बैंकों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों से भेदभाव क्यों

Edited By Pardeep,Updated: 29 Oct, 2018 05:05 AM

why banks discriminate from retired employees

सरकारी  बैंकों से सेवानिवृत्त कर्मचारी आजकल बेहद दुखदायी हालात से गुजर रहे हैं लेकिन अफसोस   कि न सरकार और न ही किसी विरोधी पक्ष द्वारा इन लाखों पैंशनरों की त्रासदी की ओर कभी ध्यान दिया गया। किसी भी सरकारी विभाग से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारी, चाहे वह...

सरकारी  बैंकों से सेवानिवृत्त कर्मचारी आजकल बेहद दुखदायी हालात से गुजर रहे हैं लेकिन अफसोस   कि न सरकार और न ही किसी विरोधी पक्ष द्वारा इन लाखों पैंशनरों की त्रासदी की ओर कभी ध्यान दिया गया। किसी भी सरकारी विभाग से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारी, चाहे वह केन्द्र सरकार से संबंधित हो या किसी राज्य सरकार के साथ, को मिलने वाली पैंशन सरकार द्वारा गठित वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार खुद-ब-खुद रिवाइज हो जाती है। 

बैंक कर्मचारियों के लिए 1995 में शुरू की गई पैंशन योजना के लिए सरकार ने पैंशन फंड का गठन किया, जिसमें बैंक कर्मचारियों को पी.एफ. में जमा अपना लाखों रुपए का बकाया देना पड़ा और इस पैंशन फंड से ही सेवानिवृत्त कर्मचारियों को हर माह उनकी बनती पैंशन का भुगतान किया जाता है। इंडियन बैंक एसोसिएशन, जो बैंकों का प्रतिनिधित्व करती है और यूनाइटिड फोरम आफ बैंक यूनियन्स के प्रतिनिधि बैंक कर्मचारियों की सेवा नियमों संबंधी 5 वर्ष बाद होने वाले समझौते में शामिल होते हैं। 

केन्द्र सरकार द्वारा गठित किए जाते केन्द्रीय वेतन आयोग द्वारा समय-समय पर कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि करने की सिफारिश की जाती है। इस वृद्धि के आधार पर केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों के अलग-अलग विभागों से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों की पैंशन में वृद्धि होती रहती है। आप कभी सोच भी नहीं सकते कि गत 25 वर्षों से बैंकों के सेेवानिवृत्त कर्मचारियों की बेसिक पैंशन में एक रुपए की भी वृद्धि नहीं हुई। बेशक सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को मिलने वाली पैंशन को उनका अधिकार बताया है मगर शर्मनाक बात है कि बैंकों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था आई.बी.ए. तथा यूनाइटिड फोरम आफ बैंक यूनियन्स के प्रतिनिधियों ने बैंकों के लाखों सेवानिवृत्त कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए उनको कभी भी सुविधाएं देने बारे नहीं सोचा। बैंक कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि होती है मगर यह वृद्धि बैंक पैंशनरों को नहीं दी जाती, जिस कारण उनका बेसिक वेतन वहीं खड़ा है। इतना समय गुजर जाने के बाद अधिकतर अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद आज भी 15-20 हजार रुपए महीने की पैंशन से ही गुजारा करने के लिए मजबूर हैं। महंगाई के इस जमाने में और जीवन के अंतिम दौर में उनको बेहद मुश्किल स्थितियों में गुजर-बसर करना पड़ता है। 

सरकार तथा आई.बी.ए. आज बैंकों की खराब आॢथक स्थिति का हवाला देकर पैंशनरों के पैंशन अपडेशन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से मुंह मोड़ती दिखती है मगर असल में देखा जाए तो सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारियों को दी जाने वाली पैंशन तथा अन्य सुविधाओं का बैंकों के रूटीन लेन-देन से कोई संबंध ही नहीं क्योंकि उनको पैंशन तथा दी जाने वाली अन्य किसी भीसुविधा का भुगतान बैंकों ने पैंशन फंड से करना होता है। एक अनुमान के अनुसार 20 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक राशि पैंशन फंड में आरक्षित पड़ी है, जिस पर ब्याज के तौर पर हर वर्ष हजारों करोड़ रुपए जुड़ते जा रहे हैं और पैंशन के भुगतान के लिए मात्र लगभग 8 हजार करोड़ रुपए का खर्च हो रहा है। इस फंड से राशि को किसी अन्य उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यदि ऐसा होता है तो यह सरासर अमानत में ख्यानत होगी। 

एक अन्य दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि 30-40 वर्ष सरकारी बैंकों में सेवा देने वाले कर्मचारियों को जीवन के अंतिम दौर में किसी बीमारी का उपचार करवाने के लिए हर वर्ष हैल्थ इंश्योरैंस पालिसी लेने हेतु बाजार से भी अधिक मोटी रकम बैंकों को देनी पड़ रही है। उदाहरण के तौर पर सेवानिवृत्त हुए एक अधिकारी को अपनी तथा अपनी पत्नी के लिए यह पालिसी प्राप्त करने हेतु 28,792 रुपए अदा करने पड़ रहे हैं जबकि डोमीसैलरी लाभ लेने के लिए उसको साल के 82,373 रुपए देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है और वे केवल 4 लाख रुपए का कवर प्राप्त कर सकते हैं। इससे भी खराब पहलू यह है कि यदि पैंशनर की पत्नी गुजर जाती है तो उसको अकेले के लिए भी उतनी ही राशि का भुगतान करना पड़ता है, जो सरासर धक्का है। उसकी मजबूरी यह है कि वह बीमा कम्पनी के साथ लम्बे समय पूर्व जुड़ कर यह पालिसी ले रहा है मगर इंश्योरैंस का हर साल नवीनीकरण  करने के लिए प्रीमियम की रकम में कम्पनी वृद्धि करती जा रही है। इस उम्र में वे अन्य किसी कम्पनी से हैल्थ कवर लेने के योग्य नहीं रहे। 

इससे भी बड़ा सितम यह है कि किसी सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारी की मौत के पश्चात उसकी पत्नी को मिलने वाले फैमिली पैंशन कर्मचारी को मिलने वाली पैंशन का 15 प्रतिशत ही होता है। प्रधानमंत्री व अन्य मंत्रियों तथा सांसदों से विनती है कि वे देश के आॢथक क्षेत्र में लम्बा समय बैंकों की सेवा में योगदान डालने वाले सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारियों की इस कठिनाई की ओर ध्यान दें और केन्द्र व राज्य सरकारें समय-समय पर इन सुविधाओं में संशोधन करने की व्यवस्था करें।-सुरिंद्र सिंह पुरी

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