भारत का कोयला उत्पादन के मामले में नया रिकॉर्ड, अप्रैल में 9% बढ़कर इतने मिलियन टन हुआ

Edited By Updated: 02 May, 2023 03:04 PM

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भारत ने कोयला उत्पादन के क्षेत्र में अप्रैल 2023 के दौरान एक नया रिकॉर्ड बनाया है। कोयला मंत्रालय के मुताबिक, भारत ने अप्रैल 2022 के दौरान 67.20 मिलियन टन की तुलना में 8.67 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 73.02 मिलियन टन (एमटी) कोयले का उत्पादन किया है।...

नई दिल्लीः भारत ने कोयला उत्पादन के क्षेत्र में अप्रैल 2023 के दौरान एक नया रिकॉर्ड बनाया है। कोयला मंत्रालय के मुताबिक, भारत ने अप्रैल 2022 के दौरान 67.20 मिलियन टन की तुलना में 8.67 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 73.02 मिलियन टन (एमटी) कोयले का उत्पादन किया है। कोयला मंत्रालय ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने अप्रैल 2023 में 57.57 मिलियन टन का उत्पादन दर्ज किया है, जबकि अप्रैल 2022 में 53.47 मिलियन टन कोयला बाहर आया था, जो 7.67 प्रतिशत की बढ़त को दर्शाता है।

कोयला मंत्रालय ने दिया आंकड़ा

कोयला मंत्रालय ने अपने नियंत्रण में आने वाले और निजी कोयला ब्लॉकों की खनन क्षमताओं का अधिकतम उपयोग करते हुए बाजार में अतिरिक्त कोयला जारी करने का मार्ग प्रशस्त किया है, यही कारण है कि अप्रैल 2022 में उत्पादित 8.41 मिलियन टन के सापेक्ष अप्रैल 2023 में कोयले का उत्पादन 17.52 प्रतिशत बढ़कर 9.88 मिलियन टन (तत्कालिक आंकड़ा) हो गया है।

कुल कोयले की रवानगी में 11 फीसदी से ज्यादा का इजाफा

कोयला मंत्रालय का कहना है कि कुल कोयले की रवानगी में अप्रैल 2022 के दौरान 71.99 मिलियन टन के मुकाबले 11.76 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है, जो अप्रैल 2023 में 80.45 मिलियन टन तक हो गई है। यह मुख्य रूप से तेजी से निकासी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पीएम गति शक्ति के तहत सभी प्रमुख खानों के लिए रेल संपर्क संबंधी बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के संदर्भ में कोयला मंत्रालय द्वारा की गई पहल के कारण संभव हुआ है।

सरकार की आयातित कोयले पर निर्भरता कम करने की कोशिश

कोयला मंत्रालय ने कोयले की उपलब्धता बढ़ाने के लक्ष्य के साथ नीलामी के 7वें दौर के तहत नीलामी के लिए 103 कोयला व लिग्नाइट ब्लॉकों की पेशकश की है और खानों के लिए 29 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिनकी नीलामी 6वें दौर में की गई थी। मंत्रालय के मुताबिक, 29 कोयला खदानों का कुल पीआरसी 74 मिलियन टन प्रति वर्ष है। घरेलू उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा की गई पहल के फलस्वरूप देश की आयातित कोयले पर निर्भरता कम होगी और इससे विदेशी मुद्रा की भी काफी बचत होगी।

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