स्कूलों की कैंटीन में खूब परोसा जा रहा जंक फूड, बच्चे हो रहे मोटापे का शिकार

Edited By Priyanka rana,Updated: 12 Sep, 2019 11:34 AM

school canteen

शहर के स्कूलों और कॉलेजों में फिट इंडिया मूवमैंट अभियान की अनदेखी की जा रही है।

चंडीगढ़(वैभव) : शहर के स्कूलों और कॉलेजों में फिट इंडिया मूवमैंट अभियान की अनदेखी की जा रही है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नैशनल स्पोर्ट्स डे के पर देश में फिट इंडिया मूवमैंट की शुरुआत की थी और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए थे, लेकिन चंडीगढ़ के स्कूल-कॉलेजों में जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। 

जो टीचर्स बच्चों को फिट रहने के लिए बड़े-बड़े लेक्चर दे रहे थे पर अब बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है। गौरतलब है कि शहर के ज्यादातर स्कूल की कैंटीन में की व्यवस्था है और इनमें खूब जंक फूड परोसा जा रहा है। बता दें कि स्कूलों में जंक फूड को बैन किया हुआ है फिर भी स्कूलों की कैंटीनों में इसे बेचा जा रहा है।

अनीमिया की चपेट में आ रहे बच्चे :
विभाग की तरफ से बच्चों के लिए स्कूलों में जंक फूड बंद का निर्णय सेहत को देखते हुए किया था। पढऩे वाले 60 प्रतिशत बच्चे अनीमिया और 15 प्रतिशत मोटापा के शिकार थे। ये आंकड़े पी.जी.आईं. के सर्वे में दिसम्बर 2016 में सामने आए थे। 

बता दें कि जी.एम.एस.एस.एस.-21, जी.एम.एस.एस.एस.-मनीमाजरा टाऊन, डी.ए.वी. (लाहौर) आदि कई स्कूल के अलावा पी.जी.जी.सी.जी.-42 और पी.जी.जी.सी.-46 कॉलेजों की कैंटीनों में फास्ट फूड खूब बेचा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार शिक्षा विभाग के सर्कुलर के बाद स्कूलों ने बच्चों को जंकफूड देना शुरू किया है। कारण बच्चों की जिद्द है। क्योंकि जूस और मिल्क शेक की कीमत 20 रुपए से शुरू होती है, जबकि समोसा, पकौड़े 10 रुपए आ जाते हैं।

100 सरकारी स्कूलों में हैं कैंटीन :
गौरतलब है कि शहर के 100 स्कूलों में कैंटीन हैं। जो शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए टैंडर के जरिए ये चलाई जा रही है। यहां स्टूडैंट्स के लिए हल्का-फुल्का फूड के अलावा टीचर्स के लिए चाय, समोसा, पकौड़े आदि का भी विशेष व्यवस्था है। 

सरकारी स्कूलों में बच्चों के बीच जंक फूड की अच्छे से सप्लाई हो रही है। वहीं प्राइवेट स्कूलों में भी इन नियमों धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कैंटीनों में समोसा के अलावा पेस्ट्री, पेटिज, हॉटडॉग, बर्गर, ब्रैड रोल/पकौड़ा, नूडल्स खूब बेचे जा रहे हैं।

मापदंड़ों पर खरे नहीं उतर रहे स्कूल :
सैंट्रल बोर्ड ऑफ सैकेंडरी एजुकेशन (सी.बी.एस.ई.) ने अपने मानदंड में साफ कहा है कि स्कूलों में कैंटीन जरूरी है। ये सिर्फ टीचर्स के लिए होगी। कैंटीन में चाय और नाश्ते का इंतजाम होगा। लेकिन स्कूलों में यह ट्रैंड बदल चुका है। टीचर्स के साथ स्टूडैंट्स भी कैंटीन का इस्तेमाल करते हैं।

2017 में जारी हुआ था सर्कुलर :
तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर राजेंद्र कौर ने अप्रैल 2017 में विशेष सर्कुलर जारी किया था। इन कैंटीनों में जंकफूड नहीं बेचा जाएगा, लेकिन बावजूद कैंटीन में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। हालांकि विभाग ने कहा था कि बच्चों को बिस्कुट, शेक और जूस दिया मिलेगा।

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