Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Jun, 2019 01:39 PM
अडानी समूह के 6 भारतीय हवाई अड्डों के लिए बोली लगाने के बाद उन्हें औपचारिक रूप से इसके रखरखाव का ठेका मिलने की संभावना है। उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, जुलाई में कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है।
नई दिल्लीः अडानी समूह के 6 भारतीय हवाई अड्डों के लिए बोली लगाने के बाद उन्हें औपचारिक रूप से इसके रखरखाव का ठेका मिलने की संभावना है। उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, जुलाई में कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है।
जानकारी के अनुसार, सरकार के पहले कार्यकाल के अंत में परियोजनाओं को पेश किया गया था। कैबिनेट ने मंजूरी के लिए मामला नहीं उठाया था क्योंकि तब सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था और मंत्रालय के नोट को कैबिनेट सचिवालय द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था। अडानी समूह को सभी छह परिसंपत्तियों का हस्तांतरण इसके बाद ही शुरू होगा। वर्तमान में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) द्वारा संचालित हवाई अड्डों के कर्मचारी, अडानी एंटरप्राइजेज में शामिल होने या राज्य के स्वामित्व वाले संगठन के साथ रहने का विकल्प होगा।
अडानी ने अहमदाबाद, लखनऊ, जयपुर, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम और मैंगलोर में पिछले साल के अंत में आयोजित नीलामी में 50 साल की अवधि के लिए हवाई अड्डों के अपग्रेड और ऑपरेट का अधिकार जीता था। इन छह हवाई अड्डों के निजीकरण से एएआई सालाना लगभग 1300 करोड़ रुपए कमाएगा।
10 कंपनियों ने लगाई बोली
इन छह हवाई अड्डों के परिचालन के लिए 10 कंपनियों ने तकनीकी तौर पर कुल 32 बोलियां लगाईं। पिछले साल नवंबर में सरकार ने इन हवाई अड्डों को लोक-निजी भागीदारी के आधार पर चलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। अहमदाबाद और जयपुर हवाई अड्डे के लिए सात-सात, लखनऊ और गुवाहाटी के लिए छह-छह एवं मेंगलुरू और तिरुवनंतपुरम के लिए तीन-तीन बोलियां प्राप्त हुईं।
इतनी लगाई बोली
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली और हैदराबाद एयरपोर्ट का संचालन करने वाले जीएमआर ने अहमदाबाद एयरपोर्ट के लिए 85 रुपए प्रति पैसेंजर की बोली लगाई थी लेकिन अडानी ने 177 रुपए प्रति यात्री यानी दोगुनी बोली लगाकर ठेका हासिल कर लिया। लखनऊ एयरपोर्ट के लिए एएमपी कैपिटल ने 139 रुपए जबकि अडानी समूह ने 171 रुपए की बोली लगाई थी।