क्रैडिट कार्ड में बढ़ रही भारतीयों की दिलचस्पी

Edited By ,Updated: 25 May, 2015 11:58 AM

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देश में क्रैडिट कार्ड की संख्या अब 2 करोड़ से ऊपर पहुंच गई है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर के

मुंबईः देश में क्रैडिट कार्ड की संख्या अब 2 करोड़ से ऊपर पहुंच गई है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर के आखिर तक क्रैडिट कार्ड की संख्या 2.029 करोड़ थी। फरवरी 2010 के बाद पहली बार आंकड़ा इस स्तर तक पहुंचा है। 

बैंकरों का कहना है कि ई-कॉमर्स में तेजी औऱ बैंकिंग व्यवस्था के बुनियाद ढांचे में सुधार, कार्डों की स्वीकार्यता आसान होने की वजह से इसकी वृद्धि को गति मिली है। ऑनलाइन खरीदारी बढ़ने से बैंकों को उम्मीद है कि भविष्य में क्रैडिट कार्डधारकों की संख्या और बढ़ेगी। 

मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का इटंरनैट बाजार 2020 तक 137 अरब डॉलर (संयुक्त सालाना वृद्धि दर-सीएजीआर 43 प्रतिशत) का हो सकता है और इसमें ई-कॉमर्स की हिस्सेदारी 102 अरब डॉलर की होगी।

निजी क्षेत्र के एक बैंक के प्रमुक ने कहा, ''मोबाइल एप्पलीकेशंस, इंटरनैट के माध्यम से खरीदारी और कार्डों का इस्तेमाल बढ़ा है। तमाम बैंकों ने कुछ वैबसाइटों से समझौता किया है, जिसके तहत वे कार्ड से खरीदारी पर अतिरिक्त छूट देते हैं, जिससे कार्डों के विस्तार में मदद मिलती है। सिर्फ शॉपिंग ही नहीं, बल्कि रिचार्ज, बिलों के भुगतान, सिनेमा के टिकट की बुकिंग आदि जैसे तमाम काम ऑनलाइन हो रहे हैं, जिससे विस्तार में मदद मिल रही है।''

बैंकरों का कहना है कि ऑनलाइन खरीदारी के अलावा लेन-देन सुविधाजनक होने की वजह से भी इसका विस्तार हो रहा है। इंडसइंड बैंक के खुदरा असुरक्षित संपत्ति (क्रैडिट कार्ड और व्यक्तिगत ऋण) के प्रमुख अनिल रामचंद्रन ने कहा, ''उपभोक्ताओं की अपेक्षाएं अब बढ़ रही हैं, जिसकी वजह से क्रैडिट कार्ड के आधार में और बढ़ौतरी होगी। कई तरह की पेशकश किए जाने के अलावा उपभोक्ता अब यह भी जान गएं हैं कि इसका प्रबंधन किस तरह से चालाकी के साथ किया जाए। इसकी वजह से इस क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हो रही है।''

रिजर्व बैंक के आंकड़़ों से पता चलता है कि न सिर्फ कार्डों की संख्या बढ़ी है, बल्कि खर्च भी बढ़ा है। दिसंबर 2011 के आखिर में जहां क्रैडिट कार्ड से खर्च 8,532.6 करोड़ रुपए था जो दिसंबर 2014 में बढ़कर 17,437.1 करोड़ रुपए हो गया। 

वर्ल्डलाइन इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक चंदानी ने कहा कि कार्ड की स्वीकार्यता बढ़ने के अलावा इस क्षेत्र में तेजी की एक वजह वृद्धि दर में बढ़ौतरी है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था पटरी पर है और जब ऐसा होता है तो कार्ड पर नुक्सान घटता है। इसकी वजह से बैंक भी अपने ग्राहकों का आधार बढ़ाने का कोशिश करते हैं।

 

 

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