Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Jul, 2018 03:04 PM
माल एवं सेवाकर (जीएसटी) दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को नहीं देने पर मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एंटि-प्रॉफिटिअरिंग अथॉरिटी) ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) की खिंचाई की है।
नई दिल्लीः माल एवं सेवाकर (जीएसटी) दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को नहीं देने पर मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एंटि-प्रॉफिटिअरिंग अथॉरिटी) ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) की खिंचाई की है। प्राधिकरण का कहना है कि कंपनियां बहुत हल्की वजह बता रही हैं जो उसकी समझ से परे हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कहना है कि जीएसटी दर में कटौती के परिणामस्वरूप कीमतों को दशमलव अंक में समायोजित करना मुश्किल काम है।
सूत्रों के अनुसार, कंपनियों के इस तर्क के उत्तर में मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण ने उनसे कहा है कि यदि वह कीमत का समायोजन ठीक से नहीं कर सकते हैं तो वस्तुओं की मात्रा में इसे समायोजित करते हुए वह जीएसटी दर में कटौती का फायदा ग्राहकों तक क्यों नहीं पहुंचाते हैं? प्राधिकरण ने कंपनियों से कहा है कि वह वैध माप पद्धिति अधिनियम के प्रावधानों को उपयोग में लाते हुए निकटतम दशमलव अंक तक स्थिर करने के लिए कहा है।
सूत्रों ने कहा कि कुछ कंपनियों ने बड़े पैकेटों की कीमतें तो कम की हैं, लेकिन छोटे पैकेट और पाउचों में यह करना मुश्किल है क्योंकि उनमें कीमत कटौती बहुत कम दशमलव अंक के आसपास है। मुनाफाखोरी-रोधी महानिदेशालय द्वारा इस संबंध में जांच की गई है।
अधिकतर कंपनियों द्वारा कीमत कटौती नहीं करने के जो कारण बताए गए हैं, वह महानिदेशालय समझ से परे मान रहा है। सूत्रों के अनुसार, कुछ कंपनियों ने कहा है कि उन्होंने कुछ विशेष ब्रैंड की वस्तुओं की कीमतें कम की हैं लेकिन अन्य ब्रैंड की कीमतें नहीं घटायी हैं। कंपनियां इस तरह की गतिविधियों का स्पष्टीकरण देने में भी विफल रही हैं।
गौरलब है कि केंद्रीय जीएसटी कानून की धारा 171 के अनुसार टैक्स की दर में किसी भी तरह की कटौती का लाभ ग्राहक तक पहुंचाया जाना चाहिए। इसे सुनिश्चित करने के लिए पिछले साल नवंबर में मुनाफाखोरी रोधी महानिदेशालय का गठन किया गया था। जीएसटी व्यवस्था को देश में एक जुलाई 2017 से लागू किया गया है।