा भी अच्छा हो, भले ही उसमें कई अन्य खामियां हों। इसके अनेक ज्वलंत उदाहरण हमारे सामने हैं। जिस तरह दीप सिद्धू की ओर से सरकार का निरंतर विरोध करने के बाद एक दुर्घटना में मौत हो जाने पर इसी संदेह में उसे रोल माडल मान लिया गया कि उसकी मौत के पीछे सरकारी एजैंसियों का ही हाथ है।नौजवानों ने दीप सिद्धू को अपना आदर्श मान कर गुरुओं को भूल कर उसके विचारों पर अमल करना शुरू कर दिया जोकि खुद सिख रहत मर्यादा से उल्ट ही नहीं बल्कि सिख समुदाय की मान्यताओं को भी अपना नहीं रहा था। इसी तरह बहुत से राजनीतिक नेताओं को भी सिख नौजवान रोल माडल के तौर पर देख रहे हैं जोकि किसी अच्छे गुणों वाले व्यक्ति से भी वंचित हैं। 

खालसा पंथ की स्थापना करने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी के निम्नलिखित शब्द किसी को अपना आदर्श मानने वाले सिख युवाओं को प्रेरित करते थे, ‘रहिने रहै सोई सिख मेरा। वह साहिब मैं उसका चेरा। जब इह घई बिपरन की रीत। मैं न कारो इनकी प्रीत।’ हमें ऐसे शब्द नहीं भूलने चाहिएं। लेकिन आज का सिख युवा गुरुओं के बताए रास्ते को भूलकर अधूरे रोल मॉडल पर चलकर जीवन के सही लक्ष्य से भटक रहा है। सिख युवाओं को यह समझने की जरूरत है कि दुनिया में उनकी सबसे बड़ी भूमिका है। रोल मॉडल तो 4 साहिबजादों और महान शहीदों के रूप में पाए जाते हैं, फिर सामान्य लोगों को आदर्श के रूप में देखना सिख गुरुओं के त्याग और बलिदान को खारिज करने के बराबर होगा।-इकबाल सिंह चन्नी 
    

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