नए बजट से करदाताओं को मिले ‘मुस्कुराहट’

Edited By ,Updated: 21 Jan, 2020 04:16 AM

taxpayers get  smile  from new budget

यकीनन केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी 2020 को प्रस्तुत किए जाने वाले वर्ष 2020-21 के बजट से देश के करदाताओं की दो प्रकार की अपेक्षाएं हैं। एक, नए बजट में करदाताओं के लिए विशेष प्रत्यक्ष कर समाधान योजना प्रस्तुत हो। दो, वेतनभोगी...

यकीनन केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी 2020 को प्रस्तुत किए जाने वाले वर्ष 2020-21 के बजट से देश के करदाताओं की दो प्रकार की अपेक्षाएं हैं। एक, नए बजट में करदाताओं के लिए विशेष प्रत्यक्ष कर समाधान योजना प्रस्तुत हो। दो, वेतनभोगी और मध्यमवर्ग के लोगों को कर राहत मिले। गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण  द्वारा नए बजट 2020-21 के मद्देनजर उद्योग, कारोबार, कर सलाहकार संगठनों और सेवा क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व अलग-अलग बैठकें आयोजित की गई थीं। इन सभी बैठकों में कर रियायत योजना और कर में राहत संबंधी विशेष सुझाव भी प्राप्त हुए हैं। 

प्रत्यक्ष कर समाधान
इन दिनों एक ओर कर संबंधी कठोर होते प्रावधानों से बड़ी संख्या में चिंतित करदाता कोई प्रत्यक्ष कर समाधान योजना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर राजस्व की तंगी से जूझ रही केंद्र सरकार भी अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए नए बजट में करदाताओं के लिए प्रत्यक्ष कर समाधान योजना लेकर आ सकती है। ऐसी कर समाधान योजना के तहत करदाता अपनी पिछले 5-6 वर्षों की अतिरिक्त आय का खुलासा कर सकते हैं। ऐसे खुलासे पर उन्हें कोई जुर्माना नहीं भरना होगा और न ही उन्हें कोई सजा होगी। ऐसा होने पर करदाता पिछले मामलों के खुलने या सजा की आशंका के बिना अपनी घोषित आय को संशोधित कर सकते हैं। यदि ऐसी प्रत्यक्ष कर समाधान योजना में ब्याज और जुर्माना माफ कर दिया जाता है और विवादित राशि के 50 फीसदी हिस्से के भुगतान का विकल्प दिया जाता है तो करदाता इसे हाथों-हाथ ले सकते हैं। 

निश्चित रूप से प्रत्यक्ष कर समाधान योजना से कारोबारी समुदाय और विदेशी निवेशकों के बीच सकारात्मक संदेश जाएगा कि सरकार बेकार की मुकद्दमेबाजी और विवादों को कम करने के लिए नए बजट के माध्यम से आगे बढ़ी है। ज्ञातव्य है कि सरकार  द्वारा पिछले वर्ष सितम्बर 2019 में अप्रत्यक्ष कर, सीमा शुल्क, उत्पाद एवं सेवाकर से जुड़े विवादों और देनदारियों के समाधान की सबका विश्वास समाधान योजना लागू की। उसकी सफलता उत्साहजनक रही है, जिससे केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड को 30,000 से 35,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व हासिल हो चुका है। 

इस तरह एक ओर नए बजट से प्रत्यक्ष कर समाधान योजना की अपेक्षा है, वहीं दूसरी ओर वेतनभोगी तथा मध्यम वर्ग को कर राहत मिलने से उनके पास जो रुपए बचेंगे उससे मांग में वृद्धि होगी तथा उससे आर्थिक गतिविधियां भी तेज होंगी। यदि हम आयकर संबंधी आंकड़ों का अध्ययन करें तो पाते हैं कि वेतनभोगी लोगों ने पिछले वित्त वर्ष में औसतन 76306 रुपए का कर चुकाया था, जबकि पेशेवर और कारोबारी करदाताओं के मामले में यह औसतन 25753 रुपए था। इतना ही नहीं वेतनभोगी लोगों के कुल कर संग्रह का आकार पेशेवरों और कारोबारी करदाताओं द्वारा चुकाए गए कर का करीब 3 गुना था। ऐसे में अर्थविशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि वेतनभोगी वर्ग नियमानुसार अपने वेतन पर ईमानदारीपूर्वक आयकर चुकाता है और आमदनी को कम बताने की गुंजाइश नगण्य होती है, ऐसे में वेतनभोगी वर्ग को आयकर में राहत देना न्यायसंगत है। 

