पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर सर्जिकल स्ट्राइक

Edited By ,Updated: 01 Oct, 2022 04:28 AM

surgical strike on popular front of india

एन.आई.ए. के छापे में पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पी.एफ.आई.) के यहां मिले दस्तावेजों के अनुसार 2047 तक भारत में गजवा-ए-हिंद बनाने की योजना थी।

एन.आई.ए. के छापे में पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पी.एफ.आई.) के यहां मिले दस्तावेजों के अनुसार 2047 तक भारत में गजवा-ए-हिंद बनाने की योजना थी। लश्कर-ए-तैयबा, आई.एस.आई.एस. और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों के साथ तालमेल करके भारत में जेहाद पर भी काम हो रहा था। केरल सरकार ने 2012 में हाईकोर्ट में हल्फनामा देकर कहा था कि पी.एफ.आई. वास्तव में सिमी का ही बदला हुआ रूप है। एन.आई.ए. की विशेष अदालत ने 2016 में पी.एफ.आई. के 21 सदस्यों को कैद की सजा सुनाई थी।

जनवरी 2018 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने पी.एफ.आई. पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। दिसम्बर 2019 में सी.ए.ए. के विरोध और हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश ने भी पी.एफ.आई. पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। केरल, कनार्टक, आंध्र प्रदेश और असम में पी.एफ.आई. के विरुद्ध  राज्य के खिलाफ युद्ध छेडऩे और आपराधिक साजिश के मामले दर्ज हुए थे। पिछले साल 2021 में आई.बी. की सालाना बैठक में राज्यों के पुलिस अधिकारियों ने पी.एफ.आई. के रेडीक्लाइजेशन और आतंकवाद कनैक्शन पर चिंता जाहिर की थी।

कर्नाटक में हिजाब आंदोलन के उभार के पीछे पी.एफ.आई. और उससे जुड़े संगठनों के बारे में सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था। कई राज्यों की अनुशंसा के बावजूद केन्द्र सरकार ने पी.एफ.आई. पर प्रतिबंध लगाने में इतना लम्बा समय क्यों लगाया? इस देरी के पीछे सरकार का यह भी तर्क था कि प्रतिबंध लगाने के बाद नए नामों से आतंकी लोग  एकजुट हो जाते हैं। अगर इसे सही माना जाए तो फिर 2019 में सिमी पर प्रतिबंध को 5 साल के लिए क्यों बढ़ाया गया।

लश्कर के आतंकवादी साजिर मीर को संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में डालने पर भारत के प्रस्ताव पर चीन की अड़ंगेबाजी के खिलाफ भारत के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तीखा कटाक्ष किया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकियों के खिलाफ आवाज को सफल बनाने के लिए भारत में पी.एफ.आई. जैसे संगठनों पर बैन होना देर से लेकिन दुरुस्त कदम है।

ट्रिब्यूनल में लम्बी कानूनी प्रक्रिया : केन्द्र सरकार के प्रतिबंध के बाद राज्य सरकारों को पी.एफ.आई. के सदस्यों की गिरफ्तारी का अधिकार मिल गया है। प्रतिबंध के बाद पी.एफ.आई. की सम्पत्तियां जब्त होने के साथ बैंक खातों पर रोक लगेगी। सिमी पर प्रतिबंध की शुरूआत 2001 में हुई और 2008 के समय ट्रिब्यूनल ने इसे रद्द कर दिया था। लेकिन बाद में सरकार को सुप्रीमकोर्ट से राहत मिल गई थी। सिमी पर आखिरी बार 2019 में प्रतिबंध लगा था, जिसे जस्टिस मुक्ता गुप्ता की अध्यक्षता वाली ट्रिब्यूनल ने कन्फर्म किया था। झारखंड में भाजपा की रघुबर सरकार ने पी.एफ.आई. पर 2018 में प्रतिबंध लगाया था लेकिन प्रक्रिया का सही पालन नहीं करने की वजह से हाईकोर्ट ने आदेश रद्द कर दिया।

उसके बाद फरवरी 2019 में प्रतिबंध की नई अधिसूचना जारी की गई। प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी करने के 3 दिनों के भीतर हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में यू.ए.पी.ए. ट्रिब्यूनल का गठन होगा। वहां पर  सुनवाई और जांच के बाद 6 महीने के भीतर आदेश पारित होने के उपरांत ही पी.एफ.आई. पर प्रतिबंध फाइनल होगा। पी.एफ.आई. के छात्र-संगठन ने प्रतिबंध के केंद्र सरकार के नए आदेश को अदालत में चुनौती देने की बात कही है, इसलिए जांच एजैंसियों के साथ कानूनी मोर्चे पर भी सरकार को पूरी तरह से मुस्तैद रहने की जरूरत है।

एस.डी.पी.आई. पार्टी पर बैन नहीं लगने से गतिविधियां जारी रह  सकती हैं : एन.आई.ए. के अनुसार तुर्की की एन.आई.ओ. और पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. की मदद से पी.एफ.आई. को बड़ी फंडिंग मिलती है। इसका भारत में अराजकता, ङ्क्षहसा, आतंकवाद और मजहबी उन्माद फैलाने के लिए इस्तेमाल हो रहा है। पी.एफ.आई. का फंडिंग नैटवर्क खाड़ी समेत कई देशों में फैला है। हवाला के जरिए आए पैसे को गरीब श्रमिकों के नाम से डोनेशन दिखा कर पी.एफ.आई. के खातों में जमा किया जा रहा था।

ई.डी. के अनुसार पी.एफ.आई. के खातों में लगभग 120 करोड़ रुपए हवाला और नगदी के माध्यम से जमा हुए हैं। इन सबके बावजूद पी.एफ.आई. को धर्मार्थ संगठन के नाम पर टैक्स की जारी छूट को लम्बे अर्से बाद 2021 में रद्द किया गया। बैन की नोटिफिकेशन के अनुसार सोशल डैमोक्रेटिक पार्टी इंडिया (एस.डी.पी.आई.) पर प्रतिबंध नहीं लगा है। पी.एफ.आई. से जुड़े इस दल को पिछले 2 सालों में लगभग 11.78 करोड़ का चंदा मिला है। रजिस्टर्ड राजनीतिक दल होने के नाते एस.डी.पी.आई. के खिलाफ  चुनाव आयोग ही कार्रवाई करेगा।

उसकी गतिविधियों पर यदि प्रतिबंध नहीं लगा तो फिर एस.डी.पी.आई. को कर्नाटक और दूसरे राज्यों के चुनावों को प्रभावित करने की छूट मिलना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं होगा। गृह मंत्रालय के आदेश के बाद पी.एफ.आई. के सोशल मीडिया खातों पर रोक के लिए टेकडाऊन आदेश जारी किए जा रहे हैं। भारत के बाहर पी.एफ.आई. के तेजस गल्फ डेली नाम के अखबार से  कट्टरपंथी ताकतों को एकजुट करने का काम चल रहा है। इसलिए विदेश से प्रोपेगंडा फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के तरीके पर भी सरकार को विचार करना होगा। पी.एफ.आई. पर बैन के बाद आतंकवाद और कट्टरपंथ की कमर को जड़ से तोडऩे के लिए अब केंद्रीय एजैंसियों के साथ राज्यों की पुलिस को मिलकर ठोस कार्रवाई करनी होगी।-विराग गुप्ता (एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट)

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