‘लालू एंड फैमिली’ की बेहिसाब सम्पत्ति

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jul, 2017 11:16 PM

unaccounted property of lalu and family

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तथा  पूर्व केन्द्रीय मंत्री रह चुके लालू प्रसाद यादव और उनका.....

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तथा  पूर्व केन्द्रीय मंत्री रह चुके लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दिल्ली स्थित तीन सम्पत्तियों की जांच किए जाने के कारण समस्याओं में घिर गया है। इन तीनों सम्पत्तियों के कारण लालू की सांसद बेटी मीसा भारती और दामाद धन शोधन के आरोपों में घिर गए हैं। इससे पहले ई.डी. ने लालू के बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को पटना में भूमि घोटालों और भ्रष्टाचार के आरोपों में घेरा है। 

उल्लेखनीय है कि यह सम्पत्तियां जाली कम्पनियों के नाम पर खरीदी गई हैं और इनकी वास्तविक कीमत की तुलना में दस्तावेजी कीमत बहुत कम दिखाई गई है ताकि टैक्स चोरी भी हो सके और धन शोधन भी। दिल्ली की न्यू फै्रंड्स कालोनी में मकान नं. 1088 वैसे तो ए.बी. एक्सपोर्ट्स प्रा. लि. के नाम पर है और उसकी दस्तावेजी कीमत मात्र 5 करोड़ रुपए है लेकिन इसके कथित लाभार्थी तेजस्वी यादव, चंदा और रागिनी यादव हैं तथा इस सम्पत्ति का बाजार मूल्य भी 40 करोड़ रुपए है। इसी प्रकार दिल्ली के बिजवासन इलाके में पालम फार्म नं. 26 मिशैल पैकर्ज एंड प्रिंटर्ज प्रा. लि. के नाम पर है और उसकी दस्तावेजी कीमत केवल 1.4 करोड़ रुपए है जबकि वास्तव में इसका बाजार मूल्य 40 करोड़ रुपए है और इसके असली मालिक मीसा भारती और उनके पति शैलेष कुमार है। 

उधर बिहार में भी एक बोगस कम्पनी ए.के. इंफोसिस्टम के नाम पर जलालपुर, दानापुर और पटना में तीन प्लाट हैं जिनका बाजार मूल्य 20 करोड़ रुपए है। लेकिन दस्तावेजी कीमत केवल 1.6 करोड़ रुपए है और इनके वास्तविक लाभार्थी राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव हैं। एक अन्य बोगस कम्पनी डिलाइट मार्किटिंग प्रा. लि. के नाम पर पटना, दानापुर और जलालपुर में 9 प्लाट हैं, जिनकी दस्तावेजी कीमत मात्र 1.9 करोड़ रुपए लेकिन बाजार मूल्य 65 करोड़ रुपए है और इनके वास्तविक मालिक राबड़ी देवी तथा तेजस्वी यादव हैं। 

लालू परिवार से संबंधित जिन रियल एस्टेट सम्पत्तियों की आयकर विभाग जांच कर रहा है उनकी बाजार कीमत  175 करोड़ रुपए है जबकि इनका खरीद मूल्य केवल 9.32 करोड़ रुपए दिखाया गया है। अब तक परिवार से संबंधित 65.82 करोड़ रुपए की सम्पत्ति कुर्क की जा चुकी है जबकि चार्टर्ड अकाऊंटैंट राजेश अग्रवाल 8 हजार करोड़ रुपए धन शोधन के ऐसे मामलों में संलिप्त है जो कथित तौर पर लालू परिवार से संबंधित है। सी.बी.आई. का कहना है कि लालू ने 2014 में रेलवे मंत्री रहते समय बहुत संदिग्ध तरीके प्रयुक्त करते हुए और अनेक लोगों के साथ साजिशपूर्ण सौदेबाजियां करके यह सम्पत्ति जुटाई थी। इन बेनामी सौदों में विनय मित्तल, अमित कत्याल, राजेश अग्रवाल, जैन ब्रदर्स सहित अनेक लोगों ने लालू के भ्रष्टाचार में हाथ बंटाया। 

लालू यादव कह रहे हैं कि वह भाजपा के सबसे मुखर आलोचक हैं इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है लेकिन सी.बी.आई. का दावा है कि वह भ्रष्टाचार के एक भी मामले से अपरिचित नहीं थे। गौरतलब है कि दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके लालू पहले ही भ्रष्टाचार के आरोपों के सिद्ध हो जाने के बाद अब कोई भी सार्वजनिक पद ग्रहण करने के अयोग्य हो चुके हैं। लेकिन दो बेटे नीतीश मंत्रिमंडल में मंत्री हैं। लेकिन नीतीश भी दागी हो चुके अपने इन गठबंधन सहयोगियों से दूरी रख रहे हैं और भाजपा नीत राजग के साथ घनिष्ठता बढ़ा रहे हैं। 

यहां तक कि उन्होंने भाजपा के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन करने की काफी दिन पहले ही घोषणा कर दी थी। बेनामी सम्पत्तियों के सौदों में लालू के परिवार के आधा दर्जन सदस्य संदेह के दायरे में हैं। आरोप सिद्ध हो जाने पर उन्हें न केवल 7 वर्ष तक की कारावास की सजा हो सकती है बल्कि भारी जुर्माना भी अदा करना होगा। 

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