Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Sep, 2025 02:23 PM

भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है। बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 और सेंसेक्स में गुरुवार को लगातार पांचवें ट्रेडिंग सेशन में गिरावट दर्ज की गई, जबकि शुक्रवार को भी बाजार लाल निशान में खुला। पिछले पांच ट्रेडिंग सेशन्स में सेंसेक्स...
बिजनेस डेस्कः भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है। बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 और सेंसेक्स में गुरुवार को लगातार पांचवें ट्रेडिंग सेशन में गिरावट दर्ज की गई, जबकि शुक्रवार को भी बाजार लाल निशान में खुला। पिछले पांच ट्रेडिंग सेशन्स में सेंसेक्स में कुल 1,854 अंक (2.2 फीसदी) और निफ्टी-50 में 533 अंक (2.1 फीसदी) की गिरावट देखी गई।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप (Donald Trump) के ब्रांडेड दवाओं पर 100 फीसदी टैरिफ का भी शेयर बाजार की चाल पर नेगेटिव असर डाल रहा है। इसके चलते निफ्टी फार्मा इंडेक्स शुक्रवार को 2.5 फीसदी से ज्यादा गिर गया।
गिरावट के कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार में दबाव के कई कारण हैं। सबसे पहले विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की लगातार बिकवाली से लिक्विडिटी यानी तरलता की समस्या बढ़ रही है। आंकड़ों के मुताबिक, 19 सितंबर 2025 से अब तक चार ट्रेडिंग सेशन्स में FIIs ने 321.66 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं, जबकि सितंबर में कुल बिकवाली 11,582 करोड़ रुपए और वर्ष की शुरुआत से अब तक 1,42,217 करोड़ रुपए रही।
दूसरा कारण आईपीओ की बढ़ती संख्या है। निवेशक आगामी आईपीओ में पैसा लगाने के लिए अपनी पूंजी सुरक्षित रख रहे हैं। 30 सितंबर तक मुख्य बोर्ड में कुल 14 आईपीओ निवेश के लिए खुले रहेंगे, जिनमें Epack Prefab Technologies Ltd., BMW Ventures Ltd., Jain Resource Recycling Ltd. जैसी कंपनियां शामिल हैं।
तीसरी चिंता अमेरिकी H-1B वीजा रिफॉर्म है। ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा एप्लिकेशन फीस को बढ़ाकर 2,000–5,000 डॉलर से 1,00,000 डॉलर कर दिया है। इसका असर भारतीय आईटी कंपनियों पर पड़ सकता है। निफ्टी आईटी इंडेक्स पिछले पांच ट्रेडिंग सेशन्स में 6 फीसदी से अधिक गिर चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वीजा रिफॉर्म भारतीय आईटी कंपनियों की ट्रेडिशनल मॉडल, प्रोजेक्ट मार्जिन और ऑन-साइट सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकती है।
चौथा कारण अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ हैं। अगस्त में भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया, जिससे कुल टैरिफ दर 50 फीसदी हो गई। इस अनिश्चितता के कारण निवेशक सतर्क हैं।
इसके साथ ही रुपया भी दबाव में है। बुधवार को लगातार तीसरे ट्रेडिंग सेशन में घरेलू मुद्रा कमजोर रही और यह डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर के करीब पहुंच गई। साल की शुरुआत से अब तक रुपया 3.68 फीसदी गिर चुका है।
कुल मिलाकर बाजार फिलहाल एक रेंज में फंसा हुआ नजर आ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि न तो मजबूत खरीदारी है और न ही बड़ी गिरावट। वर्तमान में बाजार का मूड ‘डिप पर खरीदो और रैली पर बेचो’ वाला है। यदि निफ्टी 25,000 के स्तर को बनाए रखता है, तो मीडियम से शॉर्ट टर्म में बाजार की दिशा पॉजिटिव रह सकती है।