ट्रम्प ने किस प्रकार की ‘विरासत’ अपने पीछे छोड़ी

Edited By ,Updated: 10 Nov, 2020 02:35 AM

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विश्व का प्रत्येक नेता अपने पीछे एक विरासत छोड़ता है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने किस प्रकार की विरासत अपने पीछे छोड़ी है? उनके उत्तराधिकारी जो बाइडेन ने विरासत में कुछ बुरी तथा कुछ अच्छी नीतियां पाई हैं जिनसे उनको निपटना होगा...

विश्व का प्रत्येक नेता अपने पीछे एक विरासत छोड़ता है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने किस प्रकार की विरासत अपने पीछे छोड़ी है? उनके उत्तराधिकारी जो बाइडेन ने विरासत में कुछ बुरी तथा कुछ अच्छी नीतियां पाई हैं जिनसे उनको निपटना होगा। रायटर की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प की विरासत कुछ इस तरह थी।

रिपोर्ट के अनुसार वह यह जानते थे कि बीमार अमरीका के लिए अच्छा क्या होगा? ट्रम्प ने बहूद्देश्यीय समझौतों को तोड़ दिया या फिर उन्हें बाधित किया। उन्होंने टैक्स की कायापलट की तथा आव्रजन प्रणाली को ठीक किया। सीनेट रिपब्लिकन की मदद से ट्रम्प ने न्यायपालिका को एक नया आकार दिया। समय रहते उनकी कार्रवाइयों को नष्ट कर दिया जाएगा। उनकी हार के बावजूद भी उनकी विरासत संघीय अदालतों में टिकी रहेगी। जहां पर उनके रूढि़वादी जीवनकाल की नियुक्तियां दशकों तक अमरीकी जीवन के प्रत्येक पहलुओं पर अपना प्रभाव छोड़ेंगी। 

2020 के अमरीकी राष्ट्रपति चुनावों ने यह उजागर किया है कि अमरीका कैसे बंटा हुआ है। वर्तमान में अमरीका श्रेणी, नस्ल, अर्थव्यवस्था, राजनीति, ग्रामीण/शहरी तथा ङ्क्षलग के आधार पर सीधे तौर पर बंटा हुआ है। ट्रम्प के ऊपर एक बांटने वाले व्यक्ति होने का आरोप लगा है। नवनिर्वाचित अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमरीका को एकजुट करने की अपनी प्राथमिकता पर जोर दिया है पहली चुनौती के तौर पर मगर देश को एकजुट करने के लिए बाइडेन को कुछ प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। 

दूसरी चुनौती कोविड महामारी की विरासत के रूप में है। इसमें कोई शंका वाली बात नहीं कि ट्रम्प ने महामारी को उत्पन्न नहीं किया, मगर वह कुछ बेहतर तरीके से इसे संभाल सकते थे। ट्रम्प के खिलाफ बाइडेन का मुख्य मुद्दा यह रहा कि उन्होंने कोविड को किस तरह नकारा। अमरीका में पूरे विश्व भर से सबसे ज्यादा कोविड के मामले थे। तीसरा यह कि कोविड के चलते अमरीकी अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई। बराक ओबामा ने चार वर्ष पूर्व अपने पीछे सम्पन्न अर्थव्यवस्था छोड़ी थी। यहां तक कि ट्रम्प ने भी इस मामले में अपने पहले तीन वर्षों के दौरान अच्छी कारगुजारी की थी। वास्तव में कोविड ने दोबारा राष्ट्रपति बनने के ट्रम्प के सपने को चूर-चूर कर दिया। यदि चुनाव पिछले वर्ष हुए होते या फिर एक वर्ष बाद तो ट्रम्प व्हाइट हाऊस में फिर से प्रवेश कर जाते? मगर आज अमरीकी लोग झुकी हुई अर्थव्यवस्था देख रहे हैं। 

चौथी चुनौती ट्रम्प की विदेश नीति हो सकती है जहां पर ट्रम्प ने कुछ क्षेत्रों में गड़बड़ वाली विरासत छोड़ रखी है। हालांकि उन्होंने किसी भी देश के साथ युद्ध नहीं शुरू किया। मगर अमरीका उत्तर कोरिया, ईरान तथा वेनेजुएला के साथ भिड़ता रहा। इसराईल के अरब देशों के साथ रिश्ते अप्रत्याशित तौर पर आगे बढ़ते दिखाई दिए मगर फिलस्तीन की अनदेखी की गई। ईरान को लेकर ट्रम्प का तीखा रुख एक युद्ध की दहलीज तक पहुंच चुका था। अफगानिस्तान को भी एक अच्छी कूटनीति की जरूरत है। 

नए शीत युद्ध के डर से चीन के साथ अमरीका के संबंध बिगड़ते गए। विशेष तौर पर तब जब ट्रम्प ने चीन को कोविड वायरस कह दिया। चीन से निपटने के लिए उन्होंने दो प्रमुख रणनीतियां अपनाईं। पहली भारत के साथ गठजोड़ करना और दूसरी चीन के उत्थान पर अंकुश लगाने के लिए ताईवान को हथियार बेचना। भारत ने क्वाड को पुनर्जीवित किया। आस्ट्रेलिया को जापान तथा अमरीका के साथ नौसेना अभ्यास के लिए आमंत्रित किया। 

बहुपक्षीय संस्थानों में ट्रम्प ने अपने पीछे अमरीका के लिए एक कम की गई भूमिका छोड़ी। अमरीकी योगदान को वापस लेकर ट्रम्प ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) को धमकाया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को धमकाया कि अमरीकी योगदान नहीं दिया जाएगा यदि वह अपने आप में सुधार नहीं करता। उन्होंने विशेष सैन्य नियंत्रण समझौतों तथा पैरिस जलवायु समझौते को भी समाप्त कर दिया। 

बाइडेन ने पहले से ही घोषणा कर रखी है कि वह पैरिस जलवायु समझौते का समर्थन करेंगे। इसे दोबारा कायम करेंगे। पांचवां यह कि व्यापार से संबंधित मुद्दों को लेकर ट्रम्प ने एक कठोर व्यवसाय का खेल खेला।  उन्होंने अन्य देशों विशेषकर चीन के साथ ट्रेड घाटे को सिकोडऩे का वायदा किया। उन्होंने बहुपक्षीय गठजोड़ों तथा विश्व व्यापार संगठन नियमों को चुनौतियां दीं। वास्तव में अपने राष्ट्रपति बनने के पहले सप्ताह ही उन्होंने ट्रांस-पैसेफिक पार्टनरशिप को छोड़ दिया। यह एक ऐसी ट्रेड डील थी जिसे ओबामा ने तय किया था। 

अब हारने के बाद ट्रम्प क्या करेंगे? राष्ट्रपति पद खोने के बाद ट्रम्प क्या करने वाले हैं, इसके बारे में कई अटकलें लगाई जा रही हैं। वह फिर से अपने पारिवारिक व्यवसाय में लौट जाएंगे या फिर एक ट्रम्प फाऊंडेशन का गठन करेंगे। इसके साथ यह भी अटकलबाजी है कि वह एक नया टैलीविजन नैटवर्क लांच करेंगे। इसके साथ-साथ वह अपनी यात्राएं जारी रखेंगे और अपने संस्मरण लिखेंगे जोकि उनके पूर्ववर्ती करते रहे हैं। वह 2024 के राष्ट्रपति चुनावों की दौड़ में भी रह सकते हैं मगर उन्होंने अभी अपने पत्ते नहीं खोले।-कल्याणी शंकर
 

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