धरती बचाने को धन कुबेरों ने खोला मोर्चा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Jun, 2021 11:37 AM

to save the earth the money kuberons opened the front

लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से हो रहे पर्यावरण के नुकसान से धरती को बचाने के लिए दुनिया भर के अरबपति निवेशकों ने अब सरकारों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। 41 ट्रिलियन डॉलर की एसेट (परिसम्पति) वाले 457 निवेशकों के समूह ''द इन्वैस्टर एजेंडा'' ने जी7 देशों...

जालंधर (नरेश अरोड़ा): लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से हो रहे पर्यावरण के नुकसान से धरती को बचाने के लिए दुनिया भर के अरबपति निवेशकों ने अब सरकारों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। 41 ट्रिलियन डॉलर की एसेट (परिसम्पति) वाले 457 निवेशकों के समूह 'द इन्वैस्टर एजेंडा' ने जी7 देशों को पत्र लिख कर धरती से ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव कम कर के धरती के तापमान को नियंत्रित करने के लिए फॉसिल फ्यूल (जीवाश्म ईंधन) के लिए सरकारों द्वारा की जा रही फंडिंग को कम करने की मांग की है।

जी7 देशों में कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यू.के. और यू.एस.ए. शामिल हैं और इनकी बैठक 11 से 13 जून को लन्दन में होने जा रही है। निवेशकों के इस समूह ने इसी साल नवंबर में ग्लास्गो में होने वाली ग्लोबल क्लाइमेट सम्मिट से पहले जी7 देशों को दिसंबर 2015 के पैरिस समझौते में किए गए धरती के तापमान को 1.5 डिग्री तक रखने के लक्ष्य की याद दिलाई है और इस दिशा में प्रयास तेज करने के लिए कहा है।

दुनिया भर की 79 बड़ी इन्वैस्टमेंट कंपनियों के सी.ई.ओ. ने अपनी इन मांगों के संबंध में ऑनलाइन  मुहिम भी शुरू की है और इसी मुहिम का 457 बड़े निवेशकों ने समर्थन किया है। निवेशकों का यह समूह दुनियाभर की कुल एसेट का 37 फीसदी हिस्सा मैनेज करता है। समूह ने अपने पत्र में साफ लिखा है कि  भविष्य में जो देश पर्यावरण के अनुकूल तकनीक और एनर्जी के क्षेत्र में अपनी फंडिंग बढ़ाएंगे, वह देश निवेश के लिहाज से ज्यादा आकर्षक होंगे। 

पैरिस समझौते को पूरी तरह से लागू किए जाने से क्लीन टेक्नॉलजी, ग्रीन इंफ्रस्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा। इस पत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य हासिल करने के लिए ग्रीन एनर्जी को उत्साहित करने के तरीके भी सुझाए गए हैं। पत्र में लिखा गया है कि विकसित और विकासशील देश जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी कम करने के साथ साथ ग्रीन एनर्जी को उत्साहित करने वाली तकनीक पर करों की दर को कम करें। इस से इस क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा और पर्यावरण भी बचेगा। 

निवेशकों ने अपने पत्र में चिंता जताते हुए लिखा है कि यदि पर्यावरण को बचाने के लिए कदम न उठाए गए तो धरती का तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा जबकि पैरिस समझौते में इसे डेढ़ डिग्री तक सीमित करने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें 2030 तक कार्बन उत्सृजन का स्तर 2010 के स्तर से 45 प्रतिशत कम करने और 2050 तक जीरो करने की जरूरत है। हालांकि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकारों को ट्रिलियन डॉलर्स के फंड की जरूरत है और 'द इन्वैस्टर एजेंडा' इसके लिए सरकारों के साथ मिल कर काम करने को तैयार है।

द इन्वेस्टर एजेंडा की मांगे 

  • 2050 तक कार्बन उत्सर्जन जीरो हो  
  • 2030 तक काबन उत्सर्जन 45 प्रतिशत कम किया जाए 
  • ग्रीन एनर्जी को उत्साहित करने वाले उत्पादों पर करों की दर कम हो
  • ग्रीन एनर्जी पर करों की दर कम करने की मांग 
  • जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी कम की जाए 

फॉसिल फ्यूल में भारी फंडिंग कर रहे हैं जी7 के सदस्य देश
निवेशकों के इस समूह के विश्लेषण के मुताबिक 2017 से लेकर 2019 के मध्य में जी7 देशों ने जीवाश्म ईंधन के लिए 86 बिलियन डॉलर की फंडिंग की है और इस फंडिंग का 88 फीसदी हिस्सा तेल और गैस क्षेत्र को दिया गया है। जबकि इसी अवधि के दौरान इन देशों ने क्लीन एनर्जी में इस रकम की एक तिहाई फंडिंग की है। केनेडा ने इस दौरान 32 बिलियन डॉलर, जापान ने 30 बिलियन डॉलर और अमेरिका ने 9 बिलियन डॉलर की फंडिंग जीवाश्म ईंधन के क्षेत्र में की है। 

हालांकि जी7 देशों के पर्यारवण मंत्री पहले भी जीवाश्म ईंधन को वित्तीय मदद कम करने का आश्वासन दे चुके हैं लेकिन इन देशों द्वारा कोरोना काल में राहत के तौर पर दी गई 189 बिलियन डॉलर की मदद में से 51 फीसदी हिस्सा जीवाश्म ईंधन के क्षेत्र में वित्तीय मदद के रूप में गया है।

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