1-2-3-4 से आगे बढ़ने का समय

Edited By ,Updated: 30 Jan, 2024 05:52 AM

time to move on from 1 2 3 4

पिछले सप्ताह जारी की गई 2023 की वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ए.एस.ई.आर.) ‘बुनियादी बातों से परे’ है और 14-18 आयु वर्ग में निम्नलिखित कार्यक्षेत्र का पता लगाती है :

पिछले सप्ताह जारी की गई 2023 की वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ए.एस.ई.आर.) ‘बुनियादी बातों से परे’ है और 14-18 आयु वर्ग में निम्नलिखित कार्यक्षेत्र का पता लगाती है : 

*क्या वे स्कूल, कॉलेज में पढ़ रहे हैं, या व्यावसायिक या तकनीकी पाठ्यक्रम ले रहे हैं?
*क्या वे काम कर रहे हैं?
*क्या वे रोजमर्रा के कार्यों को निपटाने के लिए बुनियादी पढ़ाई और अंकगणितीय क्षमताओं को लागू कर सकते हैं?
*क्या वे डिजिटल रूप से साक्षर हैं?
सर्वेक्षण से पता चलता है कि 85.6 प्रतिशत समूह स्कूल या कॉलेज में भर्ती हैं। महामारी के समय एक बड़ी चिंता यह थी कि आजीविका खतरे में पडऩे के कारण बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल छोड़ देंगे। वह डर निराधार निकला।
हालांकि, युवाओं की मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक कौशल (एफ.एल.एन.) पर ध्यान देने की आवश्यकता है। 

ए.एस.ई.आर. 2023 के अनुसार : *14-18 वर्ष के 73.6 प्रतिशत बच्चे कक्षा 2 स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं। 

*43.3 प्रतिशत एक साधारण (कक्षा 3/4) विभाजन समस्या हल कर सकते हैं।
हालांकि ग्रेड और दाखिला की स्थिति में अंतर है, हमारे युवाओं के एक बड़े हिस्से के पास बुनियादी पढ़ाई और संख्यात्मक कौशल नहीं है।
जो छात्र इन कौशलों के बिना स्कूल में आगे बढ़े हैं, उनके बाद में इन्हें हासिल करने की संभावना नहीं है। एन.ई.पी. (नई शिक्षा नीति) 2020 में कहा गया है, ‘शिक्षा प्रणाली की सर्वोच्च प्राथमिकता 2025 तक प्राथमिक विद्यालय में सार्वभौमिक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता हासिल करना होगी।’ कुछ लोग तर्क देंगे कि अधिक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है और जो बच्चे निरंतर पढ़ाई नहीं कर सकते, वे कई अन्य काम कर सकते हैं। 

अगर बच्चे उत्तर पाने के लिए कैलकुलेटर का इस्तेमाल करना जानते हैं तो हमें इसकी परवाह क्यों करनी चाहिए कि बच्चे भाग कर सकते हैं या नहीं? तो फिर एक स्पष्ट सवाल यह है कि क्या हमारे युवाओं के पास शैक्षणिक दक्षताओं के अलावा रोजमर्रा के काम करने के लिए बुनियादी कौशल भी हैं? ए.एस.ई.आर. 2023 में कुछ कार्यात्मक कार्य शामिल थे, जिनका सामना युवाओं को प्रतिदिन करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, हमने पूछा : 

यदि 15 लीटर पानी को शुद्ध करने के लिए क्लोरीन की 3 गोलियों की आवश्यकता होती है, तो 25 लीटर पानी को शुद्ध करने के लिए क्लोरीन की कितनी गोलियों की आवश्यकता होगी? 48.4 प्रतिशत उत्तर दे सके। समूह को ओ.आर.एस. पैकेट पर दिए गए निर्देशों को पढऩे के लिए कहा गया। 65.1 प्रतिशत युवा 4 में से 3 प्रश्नों का सही उत्तर दे सके। यह संख्या उन युवाओं के अनुपात के करीब दिखती है, जो बुनियादी गणित कर सकते हैं और सरल पाठ पढ़ सकते हैं। इन मूलभूत दक्षताओं और रोजमर्रा के कार्य करने की क्षमता के बीच एक सकारात्मक संबंध देखा जाता है। 

