गेहूं की कीमतों पर काबू के लिए आयात शुल्क, अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है सरकार

Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 Aug, 2023 05:43 PM

government considering import duty other options to control wheat prices

खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने शुक्रवार को कहा कि सरकार गेहूं पर इंपोर्ट टैक्‍स में कटौती या खत्म करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इस तरह के प्रस्‍ताव पर तब विचार किया जा रहा है, जब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक प्राइस में बढ़ोतरी को रोकने...

नई दिल्लीः खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने शुक्रवार को कहा कि सरकार गेहूं पर इंपोर्ट टैक्‍स में कटौती या खत्म करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इस तरह के प्रस्‍ताव पर तब विचार किया जा रहा है, जब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक प्राइस में बढ़ोतरी को रोकने के प्रयास में लगा हुआ है। चोपड़ा ने कहा कि रूस से गेहूं के आयात करने या सरकार से सरकारी सौदे में शामिल होने की कोई योजना नहीं है।

पिछले महीने के दौरान दिल्ली में गेहूं की कीमतों में 12  फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो छह महीने के उच्चतम स्तर 25,174 रुपए प्रति मीट्रिक टन पर जा पहुंचा है। प्राइस में इस तरह की बढ़ोतरी के कारण अनियमित मौसम की स्थिति है, जिसने उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इसका मुकाबला करने के लिए सरकार ने कीमतों को कम करने के उद्देश्य से 15 वर्षों में पहली बार व्यापारियों की ओर से रखे जाने वाले गेहूं के स्‍टॉक में लिमिट लगा दी है।

अभी गेहूं पर कितना आयात शुल्‍क 

चोपड़ा ने कहा कि हमारे पास गेहूं आयात शुल्‍क को कम करने या खत्‍म करने और कीमतों को न‍ियंत्रित करने के लिए स्‍टॉक रखने की सीमा में बदलाव करने जैसे कई विकल्‍प उपलब्‍ध हैं। ऐसे में इस व‍िकल्‍पों पर व‍िचार किया जा रहा है। मौजूदा समय में गेहूं आयात शुल्‍क 40 फीसदी है, जिसे अप्रैल 2019 में 30 फीसदी से बढ़ाया गया है। साल 2023 में 112.74 मिलियन मीट्रिक टन के रिकॉर्ड उत्‍पादन के बावजूद भारत की गेहूं की फसल एक मुख्‍य व्‍यापार न‍िकाय की ओर से सरकार के अनुमान से कम से कम 10 फीसदी कम बताई गई थी। 

इंपोर्ट टैक्‍स पर व‍िचार करना आवश्‍यक 

देश की करीब 108 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं की सालाना खपत के कारण इंपोर्ट टैक्‍स पर विचार करना आवश्यक हो गया है। चोपड़ा ने रूस से गेहूं के आयात की कोई योजना नहीं है, बल्कि सरकार का पूरा फोकस गेहूं की उपलब्‍धता पर फोकस करना है। वहीं रूस में अनाज के भंडार पर भी हमला हुआ है।

गैर-बासमती सफेद चावल पर बैन 

गौर करने वाली बात है कि हाल ही में सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के सभी निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए लिया गया था, क्योंकि अनियमित मौसम-संबंधी उत्पादन के कारण वे कई वर्षों के उच्चतम स्तर पर हा गए थे।

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