विदेश में 'इनडायरेक्ट इनवेस्टमेंट' पर आयकर विभाग की नजर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Feb, 2019 12:17 PM

asking income tax inquiry on foreign direct taxes

विदेश में शेयरों और प्रॉपर्टी में निवेश करने वाले या विदेशी ट्रस्टों के बेनेफिशियरी में शामिल अमीर भारतीयों की ओर आयकर विभाग की नजर घूमी है। विभाग उनसे जानना चाहता है कि अपने ''इनडायरेक्ट इनवेस्टमेंट्स'' की जानकारी इन लोगों ने क्यों नहीं दी।

मुंबईः विदेश में शेयरों और प्रॉपर्टी में निवेश करने वाले या विदेशी ट्रस्टों के बेनेफिशियरी में शामिल अमीर भारतीयों की ओर आयकर विभाग की नजर घूमी है। विभाग उनसे जानना चाहता है कि अपने 'इनडायरेक्ट इनवेस्टमेंट्स' की जानकारी इन लोगों ने क्यों नहीं दी। अगर कोई भारतीय व्यक्ति किसी विदेशी कंपनी में स्टेकहोल्डर हो और वह कंपनी दूसरी विदेशी कंपनियों में निवेश करे तो ऐसा निवेश भारतीय व्यक्ति का इनडायरेक्ट इनवेस्टमेंट कहा जाएगा। 

अगर किसी शख्स की दुबई में किसी अनलिस्टेड विदेशी कंपनी ए में 15 प्रतिशत हिस्सा हो और वह कंपनी तीन अमेरिकी कंपनियों बी, सी और डी में शेयरहोल्डर हो तो टैक्स डिपार्टमेंट के अनुसार बी, सी और डी में इनडायरेक्ट ओनरशिप का खुलासा इनकम टैक्स रिटर्न में कंपनी ए में किए गए निवेश की जानकारी देने के साथ किया जाना चाहिए। 

हो सकता है 10 लाख रुपए का जुर्माना 
सूत्रों ने बताया कि विभाग ने कुछ 'हाई प्रोफाइल लोगों' से सवाल किया है कि उन्होंने अपने इनडायरेक्ट इनवेस्टमेंट की जानकारी क्यों नहीं दी, जबकि कानून के मुताबिक बतौर इंडियन रेजिडेंट वे सभी कंपनियों के अल्टीमेट बेनेफिशियल ओनर हैं। ऐसी जानकारी न देने पर कम से कम 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है और अगर टैक्स डिपार्टमेंट जवाब से संतुष्ट न हो तो वह ब्लैक मनी से जुड़े नए कानून के तहत कदम उठा सकता है। 

सीनियर चार्टर्ड अकाउंटेंट दिलीप लखानी ने कहा, 'बेनेफिशियल ओनरशिप की परिभाषा देने के लिए इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 139 को बदला गया था। इनडायरेक्ट ओनरशिप को भी इस परिभाषा के दायरे में लिया गया है। यह परिभाषा पहली अप्रैल 2016 से लागू हुई थी। भारत से बाहर किसी स्ट्रक्चर में किए गए ऐसे निवेश को इसमें कवर किया गया है, जिससे बाद में दुनिया में कहीं भी दूसरे स्ट्रक्चर्स में निवेश किया गया हो। ऐसे डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट पर निर्णय करने के लिए इंडियन रेजिडेंट के पास ठीकठाक हिस्सेदारी या वोटिंग पावर या बोर्ड पर कंट्रोल हो तो उसके निवेश को संशोधित परिभाषा के तहत रखा जा सकता है। हालांकि मेरा मानना है कि इस परिभाषा की काफी बड़े दायरे में व्याख्या की जा रही है। क्या भारत या विदेश में किसी भी स्ट्रक्चर में किए गए किसी निवेश को संशोधित परिभाषा के दायरे में लिया जा सकता है, जिसने फिर अमेरिका, केमन या आयरलैंड में निवेश किया हो?' 

भारतीय नागरिक किसी विदेशी कंपनी में शुरुआती निवेश आरबीआई की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के जरिए कर सकते हैं। यह स्कीम किसी भी भारतीय नागरिक को साल में 250000 डॉलर का निवेश विदेश में शेयरों या प्रॉपर्टी सहित किसी भी एसेट में करने की इजाजत देती है। 

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