Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Oct, 2025 06:17 PM

खोजी पोर्टल कोबरापोस्ट ने दावा किया है कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह ने वर्ष 2006 से अब तक करीब ₹41,921 करोड़ रुपये का वित्तीय फर्जीवाड़ा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, समूह की कंपनियों रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस होम...
बिजनेस डेस्कः खोजी पोर्टल कोबरापोस्ट ने दावा किया है कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह ने वर्ष 2006 से अब तक करीब ₹41,921 करोड़ रुपये का वित्तीय फर्जीवाड़ा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, समूह की कंपनियों रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस होम फाइनेंस, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और रिलायंस कॉरपोरेट एडवाइजरी सर्विसेज से जुटाई गई बड़ी रकम को प्रवर्तक से जुड़ी फर्मों में ट्रांसफर किया गया।
कोबरापोस्ट का दावा है कि ₹28,874 करोड़ की राशि बैंक ऋण, आईपीओ और बॉन्ड के माध्यम से जुटाई गई, जबकि करीब ₹13,047 करोड़ रुपए विदेशी मुखौटा कंपनियों के जरिये भारत में धोखाधड़ीपूर्ण तरीके से भेजे गए। इस प्रक्रिया में सिंगापुर, मॉरीशस, साइप्रस, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, अमेरिका और ब्रिटेन की कंपनियों का इस्तेमाल किया गया।
रिपोर्ट में आरोप है कि समूह ने कंपनी अधिनियम, पीएमएलए, फेमा, सेबी और आयकर कानूनों का उल्लंघन किया है। जांच में यह भी सामने आया कि कंपनियों के कोष का उपयोग व्यक्तिगत विलासिता के लिए किया गया, यहां तक कि 2008 में दो करोड़ डॉलर की एक नौका (याट) तक खरीदी गई।
कोबरापोस्ट के संपादक अनिरुद्ध बहल ने कहा कि इस कथित फर्जीवाड़े से बाजार पूंजीकरण और बैंकों के फंसे कर्ज को मिलाकर देश को ₹3.38 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है।
वहीं, रिलायंस समूह ने इन आरोपों को “झूठा, पुराना और साजिशन फैलाया गया प्रचार” बताया। समूह ने कहा कि “यह एक कॉरपोरेट हिट जॉब है” जिसका उद्देश्य रिलायंस समूह, अनिल अंबानी और 55 लाख शेयरधारकों की साख को नुकसान पहुंचाना है। कंपनी का कहना है कि यह कदम उसकी प्रमुख संपत्तियों जैसे बीएसईएस लिमिटेड, मुंबई मेट्रो और रोजा पावर प्रोजेक्ट को सस्ते दामों में हथियाने की कोशिश है। इस बीच, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर ने सेबी से अपने शेयरों में हुए हालिया सौदों की जांच कराने की मांग की है।