पी.जी.आई. न्यूरो सर्जरी डिपार्टमैंट ने दो मरीजों की रेयर सर्जरी की

Edited By Updated: 25 Sep, 2021 12:13 AM

of rare surgery

टीम में डॉ. शाल्वी, डॉ. राजीव  और डॉ. सिद्धार्थ का भी सहयोग रहा

चंडीगढ़, (पाल) : पी.जी.आई. न्यूरो सर्जरी डिपार्टमैंट ने ई.एन.टी. डिपार्टमैंट के साथ मिलकर दो मरीजों की रेयर सर्जरी की है। सर्जनों ने स्कल (खोपड़ी) को खोले बिना नाक के रास्ते ट्यूमर प्लैनम मेनिंगियोमा निकाला है। पूरे रीजन में यह पहली बार है कि इस तरह की सर्जरी हुई है। पी.जी.आई. न्यूरो सर्जरी डिपार्टमैंट से डॉ. दंडापानी एस.एस. और डॉ. रिजुनीता ने यह सर्जरी की है। टीम में डॉ. शाल्वी, डॉ. राजीव  और डॉ. सिद्धार्थ का भी सहयोग रहा। 

 


बीमारी की वजह से आंखों की रौशनी कम हो गई थी
पंजाब के रहने वाले 2 मरीज 48 साल का पुरुष और 46 साल की महिला 2 हफ्ते पहले पी.जी.आई. में आंख की रोशनी में दिक्कत आने की वजह से रैफर होकर आए थे। बीमारी की वजह से आंख की रौशनी पर काफी इफैक्ट हुआ था। मरीजों को बहुत ही कम दिखाई दे रहा था।
पी.जी.आई. पहुंचने पर एम.आर.आई. स्कैन से 3 सैंटीमीटर प्लैनम मेनिंगियोमा डायग्नोज हुआ। प्लैनम मेनिंगियोमा के कारण मरीजों के दिमाग और आंख के आसपास मौजूद कई नसें और धमनियां प्रभावित हो चुकी थी जिसकी वजह से आंख की रौशनी तक जा सकती थी। पी.जी.आई. में इस तरह के ट्यूमर्स के लिए काफी अरसे से एंडोस्कोपिक सर्जरी के जरिए नाक के रास्ते से इस तरह के छोटे ट्यूमर निकाले जा रहे हैं लेकिन प्लैनम मेनिंगियोमा जैसे मुश्किल ट्यूमर को निकालना डॉक्टर्स के लिए भी एक चुनौती थी। 


6 घंटे तक चली सर्जरी
डॉ. दंडपानी ने बताया कि करीब 6 घंटे से ज्यादा सर्जरी चली, जिसमे 2 घंटे तो इसे स्कल से सिर्फ हटाने में लगे। इस तरह की सर्जरी आमतौर पर दिमाग (खोपड़ी) के ऊपरी हिस्से को खोलकर की जाती है जिसके बाद बाकी का इलाज रेडिएशन से किया जाता है। इनमें सबसे मुश्किल काम यह होता है कि ट्यूमर दिमाग और आंखों के आसपास की छोटी छोटी नसों के साथ जुड़ चुका होता है ऐसे में उन्हें अलग करना भी काफी मुश्किल होता है। कुछ हिस्सा रह जाता है या हम पूरा नहीं हटा सकते क्योंकि इंजरी का खतरा रहता है लेकिन इस केस में दोनों ट्यूमर पूरी तरह से हटाए गए हैं। दोनों मरीज ठीक हैं।  एंडोस्कोपिक होने की वजह से मरीजों की रिकवरी जल्दी व बेहतर हुई है।

 
 4के एंडोस्कोप सिस्टम का इस्तेमाल किया  
ऑपरेशन के लिए एंडोनासल कॉरिडोर को चुना गया। नाक के जरिए सर्जरी करने पर खोपड़ी के खुलने और दिमाग के पीछे हटने से बचा जाता है। सी.टी. एंजियोग्राफी नेविगेशन का यूज हुआ, जिसमें ट्यूमर्स को अच्छी तरह स्टडी किया गया जिसके बाद सर्जरी प्लान की गई। न्यूरो सर्जरी डिपार्टमैंट में हाल ही में 4के एंडोस्कोप सिस्टम लगाया गया है। फुल एचडी के मुकाबले में  4 के सिस्टम 4 गुना अच्छे रेजोल्यूशन देता है। डॉक्टरों ने बताया कि ट्यूमर बहुत सख्त थे और उन्हें दिमाग की नसों से अलग किया गया। एंगल्ड एंडोस्कोप का यूज करते हुए ट्यूमर को रिमूव किया गया और नाक से निकाल दिया गया। ब्रेन ट्यूमर की एंडोनैसल एंडोस्कोपिक सर्जरी नाक के जरिए से दिमाग में ब्रेन फ्लूड का कारण बन सकती है।

 

नाक के अंदर से लिए गए फ्लैप का इस्तेमाल ऑपरेटिव कॉरिडोर को सील करने के लिए किया गया था। 6 घंटे की लंबी सर्जरी के बाद दोनों मरीजों में 400 मिलीलीटर से कम ब्लड लॉस हुआ। मरीजों को आई.सी.यू. में रखा गया है और वे ठीक हो रहे हैं। सी.टी. स्कैन में देखा गया है कि ट्यूमर्स पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं। यह पहला मौका नहीं है जब डॉ. दंडपानी की टीम ने कोई रेयर सर्जरी की हो। इससे पहले भी एंडोस्कोपी में कई रेयर ऑपरेशन वह कर चुके हैं, जिसमें 16 महीने के बच्चे में नाक के जरिए ट्यूमर निकालना भी है। 

 

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