Year Ender 2025: ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का पहला साल रहा विवादित, कौन से फैसले ने वैश्विक स्तर पर डाला गहरा असर

Edited By Updated: 18 Dec, 2025 08:12 PM

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डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का पहला साल (2025) वैश्विक उथल-पुथल भरा रहा। उनकी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत भारत पर 50% और चीन पर 125% तक टैरिफ लगाया गया, जिससे व्यापार युद्ध छिड़ गया। कड़े आव्रजन नियमों और H-1B वीजा प्रतिबंधों से भारतीय आईटी...

Year Ender 2025: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का पहला साल 2025 विवादों और वैश्विक अस्थिरता से भरा रहा। जनवरी 2025 में दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ट्रंप ने लगातार ऐसे फैसले लिए, जिन्होंने न केवल अमेरिका के अंदर राजनीतिक माहौल को हिला दिया, बल्कि पूरी दुनिया में आर्थिक, सामरिक और रणनीतिक असंतुलन पैदा किया।

टैरिफ से लेकर आव्रजन तक: ट्रंप के विवादित कदम
ट्रंप प्रशासन ने अपने पहले वर्ष में टैरिफ, आव्रजन नीतियों और विदेश नीति से जुड़े कई अहम फैसले लिए। इन फैसलों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था, ऊर्जा बाजार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को सीधे प्रभावित किया। ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" नीति ने पुरानी वैश्विक साझेदारियों को चुनौती दी और कई देशों को अपनी विदेश नीतियों में बदलाव करने पर मजबूर किया।

टैरिफ ने छेड़ा विश्व व्यापार युद्ध
जनवरी 2025 में ट्रंप ने कई एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स जारी किए, जिनमें सबसे प्रमुख टैरिफ नीतियां रहीं। अप्रैल में लागू किए गए "रेसिप्रोकल टैरिफ" सिस्टम के तहत अमेरिका ने सभी आयातों पर 10% यूनिवर्सल टैरिफ लागू किया। जून में स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया गया, जबकि चीन पर 125% तक टैरिफ लगाया गया। चीन ने भी अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाए, लेकिन बाद में दोनों देशों के बीच टैरिफ डील हो गई।

भारत पर 50% टैरिफ का झटका
ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया। यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा करने वाला साबित हुआ। ट्रंप के इन नीतियों का उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों को संरक्षण देना था, लेकिन वैश्विक व्यापार युद्ध की स्थिति बन गई। चीन, यूरोपीय संघ और मेक्सिको ने जवाबी टैरिफ लगाए, जिससे वैश्विक जीडीपी में लगभग 0.5% की गिरावट का अनुमान लगाया गया।

कड़े आव्रजन नियम और H-1B वीजा पर प्रतिबंध
फरवरी 2025 में ट्रंप ने "इनवेजन ऑफ एलियंस" की घोषणा कर दक्षिणी सीमा सील कर दी और एसाइलम आवेदनों पर रोक लगा दी। जून में 19 देशों से आव्रजन पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया। H-1B वीजा पर सख्त प्रतिबंधों ने भारतीय आईटी और टेक पेशेवरों पर व्यापक असर डाला। अमेरिकी कंपनियों में कुशल श्रम की कमी बढ़ी और भारतीय पेशेवरों की संख्या में 50% से अधिक गिरावट आई। ट्रंप प्रशासन की इन नीतियों को संयुक्त राष्ट्र ने "मानवाधिकार उल्लंघन" बताया।

वेनेजुएला के साथ तनावपूर्ण स्थिति
दिसंबर 2025 में ट्रंप ने वेनेजुएला के तेल उद्योग पर पूर्ण ब्लॉकेड लगा दिया। अमेरिकी नौसेना ने पूर्वी प्रशांत और कैरेबियन सागर में ड्रग तस्करी के आरोप में दर्जनों जहाजों पर हमला किया, जिसमें अब तक 99 लोग मारे गए। इस कदम से अमेरिका-वेनेजुएला संबंधों में तीव्र तनाव पैदा हुआ और वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा को खतरा बढ़ा।

भारत-अमेरिका संबंधों पर असर
ट्रंप के फैसलों का सबसे गहरा असर भारत-अमेरिका संबंधों पर पड़ा। भारत पर टैरिफ, H-1B वीजा प्रतिबंध और पाकिस्तान के प्रति ट्रंप की नरम नीति ने दोनों देशों के रणनीतिक रिश्तों में तनाव पैदा किया। भारत-पाकिस्तान संघर्ष में ट्रंप के आधारहीन मध्यस्थता दावे और BRICS देशों पर उनकी आलोचना ने विश्वास को और कमजोर किया। इसके परिणामस्वरूप भारत-अमेरिका व्यापार में 20% गिरावट आई और रक्षा सौदों में देरी हुई।

वैश्विक अस्थिरता और भविष्य की चुनौतियां
ट्रंप के पहले वर्ष में लिए गए फैसलों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर किया, आव्रजन संकट उत्पन्न किया और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों में तनाव बढ़ाया। तेल कीमतों में उछाल और व्यापार युद्ध ने वैश्विक बाजारों को प्रभावित किया। भारत-अमेरिका रिश्तों में बढ़ा तनाव इंडो-पैसिफिक रणनीति पर भी असर डाल रहा है, जहां दोनों देश चीन के खिलाफ साझेदारी में थे।

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