व्यापारियों के 30 करोड़ वोट 19 राज्यों की 195 सीटों पर भारी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Apr, 2019 01:34 PM

30 million votes of merchants in 195 seats in 19 states

देश के व्यापारी इस बार किसी भी राजनीतिक दल को एकतरफा वोट करने वाले हैं। चुनाव की घोषणा से पहले व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन कंफैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने व्यापारियों को एक वोट बैंक के रूप में तबदील करने का ऐलान किया था।

बिजनेस डेस्कः देश के व्यापारी इस बार किसी भी राजनीतिक दल को एकतरफा वोट करने वाले हैं। चुनाव की घोषणा से पहले व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन कंफैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने व्यापारियों को एक वोट बैंक के रूप में तबदील करने का ऐलान किया था। इसी के तहत देश के व्यापारियों ने ‘एक देश-एक व्यापारी-एक वोट’ के नारे के साथ राष्ट्रीय अभियान छेड़ रखा है। कैट ने भोपाल में हुए सम्मेलन में दावा किया कि देश में 7 करोड़ व्यापारी हैं, जिन्होंने 45 करोड़ लोगों को रोजगार दे रखा है। देश में प्रतिवर्ष 42 लाख करोड़ रुपए का व्यापार करते हैं। ऐसे में व्यापारियों का करोड़ों का वोट बैंक यदि किसी एक ही पार्टी को वोट देता है तो चुनाव परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं, हालांकि अभी कैट ने यह रुपष्ट नहीं किया है कि व्यापारी कहां वोट करने वाले हैं।  

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जनवरी माह में ही तैयार कर लिया था चुनाव का खाका
कैट ने दावा किया कि व्यापारियों के 30 करोड़ वोट 19 राज्यों की 195 सीटों के चुनावी नतीजों पर भारी पड़ सकते हैं। जनवरी माह में व्यापारियों को वोट बैंक में तबदील करने के लिए भोपाल में कंफैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के 2 दिवसीय सम्मेलन में 24 राज्यों के 200 शीर्ष व्यापारियों ने लोकसभा चुनाव का खाका तैयार कर लिया था। व्यापारी नेताओं ने एक स्वर से देशभर के व्यापारियों को वोट बैंक में बदलने का निर्णय लिया था।   

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क्या कहते हैं व्यापारी नेता
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि लंबे समय से यह देखा गया है कि देश में वोट बैंक राजनीति का बोलबाला है। ऐसे में देश के आर्थिक विकास में व्यापारियों के महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद किसी भी सरकार अथवा राजनीतिक दल ने व्यापारियों को महत्व नहीं दिया। राजनीतिक हालात में व्यापारियों को हमेशा नकारा जाता रहा है। लोकसभा चुनाव अब देश के व्यापारियों के लिए एक सही मौका है, जब वह अपनी भूमिका को राजनीतिक दलों के सामने मजबूती से रख सकते हैं।

ये हैं व्यापारियों की मांगें
खंडेलवाल का कहना है कि वर्तमान में व्यापारी जी.एस.टी. का सरलीकरण चाहते हैं। रिटेल व्यापार और ई-कामर्स में एफ.डी.आई., व्यापारियों को आसान शर्तों पर कर्ज मिलना भी उनकी मांगों में शामिल हैं। राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय ट्रेड पॉलिसी का न होना आदि ऐसी समस्याएं हैं जिनसे व्यापारी आए दिन परेशान रहते हैं। इसे देखते हुए व्यापारी अब राष्ट्रीय स्तर पर लामबंद हो चुके हैं और आम चुनाव में एक वोट बैंक के रूप में मतदान के लिए तैयार हैं।

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कांग्रेस का व्यापारियों से वादा
कांग्रेस ने व्यापारियों से यह वादा किया है कि सत्ता में आने के बाद जी.एस.टी. में व्यापक स्तर पर बदलाव किया जाएगा जिससे छोटे व मंझले व्यापारियों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। ई-वे बिल को समाप्त करने का भी कांग्रेस ने वादा किया है। घोषणा पत्र में यह भी ऐलान किया गया है कि कारोबार शुरू करने के लिए 3 साल तक किसी भी तरह की सरकारी स्वीकृति की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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भाजपा की है यह नीति
भाजपा ने कहा कि सत्ता में दोबारा आने पर छोटे कारोबारियों के लिए राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड गठित किया जाएगा। राष्ट्रीय खुदरा कारोबार नीति बनाने का भी भाजपा ने वादा किया है। चुनाव से कुछ ही महीने पहले सरकार ने व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए ई-कामर्स कंपनियों के लिए बिक्री संबंधी नए नियम लागू कर दिए हैं।

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