Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Jun, 2019 05:42 PM
दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉर्पोरेशन (डीएचएफएल) की भुगतान में चूक कई क्षेत्रों पर असर डाल सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि डीएचएफएल दूसरे क्षेत्रों को भी अपने लपेटे में ले सकता है। इस समय बैंक, पेंशन फंड और बीमा कंपनियों का डीएचएफएल में करीब एक लाख...
नई दिल्लीः दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉर्पोरेशन (डीएचएफएल) की भुगतान में चूक कई क्षेत्रों पर असर डाल सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि डीएचएफएल दूसरे क्षेत्रों को भी अपने लपेटे में ले सकता है। इस समय बैंक, पेंशन फंड और बीमा कंपनियों का डीएचएफएल में करीब एक लाख करोड़ रुपए रकम फंसी पड़ी है।
विश्लेषकों का कहना है कि स्थिति बिगड़ने से रोकने के लिए कंपनी को समय रहते परिसंत्तियां बेचनी चाहिए और सरकार को डीएचएफएल के असर की जद में दूसरी वित्तीय कंपनियों को आने से रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करने चाहिए। वैश्विक वित्तीय कंपनी सीएलएसए ने गुरुवार को अपनी टिप्पणी में कहा, 'पिछले साल हुए आईएलएंडएफएस घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में डीएचएफएल का डिफॉल्ट वित्तीय क्षेत्र में स्थितियां और बिगाड़ सकता है। इससे लागत खासी बढ़ जाएगी और सारी रकम बेहतर रेटिंग प्राप्त एनबीएफसी के पास इकट्ठी हो जाएंगी। जिन कंपनियों का बहीखाता मजबूत है, उन्हें इसका और लाभ मिल जाएगा।'
विश्लेषकों का कहना है कि डीएचएफएल के असर से दूसरी वित्तीय कंपनियों को बचाने के लिए सरकार के लिए आवश्यक कदम उठाना लाजिमी हो गया है। नोमुरा के विश्लेषकों ने गुरुवार को बताया, 'हमारा मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सरकार को डीएचएफएल में ऋण शोधन से जुड़े मुद्दों को मोटे तौर पर नकदी के मामलों के साथ अलग करना चाहिए। एक संभावित समाधान यह हो सकता है कि ऋण चुकाने में सक्षम एनबीएफसी एवं आवास वित्त कंपनियों को नकदी मुहैया कराया जाए ताकि डीएचएफएल का असर नियंत्रित किया जा सके।'