फोर्टिस मोहाली में रोबोटिक सर्जरी से ट्रांसप्लांट किडनी में कैंसर का सफल इलाज, मरीज की हुई पूरी रिकवरी

Edited By Updated: 18 Jun, 2025 04:36 PM

cancer in transplant kidney treated via robotic surgery at fortis mohali

ट्रांसप्लांट किडनी में 3 सेमी का ट्यूमर, रोबोट की मदद से सफल सर्जरी

चंडीगढ़। फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जरी विभाग ने एक और बड़ी सफलता हासिल करते हुए ट्रांसप्लांट की गई किडनी में कैंसर से पीड़ित 56 वर्षीय मरीज का सफल इलाज किया है। इस जटिल सर्जरी को फोर्टिस मोहाली के कंसल्टेंट, यूरो-ऑन्कोलॉजी एवं रोबोटिक सर्जन डॉ. धर्मेंद्र अग्रवाल ने विश्व के सबसे उन्नत चौथी पीढ़ी के Da Vinci Xi रोबोट की सहायता से किया।

ट्रांसप्लांट किडनी में 3 सेमी का ट्यूमर, रोबोट की मदद से सफल सर्जरी

यह मामला बेहद जटिल था क्योंकि मरीज ने 2018 में किडनी ट्रांसप्लांट करवाया था और हाल ही में उसकी ट्रांसप्लांट की गई किडनी में 3 सेमी का ट्यूमर पाया गया। डॉ. अग्रवाल ने मरीज की रोबोट-असिस्टेड ट्रांसप्लांट किडनी पार्शियल नेफरेक्टॉमी की, जिसमें किडनी का केवल प्रभावित हिस्सा हटाया गया और बाकी किडनी को सुरक्षित रखा गया।

सर्जरी के बाद मरीज की यूरिन आउटपुट सामान्य रही, उसे ना तो ब्लड ट्रांसफ्यूजन की ज़रूरत पड़ी और ना ही डायलिसिस की। मरीज सर्जरी के 10 घंटे बाद चलने लगा और तीसरे दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। आज वह पूर्ण रूप से स्वस्थ है और सामान्य जीवन जी रहा है।

डॉ. अग्रवाल ने बताया, "यह केस तकनीकी रूप से काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि ट्रांसप्लांट की गई किडनी और उसके आसपास की संरचनाएं पहले की सर्जरी के कारण चिपकी होती हैं। यदि समय रहते इलाज न किया जाता, तो ट्यूमर बढ़कर अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता था।"

दूसरे मरीज के दिल तक पहुंच रहे ट्यूमर को हटाया

दूसरे मामले में, 62 वर्षीय मरीज को पिछले 10 दिनों से पेशाब में खून आ रहा था। जांच में पाया गया कि उसकी दाहिनी किडनी में 14 सेमी का बड़ा ट्यूमर था जो रिनल वेन और शरीर की प्रमुख रक्त वाहिका इन्फीरियर वेना केवा (IVC) तक फैला हुआ था। यह ट्यूमर दिल तक पहुंच सकता था और कार्डिएक अरेस्ट का खतरा था।

डॉ. अग्रवाल ने मरीज की रोबोटिक रेडिकल नेफरेक्टॉमी विद IVC थ्रॉम्बेक्टॉमी की। सर्जरी के दौरान IVC को तीन स्थानों से नियंत्रित किया गया ताकि ट्यूमर का कोई टुकड़ा दिल तक न पहुंच सके। मरीज सर्जरी के 8 घंटे बाद चलने लगा और तीन दिन में डिस्चार्ज कर दिया गया।

रोबोटिक सर्जरी के लाभ

डॉ. अग्रवाल ने बताया, "ओपन सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी में मरीज को सिर्फ 3-4 दिन अस्पताल में रहना पड़ता है। इसमें कम खून बहता है, दर्द कम होता है, जल्दी रिकवरी होती है और शरीर पर निशान भी कम आते हैं।"

उन्होंने बताया कि रोबोटिक सर्जरी में 360 डिग्री घूमने वाले रोबोटिक आर्म्स और 3D कैमरे की मदद से शरीर के उन हिस्सों तक पहुंचा जा सकता है जहां इंसानी हाथों की पहुंच संभव नहीं होती।

डॉ. धर्मेंद्र अग्रवाल लंदन से प्रशिक्षित हैं और उन्होंने अब तक 700 से अधिक रोबोटिक सर्जरी सफलतापूर्वक की हैं।

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!