Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Jan, 2023 01:52 PM
आज हम दुनियाभर में आई मंदी की चपेट के बीच एक मजबूत इकोनॉमी वाले देश के तौर पर खड़े हैं। हमारे विकास का पहिया लगातार घुम रहा है। किसी भी देश का पहिया तभी घुमता है जब उस देश की सरकार बजट में अच्छी योजनाओं का ऐलान करती है, देश की तरक्की के लिए नई स्कीम...
नई दिल्लीः आज हम दुनियाभर में आई मंदी की चपेट के बीच एक मजबूत इकोनॉमी वाले देश के तौर पर खड़े हैं। हमारे विकास का पहिया लगातार घुम रहा है। किसी भी देश का पहिया तभी घुमता है जब उस देश की सरकार बजट में अच्छी योजनाओं का ऐलान करती है, देश की तरक्की के लिए नई स्कीम लाती है। भारत जब से आजाद हुआ है तब से लेकर अब तक हर बार बजट का आकार बढ़ता गया है। भारत का पहला बजट 197.39 करोड़ रुपए का पेश किया गया था।
1947 में जब देश को आजादी मिली तब पहला बजट 1947-48 को पेश किया गया। उस समय तारीख थी 26 नवंबर 1947। आर के षण्मुखम चेट्टी देश के तत्कालीन वित्त मंत्री हुआ करते थे। उन्होंने ही इसे पेश किया था। तब बजट में कुल खर्च 197.39 करोड़ रुपए बताया गया था, जबकी सरकार की कमाई 172.80 करोड़ रुपए थी यानि सरकार का डेफिसिट (घाटा) 24.59 करोड़ रुपए था। वहीं इसकी तुलना आज से की जाए तो काफी अंतर नजर आएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2022 को 2022-23 का बजट पेश करते हुए बताया था कि चालू वित्त वर्ष में कुल खर्च 39.45 लाख करोड़ रुपए और टोटल कमाई 22.84 लाख करोड़ रुपए रहेगी। बता दें, दुनियाभर की आर्थिक सर्वेक्षण करने वाली एजेंसियां भारत को 2035 तक 10 ट्रिलियन डॉलर वाली इकोनॉमी बनने की बात कर रही हैं।