नए साल से बदल जाएगा GST से जुड़ा ये नियम, टैक्स चोरी पर लगेगी लगाम

Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Nov, 2020 05:48 PM

these rules related to gst will change from new year

एक जनवरी 2021 से वस्तु एवं सेवा कर (GST) से जुड़े अहम नियम में बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार नए साल से ई-इनवॉइस प्रणाली में बदलाव करने जा रही है। इसके लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है।

बिजनेस डेस्कः एक जनवरी 2021 से वस्तु एवं सेवा कर (GST) से जुड़े अहम नियम में बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार नए साल से ई-इनवॉइस प्रणाली में बदलाव करने जा रही है। इसके लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है। 

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नोटिफिकेशन के मुताबिक, 1 जनवरी, 2021 से 100 करोड़ रुपए से ज्यादा सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों और कंपनियों के लिए बिजनेस-टू-बिजनेस लेनदेन (B2B Transactions) पर ई-इनवॉइस अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही 1 अप्रैल, 2021 से सभी टैक्सपेयर्स के लिए बिजनेस-टू-बिजनेस लेनदेन पर ई-इनवॉइस जरूरी होगा। अभी 500 करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए ई-इनवॉइस अनिवार्य है। ई-इनवॉइस को ई-बिल भी कहते हैं।

आपको बता दें कि जीएसटी कानून के तहत बिजनेस-टू-बिजनेस ट्रांजैक्शन के लिए 1 अक्तूबर, 2020 से 500 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए ई-इनवॉइस अनिवार्य किया गया है। नए साल से 100 करोड़ सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए भी ई-इनवॉइस अनिवार्य होने में अब 50 दिन से भी कम समय बचे हैं। ऐसे में इन कंपनियों को नए रेग्युलेशन के हिसाब से अपने बिलिंग सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करना होगा। 

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हर ट्रांजैक्शन के लिए IRN जेनरेट होगा
नई प्रणाली के तहत 100 करोड़ सालाना टर्नओवर या इससे बड़ी कंपनियों हर बिक्री के लिए एक यूनिक इनवॉयस रेफरेंस पोर्टल पर जाकर ई-इनवॉइस निकालना होगा। इसमें एक इनवॉयर रेफरेंस नंबर (IRN) जेनरेट होगा। नए साल से ऐसा नहीं करने वाला कंपनियां बिजनेस-टू-बिजनेस ट्रांजैक्शन नहीं कर पाएंगी। सरकार के इस कदम से जीएसटी के नियमों के पालन ठीक से हो सकेगा और सरकार की जीएसटी से होने वाली आमदनी बढ़ेगी। 

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ई-इनवॉइस से ये फायदे होंगे
केंद्र सरकार का मानना है कि इस व्यवस्था के अमल में आने से टैक्स चोरी की गुंजाइश काफी कम हो जाएगी। ई-इनवॉइस जनरेट करने का तरीका ठीक उसी तरह का है जिस तरह ई-वे बिल निकाला जाता है। सरकार का कहना है कि ई-इनवॉइस व्यवस्था से कंपनियों के लिए रिटर्न भरने के बोझ में काफी कमी आएगी, क्योंकि रिटर्न फॉर्म में इनवॉइस से संबंधित डेटा अपने-आप दिखाई देगा। इसका ऑटोमैटिक मिलान संभव होगा। इससे कारोबारियों और जीएसटी अधिकारियों दोनों को सहूलियत होगी।

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