मानसून अच्छा रहा तो आगे कम हो सकती है ब्याज दर

Edited By ,Updated: 09 Aug, 2016 03:46 PM

rbi inflation

रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) गवर्नर रघुराम राजन ने भले आज रेपो दरों तथा अन्य नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है लेकिन उन्होंने कहा है

मुंबईः रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) गवर्नर रघुराम राजन ने भले आज रेपो दरों तथा अन्य नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है लेकिन उन्होंने कहा है कि अच्छे मानसून से खाद्य महंगाई कम होने तथा सेवा क्षेत्र की महंगाई दर में आई गिरावट आगे जारी रहने से दरों में कटौती के अवसर बनेंगे। 

 

राजन ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक ऋण एवं मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करने के बाद संवाददाताओं के प्रश्नों के उत्तर में कहा, "अच्छे मानसून का असर, विशेषकर खाद्य पदार्थों की कीमतों पर, मददगार होगा। साथ ही ईंधनों के दाम कुछ हद तक कम और स्थिर बने हुए हैं। मानसून का खाद्य पदार्थों की कीमतों पर मजबूत असर तथा सेवा क्षेत्र की मुद्रास्फीति में आ रही गिरावट जारी रहने से नीतिगत दरों में बदलाव के ज्यादा अवसर मिलेंगे। हमें इसे देखना होगा। अभी सिर्फ एक ही महीने सेवा क्षेत्र की मुद्रास्फीति कम हुई है। हम आंकड़ों पर निर्भर हैं।"

 

यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्रीय बैंक को अगले साल मार्च तक महंगाई दर 5 प्रतिशत या उससे कम रखने का लक्ष्य हासिल करने का भरोसा है राजन ने कहा कि समीक्षा बयान में कुछ जोखिमों की बात की गई है लेकिन खाद्य महंगाई से संबंधित ये जोखिम मानसून अच्छा रहने पर समाप्त भी हो सकते हैं। उन्होंने कहा, "हम कुछ हिचकिचाहट इसलिए दिखा रहे हैं कि पहले ऐसा हो चुका है कि आरंभ में अच्छे मानसून और अच्छी बुआई के बावजूद मानसून के बाद में कमजोर पडऩे से फसल अच्छी नहीं हुई है। जब तक हम मानसून का पूरा असर नहीं देख लेते जीत का दावा करना गलत होगा लेकिन मौसम विभाग ने हमसे कहा है कि मानसून का लगभग यही रुख आने वाले समय में भी बना रहेगा।"

 

उन्होंने कहा कि दालों की बुआई बढऩे से कुछ कीमतों में कमी आनी चाहिए। इससे महंगाई दर घटेगी तथा जोखिम कम होगा। इसलिये कुल मिलाकर हम आराम से 5 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल कर लेंगे। निःस्संदेह कुछ अनिश्चितताएं अचानक सामने आ सकती हैं। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के महंगाई पर असर के बारे में उन्होंने कहा, "हमने सातवें वेतन आयोग के भत्तों को लेकर कुछ कसरत की है। यह कुछ हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि अंतिम घोषणा क्या होगी और राज्य सरकारें इसे किस गति से लागू करेंगी। इसलिए, उस समय आवासों की मुद्रास्फीति में कुछ बढ़ौतरी हो सकती है लेकिन यह एक बार की बढ़ौतरी होगी जिसे लेकर बहुत ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है।"

 

आर.बी.आई. गवर्नर ने कहा कि यह समझना ज्यादा मुश्किल है कि इसका आम महंगाई पर क्या असर होगा। उन्होंने कहा, "रोजमर्रा की जिंदगी में कीमतें नहीं बढऩे के बावजूद खुदरा महंगाई के आंकड़े बढ़ते हैं तो उस पर आम लोगों की क्या प्रतिक्रिया होगी यह देखने वाली बात होगी। वे इससे कैसे तालमेल बिठाते हैं। आर.बी.आई. को इन चीजों को ध्यान में रखना होगा। इससे पहले यह कहना कि इसका क्या असर होगा जल्दबाजी होगी।"

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