फोर्टिस मोहाली के डॉक्टरों ने उन्नत मैकेनिकल थ्रॉम्बेक्टॉमी के माध्यम से 68 वर्षीय स्ट्रोक मरीज की जान बचाई

Edited By Updated: 22 Jun, 2025 09:21 AM

fortis mohali doctors save life of 68 year old stroke patient

मैकेनिकल थ्रॉम्बेक्टॉमी तकनीक से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बहाल होता है और मरीज को विकलांगता या मृत्यु से बचाया जा सकता है, यह इलाज स्ट्रोक के 24 घंटे बाद तक भी असरदार होता है

चंडीगढ़। ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति है जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को अपूरणीय क्षति पहुंचाती है और लंबे समय तक विकलांगता या मृत्यु का कारण बन सकती है। हालांकि, उन्नत चिकित्सा तकनीकों के चलते अब ऐसी स्थिति में भी मरीजों की जान बचाना संभव हो गया है। चुनिंदा अस्पतालों — जिनमें फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली प्रमुख है — में यह सुविधा 24x7 उपलब्ध है। इस तकनीक ने विशेष मामलों में स्ट्रोक के 24 घंटे बाद भी गंभीर मरीजों की जान बचाने में सफलता हासिल की है।

मैकेनिकल थ्रॉम्बेक्टॉमी एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें मस्तिष्क की धमनी में कैथेटर डालकर ब्लड क्लॉट (थक्का) हटाया जाता है। यह तकनीक मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को फिर से बहाल करती है और स्ट्रोक मरीजों को विकलांगता या मृत्यु से बचाने में मदद करती है। इस प्रक्रिया से इलाज की समय-सीमा 24 घंटे तक बढ़ जाती है।

ऐसे ही एक मामले में फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के न्यूरोलॉजी कंसलटेंट डॉ. ईशांक गोयल और इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजी कंसलटेंट डॉ. विवेक अग्रवाल के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने हाल ही में 68 वर्षीय मरीज का सफल इलाज किया। मरीज को तीव्र इस्केमिक स्ट्रोक के स्पष्ट लक्षणों — बाईं ओर अचानक कमजोरी, बोलने में अस्पष्टता और चेहरे का झुकाव — के साथ अस्पताल लाया गया था। त्वरित न्यूरोइमेजिंग में मस्तिष्क की बड़ी रक्त वाहिका में रुकावट की पुष्टि हुई। इस गंभीर स्थिति में समय की संवेदनशीलता को समझते हुए फोर्टिस की न्यूरोलॉजी और न्यूरो-इंटरवेंशनल टीमों ने तुरंत उपचार शुरू किया।

डॉ. विवेक अग्रवाल ने कहा कि न्यूरो इंटरवेंशन एक मिनिमली इनवेसिव सर्जरी है, जिसमें मस्तिष्क की जटिल प्रक्रियाओं को करने के लिए खोपड़ी को खोलने की आवश्यकता नहीं होती। मस्तिष्क की रक्त वाहिका तक कमर (ग्रोइन) या कलाई में किए गए एक छोटे चीरे के माध्यम से पहुंचा जाता है, जहां स्टेंट की मदद से थक्का हटाया जाता है या कॉइल की मदद से रक्तस्राव के स्थान को बंद किया जाता है।

मैकेनिकल थ्रॉम्बेक्टॉमी के बाद मरीज को डिकंप्रेसिव क्रैनेक्टॉमी की आवश्यकता पड़ी — यह एक जटिल शल्यक्रिया है, जो मस्तिष्क में सूजन के कारण बने दबाव को कम करने के लिए की जाती है। यह जीवनरक्षक सर्जरी फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के न्यूरोसर्जरी कंसलटेंट डॉ. हरमंदीप सिंह बराड़ द्वारा कुशलतापूर्वक की गई। डॉ. बराड़ ने बताया कि समय पर की गई डिकंप्रेसिव सर्जरी मृत्यु दर को काफी हद तक कम कर सकती है और मरीज की रिकवरी को बेहतर बना सकती है।

इलाज के बाद मरीज ने त्वरित न्यूरोलॉजिकल सुधार दिखाया और अब लगभग सामान्य जीवन जी रहा है।
डॉ. गोयल ने कहा कि मैकेनिकल थ्रॉम्बेक्टॉमी जीवन के साथ-साथ मस्तिष्क को भी बचाने वाली प्रक्रिया है। यह मामला दर्शाता है कि समय पर सही निदान और समन्वित इलाज से स्ट्रोक के घातक प्रभावों को भी पलटा जा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि फोर्टिस मोहाली का 24x7 स्ट्रोक-रेडी इन्फ्रास्ट्रक्चर, एडवांसड इमेजिंग तकनीक और बहु-विषयक विशेषज्ञता इस सकारात्मक परिणाम को संभव बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

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