कोरोबार में कोरोना बना बाधाः मई में ई-वे बिल एक साल के निचले स्तर पर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 May, 2021 03:27 PM

e way bill at one year low in may

मई महीने में बहुत कम ई-वे बिल निकाला गया और रोजाना का औसत ई-वे बिल एक साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। इससे कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट का पता चलता है।

बिजनेस डेस्कः मई महीने में बहुत कम ई-वे बिल निकाला गया और रोजाना का औसत ई-वे बिल एक साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। इससे कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट का पता चलता है। 

वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) के आंकड़ों के मुताबिक 16 मई तक पोर्टल से 1.94 करोड़ ई-वे बिल निकाला गया। यह औसतन 12.1 लाख ई-वे बिल प्रतिदिन है। जबकि अप्रैल में 19.5 लाख ई-वे बिल और मार्च में 22.9 लाख ई-वे बिल प्रतिदिन निकले थे। यह मई 2020 के बाद का सबसे निचला स्तर है, जब रोजाना का ई-वे बिल घटकर 8.7 लाख प्रतिदिन रह गया था। 

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इससे पता चलता है कि मई और जून महीने में जीएसटी संग्रह कम हो सकता है, जो अप्रैल और मार्च में रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था। अप्रैल में ई-वे बिल सृजन घटकर 5.87 करोड़ रह गया था, जो मार्च में 7.12  करोड़ था। यह अप्रैल में रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह में नजर आया, जब 1.41 लाख करोड़ रुपए जीएसटी संग्रह हुआ। अप्रैल महीने में जीएसटी संग्रह मार्च में लेनदेन या आपूर्ति के मुताबिक था। फरवरी में औसतन 22.8 लाख ई-वे बिल का रोजाना सृजन हुआ। मई के ई-वे बिल का असर जून के जीएसटी आंकड़ों पर नजर आएगा। 

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ई-वे बिल एक दस्तावेज है, जिसे जीएसटी करदाताओं को एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं की आवाजाही पर निकालना पड़ता है, अगर माल 50,000 रुपए से ज्यादा का हो। यह अर्थव्यवस्था में मांग व आपूर्ति का शुरुआती संकेतक है। दिल्ली, मुंबई सहित प्रमुख शहरों और हरियाणा, उत्तर प्रदेश व कर्नाटक के साथ अन्य राज्यों में लॉकडाउन लगा हुआ है, जिससे वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। ज्यादातर शहरों में ई-कॉमर्स कंपनियों के गैर जरूरी सामान की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा हुआ है। 

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डेलॉयट इंडिया में सीनियर डायरेक्टर एमएस मणि ने कहा, 'आतिथ्य, मनोरंजन और उड्डयन जैसे कुछ सेवा क्षेत्रों में कारोबार में बहुत गिरावट आई है। ऐसे में ई-वे बिल सृजन में किसी भी कमी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उल्लेखनीय गिरावट हो सकती है।' कई एजेंसियों ने कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद भारत के जीडीपी की वृद्धि के अनुमान में कटौती कर दी है।

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