यह सब मूलभूत कौशल के महत्व की ओर इशारा करता है। कक्षा 2 के अंत तक सार्वभौमिक एफ.एल.एन. प्राप्त करने के लिए एन.ई.पी. का प्रयास एक स्वागत योग्य नई दिशा है। हालांकि, जैसा कि पिछले ए.एस.ई.आर. ने दिखाया है, उच्च ग्रेड में भी एफ.एल.एन. में सुधार करने की आवश्यकता है। एफ.एल.एन. पर फोकस के अलावा, एन.ई.पी. 2020 रट्टा-आधारित प्रणाली से ऐसी प्रणाली की ओर बढऩे के महत्व पर भी जोर देती है, जिसके लिए छात्रों को महत्वपूर्ण सोच और समस्या-समाधान कौशल का उपयोग करने की आवश्यकता होती है। 

ए.एस.ई.आर. 2023 में एक कार्य, जिसके लिए आलोचनात्मक सोच की आवश्यकता थी, उसमें युवाओं को तीन बैंकों द्वारा दी जाने वाली ब्याज दरें दिखाई गईं। उनसे पूछा गया कि अगर उन्हें 20,000 रुपए का ऋण लेना है, तो वे किस बैंक में जाएंगे और उन्हें एक वर्ष के बाद कुल कितनी राशि वापस करनी होगी। सबसे कम ब्याज दर की पेशकश 12 प्रतिशत थी। यह प्रश्न केवल उन लोगों को दिया गया था, जो नमूने में घटाव समस्या (63.3 प्रतिशत) हल कर सकते थे। इनमें से केवल 10.6 प्रतिशत या सर्वेक्षण में शामिल सभी युवाओं में से लगभग 6 प्रतिशत प्रश्न के दोनों भागों का सही उत्तर दे सके। 

देय ब्याज की गणना में प्रतिशत की समस्या शामिल है - लगभग 37 प्रतिशत ऐसा कर सकते हैं। हालांकि, अंतिम उत्तर में उन्हें पुनर्भुगतान राशि प्राप्त करने के लिए मूलधन में ब्याज जोडऩे की आवश्यकता थी। यह एक सरल कार्रवाई है। फिर भी, कुछ ही दोनों कार्य कर सके। फिर, जब हर स्मार्टफोन पर कैलकुलेटर होता है तो कोई प्रतिशत की गणना करने में सक्षम होने के महत्व पर बहस कर सकता है। यदि छूट वाले प्रश्न को सही करने वाले छात्रों के समान अनुपात ने पुनर्भुगतान प्रश्न को सही पाया, तो कोई इसे शैक्षणिक कौशल की कमी के कारण कह सकता है, वे नहीं जानते कि प्रतिशत की गणना कैसे करें। हालांकि, मूलधन में ब्याज वापस जोडऩा एक सरल ऑपरेशन है। लेकिन उनमें से कई ऐसा नहीं कर सके। 

हमें इस बात पर पुनॢवचार करने की आवश्यकता है कि हम कैसे पढ़ाते हैं, ताकि छात्र अकादमिक अवधारणाओं और ज्ञान को वास्तविक जीवन की स्थितियों में लागू कर सकें। तथ्य यह है कि एन.ई.पी. इसे स्पष्ट करती है, यह एक शुरुआत है। लेकिन अब मिशन मोड में आने का समय आ गया है, जैसा कि हमने एफ.एल.एन. लक्ष्यों के साथ किया था। 

*भारत इस वक्त अनोखी स्थिति में है।
*अर्थव्यवस्था कोविड के झटके से उबर गई है।
*चीन के विपरीत, इसके पास अभी भी दोहन करने के लिए जनसांख्यिकीय लाभांश है।
*ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच डिजिटल विभाजन, जो कम हो रहा है, ‘डिजिटल लाभांश’ को जन्म दे रहा है।
इस परिदृश्य में, मानव पूंजी के महत्व पर पर्याप्त जोर नहीं दिया जा सकता। भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए, हमारी श्रम शक्ति की गुणवत्ता हमारी विकासात्मक आवश्यकताओं के अनुरूप होनी चाहिए।-विलिमा वाधवा 
    

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