चावल के बाद चीनी बिगाड़ेगी दुनिया का स्वाद, भारत ले सकता है बड़ा फैसला

Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Aug, 2023 06:10 PM

after rice sugar will spoil the taste of the world

ग्लोबल सप्लाई कम होने के कारण दुनिया दक्षिण एशियाई देशों से चीनी एक्सपोर्ट पर ज्यादा निर्भर हो गई है। भारत के कृषि क्षेत्रों में असमान बारिश ने और भी चिंताएं बढ़ा दी हैं। जानकारों की मानें तो इसकी वजह से देश में शुगर प्रोडक्शन में अक्तूबर से शुरू...

बिजनेस डेस्कः ग्लोबल सप्लाई कम होने के कारण दुनिया दक्षिण एशियाई देशों से चीनी एक्सपोर्ट पर ज्यादा निर्भर हो गई है। भारत के कृषि क्षेत्रों में असमान बारिश ने और भी चिंताएं बढ़ा दी हैं। जानकारों की मानें तो इसकी वजह से देश में शुगर प्रोडक्शन में अक्तूबर से शुरू होने वाले सीजन में लगातार दूसरे वर्ष संभावित रूप से गिरावट आने की संभावना है, जिसकी वजह से देश की एक्सपोर्ट कैपेसिटी कम हो सकती है। सरकार ने घरेलू सप्लाई को बचाने और कीमतों को कम करने के लिए पहले ही गेहूं और चावल की कुछ किस्मों के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे ग्लोबल फूड मार्कीट्स पर दबाव बढ़ गया है जो पहले से ही खराब मौसम और यूक्रेन वॉर से परेशान हैं।

कितना कम हो सकता है प्रोडक्शन

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में ट्रॉपिकल रिसर्च सर्विसेज में चीनी और इथेनॉल के प्रमुख हेनरिक अकामाइन ने कहा कि चावल निर्यात प्रतिबंध एक स्पष्ट संकेत है कि सरकार फूड सेफ्टी और महंगाई को लेकर काफी परेशान है। उन्होंने कहा कि अब चिंता की बात यह है कि सरकार शायद चीनी के संबंध में भी कुछ ऐसा ही करेगी। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्य उत्पादक क्षेत्रों में जून में पर्याप्त बारिश नहीं हुई, जिससे फसल पर दबाव पड़ा। ग्रुप को उम्मीद है कि 2023-24 में चीनी का उत्पादन एक साल पहले की तुलना में 3.4 फीसदी गिरकर 31.7 मिलियन टन हो जाएगा। फिर भी, झुनझुनवाला ने कहा कि सप्लाई घरेलू डिमांड को पूरा कर सकती है।

इथेनॉल भी बन रहा है फैक्टर

इस बीच भारत बायो फ्यूल के लिए अधिक चीनी का उपयोग करने के लिए तैयार है। एसोसिएशन का मानना ​​है कि मिलें इथेनॉल बनाने के लिए 4.5 मिलियन टन का उपयोग कर रही हैं, जो एक साल पहले की तुलना में 9.8 फीसदी अधिक है। स्टोनएक्स में चीनी और इथेनॉल के प्रमुख ब्रूनो लीमा के अनुसार इस प्रोडक्शन लेवल पर भारत एक्सपोर्ट नहीं कर सकता है। अगर इथेनॉल डायवर्जन पूरी तरह से किया जाएगा तो हमें बारीकी से पालन करना होगा। भारत के खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने शुक्रवार को कम चीनी उत्पादन के आई.एस.एम.ए. के आकलन की आलोचना करते हुए कहा कि यह बहुत ही प्रीमेच्योर है और इससे देश में कमी की आशंका पैदा हो गई है।

पहले से ही चल रहा है एक्सपोर्ट कट

भारत ने पहले भी चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है। 2022-23 सीजन के लिए शिपमैंट 6.1 मिलियन टन पर सीमित है, जो एक साल पहले 11 मिलियन टन से कम है। अगले सीजन में अकामाइन और लीमा सहित विश्लेषकों को उम्मीद है कि केवल 2 मिलियन से 3 मिलियन टन की अनुमति दी जाएगी या बिल्कुल भी नहीं। इससे ग्लोबल प्राइसेस में और इजाफा देखने को मिल सकता है। इस वर्ष चीनी का वायदा भाव लगभग 20 फीसदी बढ़ गया है। बाजार को चिंता है कि अल नीनो दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में गर्म और शुष्क स्थिति लाएगा, जिससे प्रोडक्शन में नुक्सान होगा। थाईलैंड में भी उत्पादन में गिरावट देखी जा सकती है।

कब तक लिया जाएगा फैसला

दक्षिणी अफ्रीका और मध्य अमरीका जैसे अन्य क्षेत्रों में कम उत्पादन की वजह से कीमतों में और इजाफा देखने को मिल सकता है। भारत सरकार द्वारा 2023-24 चीनी निर्यात कोटा पर अभी तक कोई निर्णय लेने की संभावना नहीं है। कटाई अक्तूबर से ही शुरू होगी और आई.एस.एम.ए. ने कहा कि बारिश में हालिया सुधार से फसल को फायदा होगा। राबोबैंक के वरिष्ठ कमोडिटी विश्लेषक कार्लोस मेरा ने कहा कि अधिकारी तब तक इंतजार करेंगे जब तक उन्हें उत्पादन का पूरा ब्यौरा नहीं मिल जाता है।
 

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