नए इंकम टैक्स कानून की उम्मीद
निश्चित रूप से पूरा देश वर्ष 2020-21 के नए बजट में नए डायरैक्ट टैक्स कोड और नए इन्कम टैक्स कानून को आकार दिए जाने की प्रतीक्षा कर रहा है। उल्लेखनीय है कि डायरैक्ट टैक्स कोड (डी.टी.सी.) का मसौदा तैयार करने वाली अखिलेश रंजन समिति की रिपोर्ट में प्रत्यक्ष कर कानूनों में व्यापक बदलाव और वर्तमान आयकर कानून को हटाकर नए सरल व प्रभावी आयकर कानून लागू करने की बात कही गई है। 5 से 10 लाख रुपए तक की वार्षिक आय पर जो मौजूदा 20 फीसदी आयकर की दर है उसे घटाकर 10 फीसदी किया जाए तथा 10 से 20 लाख रुपए की वार्षिक आय पर 30 फीसदी टैक्स रेट को घटाकर 20 फीसदी किया जाए। इससे वेतनभोगी और मध्यम वर्ग के लोग बड़ी संख्या में लाभान्वित होंगे। 

यह भी जरूरी है कि नए बजट 2020-21 के तहत नए आयकरदाताओं की संख्या बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जाए। देश के वर्तमान आयकर कानून की कमियों का संभावित करदाताओं द्वारा अनुचित फायदा उठाया जाता रहा है। अच्छी कमाई होने के बाद भी लोग आयकर देने से बचते रहे। नोटबंदी और कर प्रशासन द्वारा डाटा विश्लेषण के बाद मालूम हुआ है कि बड़ी संख्या में लोग आय छिपाते रहे तथा आवश्यक आयकर के भुगतान में बेईमानी करते रहे। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार नोटबंदी के कारण वित्त वर्ष 2016-17 के लिए रिटर्न दाखिल करने वालों की तादाद में भारी इजाफा हुआ। नोटबंदी के कारण कालाधन जमा करने वाले लोगों में घबराहट बढ़ी। ऐसे में आयकरदाताओं की संख्या बढ़ी। आयकरदाताओं की संख्या 2016-17 में बढ़कर 6.26 करोड़ पर पहुंच गई, जो 2015-16 की तुलना में 23 फीसदी अधिक थी। वर्ष 2017-18 में आयकरदाताओं की संख्या और बढ़कर 7.4 करोड़ हो गई। 

चूंकि इस समय देश की अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर में है, ऐसे में वर्ष 2020-21 के नए बजट में वित्तमंत्री द्वारा एक ओर प्रत्यक्ष कर समाधान योजना तथा दूसरी ओर आयकरदाताओं को राहत देने के लिए रंजन समिति द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों के आधार पर सरल और प्रभावी नई प्रत्यक्ष कर संहिता तथा नए आयकर कानून को शीघ्र आकार दिया जाना उपयुक्त होगा। नि:संदेह नई प्रत्यक्ष कर संहिता को नए बजट में आकार दिए जाने से कर कानूनों को सहज बनाने के लिए कर दरों को तार्किक बनाने की दिशा में तेजी से काम हो सकेगा। हम आशा करें कि वर्ष 2020-21 के नए बजट में प्रत्यक्ष कर समाधान योजना को लाए जाने से बड़ी संख्या में टैक्स न भरे जाने की चिंता से पीड़ित लोगों को राहत दी जा सकेगी और सरकार का राजस्व भी बढ़ाया जा सकेगा।-डा. जयंतीलाल भंडारी

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