जानें क्यों छिना सुखना लेक का सुख

Edited By Updated: 09 Sep, 2025 01:37 AM

sukhna lake water management will be done with the help of ioh

अब की जा रही प्रबंधन की तैयारी, प्रशासन ने आई.ओ.एच. से मांगी मदद सुखना के ओवरऑल डैवलेपमैंट के सुझाव देंगे इंस्टीच्यूट ऑफ हाईड्रोलॉजी के वैज्ञानिक

चंडीगढ़ : सुखना के  अस्तित्व में आने के बाद इस साल ये स्थिति पहली बार सामने आई है कि एक ही साल में 10 बार लेक के फ्लडगेट खोलने पड़े हैं। इसकी वजह साफ है कि सुखना की वाटर होल्डिंग कैपेसिटी लगातार कम होती जा रही है। सुखना में हर बरस आने वाली गाद और रेत को नहीं निकाला गया। 


इस साल की गर्मियों में तो सुखना के कैचमेंट एरिया में रेत को रोकने के लिए बने सिल्ट डिटैंशन स्ट्रक्चर यानी चैकडैम भी साफ नहीं किए गए। सुखना की इन तमाम अनदेखियों के बाद  अब चंडीगढ़ प्रशासन ने सुखना को बचाने की तैयारी शुरू की है। प्रशासन ने सुखना की ओवरऑल डैवलेपमेंट का मैनेजमेंट प्लान तैयार करने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (आई.ओ.एच.)  की मदद लेने का फैसला किया है। प्रशासन ने इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलाजी से सुखना के लिए मैनजमेंट का प्लान तैयार करने में मदद मांगी है। 


दो-दो आई.आई.टी. की रिपोर्ट पर कोई अमल नहीं
पिछले डेढ़ दशक से आई.आई.टी. दिल्ली और रूढ़की की सुखना को बचाने के लिए भेजी गई स्ट्डी रिपोर्ट को भी नजरअंदाज कर दिया गया। 2011 में दोनों ही आई.आई.टी. ने कैचमेंट एरिया में मिट्टी का कटाव रोकने के साथ इसी एरिया में रेत और गाद को सुखना तक पहुंचने से पहले रोकने का सुझाव दिया था। कैचमेंट एरिया में पेड़ों और ऐसी झाड़ियों को लगाना जरूरी बताया गया था जो मिट्टी का कटाव रोके। कैचमेंट एरिया के जंगल वाले पहाड़ी वाले एरिया के साथ आई.आई.टी. की रिपोर्ट में निचले हिस्से में कांसल और सकेतड़ी गांवों में हुए शहरीकरण के प्रभाव से सुखना को बचाने के तुरंत प्रबंधन की सिफारिश की गई लेकिन कोई ज्यादा काम नहीं हुआ। इसलिए, दोनों ही आई.आई.टी. ने सुखना की साइंटिफिक डिसिल्टिंग की जरूरत बताई थी ताकि सुखना की पुरानी पानी को रोकने की क्षमता को बहाल किया जाता। 


सुखना का 5 फीट हिस्सा रेत से भरा
सुखना की गहराई 16 फीट के आसपास है जो अब कम होकर 10 से 11 फीट रह गई है। यानी सुखना में 5 फीट रेत और गाद भर चुकी है। यानी सुखना का निचला हिस्सा ही 5 फीट ऊपर आ गया है। यही वजह है कि सुखना की पानी को रोकने की क्षमता लगातार कम हो रही है। इस बार अगस्त और सितंबर में ही 10 बार फ्ल्ड गेट खोलने पड़े क्योंकि जलस्तर हर तीसरे दिन खतरे के निशान पर पहुंच रहा था। इस मानसून सीजन 1000 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश जरूर हो चुकी है लेकिन 2008, 2018 और 2023 में इससे भी ज्यादा बारिश होने पर सुखना के गेट 2 से 4 दफा ही खोलने पड़े।


18 बरस से नहीं निकली सिल्ट, इस बार चैकडैम भी खाली नहीं किए
प्रशासन 2008 तक सुखना की सफाई के लिए सरकारी और सामूहिक स्तर पर अभियान चलाए गए। सुखना की सफाई के लिए कार सेवा तक भी हुई लेकिन पिछले 18 साल से रेत निकालने के लिए कोई कारगर प्रयास नहीं हुए। हर साल कैचमेंट एरिया में रेत रोकने के लिए बने चैकडैम साफ किए जाते थे लेकिन इस बार एक भी चैकडैम से पिछले बरसात आई रेत और गाद को साफ नहीं किया गया। नतीजा ये हुआ कि जून महीने में हुई प्री मानसून की बारिश से रेत सीधे सुखना में पहुंच चुकी थी। मानसून की बरसात में तो इस साल की अप्रत्याशित भारी बारिश के साथ और रेत नेपली और कांसल फॉरैस्ट से झील में आई।

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