भारत में कैश को लेकर 'युद्ध'

Edited By ,Updated: 16 Dec, 2016 12:55 PM

india s botched war on cash

भारत में नोटबंदी के फैसले से लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

नई दिल्लीः भारत में नोटबंदी के फैसले से लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यह एक बेजोड़ सामाजिक प्रयोग बताया जा रहा है। कैश की किल्लत के कारण लोगों को व्यापारों में घाटा हो रहा है। नोटबंदी के इस फैसले से काला धन तो बाहर आ ही रहा है परंतु सारे विश्व को बहुत कुछ सिखने को मिलेगा।

अंतरराष्ट्रीय मिसालों से प्रभावित होकर किया था एेलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब नवम्बर में 500 और 1,000 रुपए के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी तो इसने सबको हैरान कर दिया था। पीएम मोदी ने सह एेलान अंतरराष्ट्रीय मिसालों से प्रभावित होकर किया था। उदाहरण के तौर पर हाल ही में सिंगापुर ने अपनी सबसे बड़ी मुद्रा वापिस ले ली। यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने भी 500 यूरो बैंक नोटों का सफाया कर दिया और दक्षिण कोरिया भी 2020 तक कम से कम सभी सिक्कों को खत्म करने की योजना बना रही है और फिर भी भारत की पहल अव्यवस्था में गड़बड़ी को संभालना था। सरकार ने प्रभावी ढंग से 90% कैश जो कि प्रचलन से बाहर है में से 86% कैश तो निकलवा लिया है।

काला धन खत्म करना ही मुख्य लक्ष्य
इस कार्रवाई के पीछे मोदी के सबसे मजबूत इरादों में से एक था भ्रष्टाचार। अघोषित आय (काले धन) को बेनकाब करना के लिए जो कि अवैध रूप से प्राप्त इनकम या टैक्स न भरने के लिए रखी गई हो। 3 दिसंबर तक 82% पुराने नोटों के बिल जिनकी कीमत $185 अरब थी, बैंक खातों में जमा कराई गई। दूसरे शब्दों में, विदेशों में जमा काले धन होने का जो अनुमान लगाया गया था उसके अनुसार सिर्फ $ 2 खरब काला धन ही प्राप्त हुआ है।

इन व्यापारों पर पड़ा असर
इसी बीच देश भर में खुदरा और थोक बाजारों का काम ठप हो गया है। आपूर्ति श्रृंखला के लेन-देन, रियल एस्टेट सौदों, और यहां तक ​​कि शादियों और अंत्येष्टि पर भी नोटबंदी का प्रभाव पड़ा है। उपभोक्ताओं को लाइनों में खड़े होकर बुनियादी सेवाओं के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। एटीएम भी खाली हैं। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देश की स्थिति गंभीर रूप से खतरे में आ गई है और ऐसी स्थिति में अमरीकी चुनाव के बाद मजबूत डॉलर की वजह से हालात को और बदतर बना दिया है।

पीएम ने ट्वीट कर यह कहा
सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है और इससे कैशलेस भुगतान को बढ़ावा मिलेगा। पी.एम मोदी ने ट्विटर पर लिखा कि समय आ गया है हर किसी के लिए,खास करके मेरे युवा दोस्तों के लिए ई-बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए। उन्होंने कहा, "मैं अपने छोटे व्यापारी भाइयों और बहनों को बताना चाहता हूं, यह मौका है आपके लिए डिजिटल दुनिया में प्रवेश करने का।" इस फैसले का सबसे ज्यादा फायदा, यकीनन भारत, भारत के केंद्रीय बैंक अर्थात रिजर्व बैंक और बैंकिंग संस्थानों को होगा। गूगल इंडिया और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के अनुसार, 2020 तक, डिजिटल लेनदेन मौजूदा स्तर से 10% ज्यादा होगा। 

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