Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Apr, 2020 02:55 PM
कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से देश की इकोनॉमी को बड़ा नुकसान होने की आशंका है। इन आशंकाओं के बीच आरबीआई इकोनॉमी को बूस्ट देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर
बिजनेस डेस्कः कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से देश की इकोनॉमी को बड़ा नुकसान होने की आशंका है। इन आशंकाओं के बीच आरबीआई इकोनॉमी को बूस्ट देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा़ ऐलान किए।
आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसदी कटौती का ऐलान किया।रिवर्स रेपो रेट 0.25 फीसदी घटकर 3.75 फीसदी पर आ गई है। इस फैसले से बैंकों को RBI के पास जमा पैसे पर कम ब्याज मिलेगा। लिहाजा बैंक अब अपनी रकम को अन्य जगह इन्वेस्ट करेंगे। ऐसे में बॉन्ड्स मार्केट में तेजी आने की उम्मीद है। इससे बैंकों के पास ज्यादा लिक्विडिटी रहेगी यानी उनके पास पैसा ज्यादा होगा। लिहाजा आम लोगों लोन मिलने भी आसानी होगी।
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क्या होता है रिवर्स रेपो रेट?
इसके नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि यह रेपो रेट से उलट है। दरअसल, बैंकों को आरबीआई के पास रकम जमा करना होता है। इस रकम पर आरबीआई, बैंकों को ब्याज देता है। जितना ज्यादा रिवर्स रेपो रेट होता है, बैंकों को उतना ही मुनाफा होता है। वहीं जब रिवर्स रेपो रेट में कटौती होती है तो बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला मुनाफा कम हो जाता है।
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आरबीआई का क्या होता है मकसद?
जब भी आरबीआई को लगता है कि बाजार में नकदी की उपलब्धता बढ़ रही है तो रिवर्स रेपो रेट बढ़ा दिया जाता है। इसका मकसद होता है कि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम आरबीआई के पास जमा करा दें लेकिन जब बाजार में नकदी का संकट होता है तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट में कटौती कर देता है।
वर्तमान में कोरोना संकट की वजह से बाजार में नकदी की कमी न हो, ये आरबीआई की सबसे बड़ी चिंता है। इसी चिंता को ध्यान में रखकर आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट में कटौती की है। इस कटौती के जरिए आरबीआई बैंकों को ये संदेश देना चाहता है कि हमारे पास पैसे न जमा कर आप ग्राहकों को कर्ज दें।
आपको क्या होगा फायदा?
जाहिर है कि रिवर्स रेपो रेट कटौती के बाद बैंकों को आरबीआई से कम ब्याज मिलेगा। ऐसे में बैंक अपनी रकम को आरबीआई से निकाल कर बाजार में निवेश कर सकते हैं। मतलब ये कि बैंक अपने ग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा लोन दे सकते हैं। इसके पीछे बैंकों का मकसद अपनी जमा राशि से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना होता है। इसके अलावा बाजार में नकदी का संकट खड़ा नहीं होगा। कोरोना वायरस संकट की वजह से लड़खड़ाई हुई अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए ये बड़ा कदम माना जा रहा है।
ग्राहकों को नुकसान भी
आरबीआई के इस फैसले से नकदी का संकट तो दूर हो सकता है लेकिन ग्राहकों की बचत पर कैंची भी चल सकती है। दरअसल, रिवर्स रेपो रेट कटौती के बाद इस बात की आशंका है कि बैंक एक बार फिर आपके फिक्स्ड डिपॉजिट समेत अन्य सेविंग्स पर कटौती कर दें। बता दें कि एफडी को बचत का एक पारंपरिक जरिया माना जाता है। बीते कुछ समय से इस पर बैंकों की ओर से लगातार कटौती की जा रही है।