अप्रैल से महंगी होंगी दवाइयां, 10% तक बढ़ सकते हैं दाम

Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Mar, 2022 11:34 AM

medicines will be expensive from april prices may increase by up to 10

इस साल अप्रैल से अधिसूचित दवाएं 10 प्रतिशत तक महंगी हो सकती हैं। राष्ट्रीय दवा मूल्य नियामक थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में हुए बदलाव के हिसाब से इन दवाओं की कीमतें बढ़ाने की इजाजत दे सकता है। भारत में 1.6 लाख करोड़ रुपए मूल्य के दवा बाजार में...

मुंबईः इस साल अप्रैल से अधिसूचित दवाएं 10 प्रतिशत तक महंगी हो सकती हैं। राष्ट्रीय दवा मूल्य नियामक थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में हुए बदलाव के हिसाब से इन दवाओं की कीमतें बढ़ाने की इजाजत दे सकता है। भारत में 1.6 लाख करोड़ रुपए मूल्य के दवा बाजार में अधिसूचित दवाओं की हिस्सेदारी 17-18 प्रतिशत है। अधिसूचित दवाओं का मूल्य सरकार तय करती है।

राष्ट्रीय औषधि मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश, 2013 के दायरे में आने वाली दवाओं का मूल्य निर्धारित करता है। हर साल मार्च में नियामक थोक महंगाई में सालाना बदलाव देखकर तय करता है कि दवा कंपनियां दाम कितने बढ़ा सकती हैं। अधिसूचित दवाएं आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) में आती हैं। इस सूची में एंटीबायोटिक , विटामिन, मधुमेह, रक्तचाप नियंत्रक सहित अन्य दवाएं आती हैं। दवा कंपनियां गैर-अधिसूचित दवाओं के दाम हर साल 10 प्रतिशत तक बढ़ा सकती हैं। बढ़ी हुई कीमतें प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल से प्रभावी होती हैं। गैर-अधिसूचित दवाएं मूल्य नियंत्रण के दायरे में नहीं आती हैं।

दवा उद्योग को लगता है कि डब्ल्यूपीआई में बदलाव के आधार पर एनपीपीए अधिसूचित दवाओं की कीमतों में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी की अनुमति दे सकता है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के कार्यालय के अनुसार जनवरी 2022 में थोक मूल्य महंगाई 12.96 प्रतिशत थी जो जनवरी 2021 में 2.51 प्रतिशत थी।

एनपीपीए के साथ काम कर चुके एक पूर्व सरकारी अधिकारी ने कहा, 'इस वर्ष अप्रैल में अधिसूचित दवाओं की कीमतें बढ़ीं तो यह डीपीसीओ 2013 के बाद से दाम में सबसे बड़ा इजाफा होगा।' दवा उद्योग से जुड़े लोग भी इससे सहमत हैं। इस बारे में इस उद्योग के एक प्रतिनिधि ने कहा, 'हमें हर साल 0.5 प्रतिशत से 4 प्रतिशत तक दाम बढ़ाने की अनुमति मिलती है, जो अधिकतम होती है। ऐसी करीब 800 दवाएं हैं जो मूल्य नियंत्रण के दायरे में आती हैं। अगर दाम 10 प्रतिशत तक बढ़ते हैं तो 2013 के बाद पहली बार ऐसा होगा जब इतना बड़ा इजाफा होगा।'

2016 में तो दवा कंपनियों को अधिसूचित दवाओं की कीमतें घटानी पड़ी थीं क्योंकि कैलेंडर वर्ष 2015 में पिछले वर्ष की तुलना में डब्ल्यूपीआई में 2.71 प्रतिशत कमी आ गई थी। वास्तव में कीमतों में बढ़ोतरी 10 प्रतिशत से कम रह सकती है। दवा कंपनियों का कहना है कि इस वर्ष डब्ल्यूपीआई के आधार पर एनएलईएम दवाओं के दाम में 10 प्रतिशत तक वृद्धि की इजाजत दे सकता है मगर वास्तविक इजाफा इतना नहीं होगा। एक अग्रणी दवा कंपनी के प्रबंध निदेशक ने कहा, 'बाजार में प्रतिस्पद्र्धा अधिक रहने से कीमतें नियंत्रण में रहेंगी। मुझे नहीं लगता कि सभी दवा कंपनियां इन दवाओं के दाम 10 प्रतिशत तक बढ़ाएंगी। इस वजह से लागत में हुई बढ़ोतरी की आंशिक भरपाई ही हो पाएगी।'

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!