जगत गुरु बनने व जी.डी.पी. में वृद्धि के दावे और वास्तविक स्थिति

Edited By ,Updated: 08 Oct, 2021 06:26 AM

to become a world guru and to become gdp increase in claims and actual status

जगत गुुरु बनने तथा जी.डी.पी. में वृद्धि होने के दावों के बावजूद देश की सारी स्थिति काफी चिंताजनक है। सब लोगों को सरकार द्वारा शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की गारंटी, जीवन की बुनियादी जरूरतें जैसे रोटी, रोजगार तथा रिहायश की प्राप्ति, आॢथक तौर पर...

जगत गुरु बनने तथा जी.डी.पी. में वृद्धि होने के दावों के बावजूद देश की सारी स्थिति काफी चिंताजनक है। सब लोगों को सरकार द्वारा शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की गारंटी, जीवन की बुनियादी जरूरतें जैसे रोटी, रोजगार तथा रिहायश की प्राप्ति, आॢथक तौर पर सारी जनसंख्या का स्व:निर्भर होना तथा समाज में सुरक्षित तथा स्वतंत्र माहौल किसी भी देश की दर्जाबंदी तय करता है।

भारत में जातियों, धर्मों, बोलियों, रस्मों-रिवाजों तथा संस्कृति की बहुलता के कारण वास्तविक धर्मनिरपेक्षता, सहनशीलता, लोकतंत्र, संघीय ढांचा तथा साम्प्रदायिक सद्भावना का मजबूत अस्तित्व  वास्तविक रूप में देश की उत्तमता को मापने का पैमाना भी तय करता है। अफसोस कि इन सब मुद्दों पर देश की मौजूदा अवस्थाएं खरी नहीं उतर रहीं जितने बड़े स्तर पर देश में बेरोजगारी तथा महंगाई बढ़ रही है, उससे सामान्य परिवारों की आॢथक स्थिति काफी डांवाडोल हो चुकी है। 

शिक्षा की प्राप्ति ऊपरी तथा मध्यम स्तर के एक हिस्से तक सीमित होकर रह गई है जबकि सरकार द्वारा आवश्यक सेहत सुविधाएं उपलब्ध करवाने से पूरी तरह से किनारा करने के परिणामस्वरूप निचले स्तर के बहुसंख्यक लोग अनपढ़ तथा बिना इलाज मरने वाली जिंदगी बिताने के लिए मजबूर हैं। सामाजिक सुरक्षा न होने के कारण करोड़ों लोग बुढ़ापे के दिन कैसे व्यतीत करते हैं इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। इन परिस्थितियों के परिणामस्वरूप लोगों में आपसी झगड़े, हत्याएं, लूट, बलात्कार, आत्महत्याएं तथा नशों समेत अनेक असामाजिक कार्रवाइयों में निरंतर वृद्धि हो रही है जिन्हें सत्ताधारी राजनीतिक पक्षों की पुश्तपनाही तथा जी-हजूरी करने वाली अफसरशाही व पुलिस नहीं रोक पा रही। न्यायपालिका भी सत्ताधारी पक्षों की नीतियों की पृष्ठभूमि में अनछुई नहीं रह सकती, जिस कारण आम लोगों का न्याय प्राप्त करना मृगतृष्णा बन कर रह गया है। 

पहले मनमोहन सिंह और अब नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकारों द्वारा जिस तरह से नव उदारवादी आर्थिक नीतियों का अनुसरण किया जा रहा है और देश के स्वयं निर्भर आर्थिक विकास तथा छोटे व मंझोले दर्जे के कारोबारियों के हितों को त्याग कर कार्पोरेट घरानों की सेवा का बीड़ा उठाया हुआ है उससे आॢथक क्षेत्र में देश की पूर्ण तबाही तय है। खुली मंडी की आर्थिकता की पटरी पर चढऩे के परिणामस्वरूप कार्पोरेट घराने मनमर्जी से पैट्रोल, तेल व घरेलू गैस तथा रोजमर्रा जीवन में इस्तेमाल की जा रही वस्तुओं के दाम खतरनाक हद तक बढ़ा रहे हैं जिससे आम लोगों के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया है। इससे अमीर-गरीब का अंतर भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। 

हर रोज ‘लव-जेहाद’, ‘देशद्रोही’, ‘अब्बाजान’, ‘गद्दार’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल धार्मिक अल्पसंख्यकों को डराने-धमकाने तथा नफरत पैदा करने के लिए किया जाता है। यह सब कुछ देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी तथा संघ परिवार द्वारा पूरी तरह से चुप्पी धारण करना अनेक शंकाएं पैदा करता है। एक धर्म के ‘कट्टरवादी साम्प्रदायिक तत्वों’ द्वारा किए जाते विषैले प्रचार के उत्तर में अल्पसंख्यक फिरकों में ‘जनूनी लोगों’ को भी साम्प्रदायिक जहर उगलने का मौका मिल जाता है। ऐसे भद्रपुरुष अल्पसंख्यक भाईचारे के मित्र नहीं बल्कि अपने निजी हितों के लालच की खातिर धार्मिक अल्पसंख्यकों को एक साधन के तौर पर इस्तेमाल करने वाले मौकाप्रस्त राजनीतिज्ञ हैं। दोनों रंगों के साम्प्रदायिक तत्वों की ‘धर्मपरस्ती’ तथा ‘देशभक्ति’ कभी भी जनहितों के अनुरूप नहीं हो सकती। 

यदि देश ने वास्तव में विश्व भर में एक सम्मानित जगह हासिल करनी है तो शासकों को वर्तमान साम्राज्य तथा कार्पोरेट समर्थक आॢथक नीतियों से किनारा करना होगा और जनहितैषी आर्थिक विकास का रास्ता चुनना पड़ेगा जहां हर व्यक्ति को रोटी, रोजी, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा तथा सामाजिक सुरक्षा जैसी सभी सुविधाएं प्राप्त हों। 

दूसरी ओर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विकसित किए तथा 1947 के बाद सभी सीमाओं पर कमियों के बावजूद ‘धर्मनिरपेक्षता’, ‘लोकराज’ तथा ‘संघवाद’ के उसूलों की रक्षा ही नहीं बल्कि इनका और विस्तार करना होगा। जब प्रधानमंत्री मोदी लोकराज को दोधारी ‘तलवार’ कहते हैं तो वे असल में अपने भीतर छुपी ‘फासीवादी तथा साम्प्रदायिक’ सोच का ही प्रकटावा कर रहे होते हैं क्योंकि लोकराज सदैव लोगों की उमंगों, स्वतंत्रताओं, अधिकारों तथा विकास के साथ नजदीक से जुड़ा होता है।-मंगत राम पासला

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!