‘आप’ के ताजा घटनाक्रम पंजाब के लोगों को निराश करने वाले

Edited By Pardeep,Updated: 02 Aug, 2018 03:25 AM

the latest developments of aap that disappoint people of punjab

आम आदमी पार्टी (आप), जिसने पंजाब में लोगों की आशाएं काफी बढ़ा दी थीं, जो बारी-बारी से सत्ता का मजा उठा रही कांग्रेस तथा शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन का एक अच्छा विकल्प तलाश रहे थे, की आशाओं को झुठला दिया है। तानाशाहीपूर्ण तरीके से विपक्ष के नेता...

आम आदमी पार्टी (आप), जिसने पंजाब में लोगों की आशाएं काफी बढ़ा दी थीं, जो बारी-बारी से सत्ता का मजा उठा रही कांग्रेस तथा शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन का एक अच्छा विकल्प तलाश रहे थे, की आशाओं को झुठला दिया है। तानाशाहीपूर्ण तरीके से विपक्ष के नेता में बदलाव के मद्देनजर पार्टी की पंजाब इकाई में विद्रोह से उत्पन्न संकट इसके कफन में अंतिम कील साबित हो सकता है। 

विपक्ष के नेता में परिवर्तन, जो विधायकों तथा पार्टी के नेताओं का विशेषाधिकार है, इस तथ्य से भी अधिक  सुखपाल सिंह खैहरा को विपक्ष के नेता पद से हटाए जाने का तानाशाहीपूर्ण रवैया था जो निंदनीय है। उन्हें हटाकर हरपाल सिंह चीमा को नियुक्त करने से पार्टी कार्यकत्र्ताओं में केवल घबराहट ही नहीं बल्कि काफी आक्रोश पैदा हो गया। इस परिवर्तन की घोषणा वरिष्ठ पार्टी नेता तथा पार्टी मामलों के प्रभारी मनीश सिसौदिया द्वारा एक ट्वीट के माध्यम से की गई। पार्टी विधायक होने के नाते कंवर संधू ने बाद में मीडिया को बताया कि परिवर्तन बारे सूचना का पत्र पार्टी नेतृत्व द्वारा विधायकों, जिन्हें अपना नेता चुनने का अधिकार होता है, से ‘सहमति’ लेने से काफी पहले पंजाब विधानसभा के स्पीकर को भेज दिया गया था। 

सुखपाल सिंह खैहरा को वीरवार को विधायकों की बैठक में बुलाया गया था ताकि वे अपना असंतोष जाहिर कर सकें तथा भविष्य के लिए रणनीति पर निर्णय ले सकें मगर पार्टी की विश्वसनीयता को पहले ही काफी क्षति पहुंच चुकी थी। दरअसल पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल तथा उनके करीबी सहयोगियों ने जिस तरह से पंजाब में पार्टी के मामलों का प्रबंधन किया है, उसका परिणाम अच्छा नहीं निकला। उन्होंने पार्टी की पंजाब इकाई, एक ऐसा राज्य जहां से इसने अपनी सभी 4 लोकसभा सीटें प्राप्त कीं तथा देश में एकमात्र दूसरा राज्य जहां इसके विधायक राज्य विधानसभा में हैं, के साथ बहुत अन्यायपूर्ण व्यवहार किया। 

जिस तरह से पार्टी ने पंजाब में अपने संस्थापक नेताओं में से एक और फिर पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष सुच्चा सिंह छोटेपुर को भ्रष्टाचार के आरोपों के आधार पर हटाया, अपने दो सांसदों को निलंबित करके विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवार चुनने हेतु पंजाब के बाहर से नेताओं को तैनात किया, इससे पार्टी एक के बाद दूसरे संकट में घिरती चली गई। एक समय ऐसा भी था जब पार्टी राज्य में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पसंदीदा थी। इसने अन्य पार्टियों द्वारा कार्रवाई शुरू करने से पहले विधिवत तैयारी शुरू कर दी थी। 

इसने सफलतापूर्वक बूथों के लिहाज से समितियां गठित कीं तथा समर्थन हासिल करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक कार्य किए। इसे विदेशों में रहने वाले भारतीयों से भी अत्यंत समर्थन मिला मगर जिस तरीके से इसके केन्द्रीय नेताओं ने राज्य के नेताओं के साथ व्यवहार किया, उससे इसका समर्थन आधार घटने लगा। यह अपेक्षाकृत घटिया परिणाम में प्रतिङ्क्षबबित हुआ परंतु फिर भी ‘आप’ विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने में सफल रही। ऐसा दिखाई देता है कि केन्द्रीय नेतृत्व ने अतीत में अपने तानाशाहीपूर्ण रवैए से कोई सबक नहीं सीखा है और ऐसी सम्भावना है कि नवीनतम कार्रवाई से राज्य में पार्टी की सम्भावनाओं को स्थायी क्षति पहुंचेगी। 

पार्टी को सोशल मीडिया पर भी बहुत अधिक भरोसा था और वह इसका इस्तेमाल घोषणाएं करने के लिए करती रही। नवीनतम संकट पर इसकी प्रतिक्रिया भी ट्वीट के रूप में आई जिसमें कहा गया कि ‘कोई परवाह नहीं कि वे कितना प्रयास करते हैं, एक बात अवश्य स्पष्ट की जानी चाहिए कि ‘आप’ अपने स्वयं सेवकों से ताकत प्राप्त करती है और इसी तरह प्रत्येक स्वयंसेवक का केवल एक हीरो है और वह हैं अरविंद केजरीवाल। कोई भी स्वयंसेवक किसी ऐसे व्यक्ति का समर्थन नहीं करेगा जो अरविंद केजरीवाल तथा उनकी सेना के बीच भावनात्मक डोर को तोडऩे की कोशिश करता है।’

आधिकारिक ट्वीट पार्टी नेतृत्व के तानाशाहीपूर्ण रवैये को प्रतिङ्क्षबबित करता है जो कांग्रेस के साथ-साथ अकालियों में इस रवैए का जी-जान से विरोध करता है। सोशल मीडिया पर केजरीवाल के कट्टर समर्थकों तथा उनकी तरह की राजनीति के विरोधियों के बीच एक  तरह का युद्ध छिड़ गया है। पंजाब के लिए आप के घटनाक्रम अत्यंत निराशाजनक हैं। पार्टी के साथ जनता का मोहभंग गुरदासपुर लोकसभा सीट तथा शाहकोट विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनावों में मिले अत्यंत कम समर्थन से प्रतिङ्क्षबबित होता है। यदि पार्टी एक व्यावहारिक तथा विश्वसनीय विकल्प उपलब्ध करवाने का सपना देखती है तो इसे पंजाब में एक नए बदलाव के साथ आगे आना होगा।-विपिन पब्बी

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!