महर्षि पतंजलि ने बताया योग से जुड़ा ऐसा Fact, हर किसी के लिए जानना ज़रूरी

Edited By Updated: 25 Jan, 2020 05:37 PM

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योग एक ऐसी साधना है वो जितनी बोलने में आसान लगती है, उतनी ही करने में कठिन है। कुछ लोग इसे आध्यात्मिक रूप से भी जोड़ते हैं।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
योग एक ऐसी साधना है वो जितनी बोलने में आसान लगती है, उतनी ही करने में कठिन है। कुछ लोग इसे आध्यात्मिक रूप से भी जोड़ते हैं। बहुत से लोगों का कहना है कि इसके द्वारा ईश्वर को पाया जा सकता है। परमात्मा को छूने के लिए ये इसलिए उपयोगी मानी जाती हैं, क्योंकि इससे व्यक्ति का मन एकाग्र हो जाता है। और जब कोई व्यक्ति एकाग्रता से योग करता है तो वो कहीं न कहीं परमात्मा को छू पाने में सफल हो ही जाता है, ऐसा लोकमत है। परंतु वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार योग न तो आस्तिक है न ही नास्तिक। असल में ये एक विज्ञान है, जो ईश्वर के बारे में मौन ही रहता है। 
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इसके बारे में अगर योग के प्रथम आचार्य पतंजलि का उल्लेख देखें तो बहुत अच्छे से ईश्वर से संबंधित इस प्रसंग का वर्णन किया है। इनका मानना है कि ईश्वर के जरिए परम सत्य तक पहुंचा जा सकता है। विश्वास करना एकमात्र उपाय है। जिसके द्वारा हम प्रार्थना से जुड़ सकते हैं। और अगर हम प्रार्थना दिल से करते हैं तो समर्पण खुद ब खुद संभव हो जाता है। ईश्वर प्राणिधान है और विश्वास केवल एक मार्ग है। ईश्वर तक पहुंचने के और रास्ते भी हैं। ज़रूरत है उनके तलाशने की। आइए जानें इससे जुड़ा एक प्रसंग जहां आप जानेंगे कि ईश्वर को कैसे पाया जा सकता है। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार पतंजलि कभी इनकार नहीं करते, कभी अनुमान नहीं लगाते। कठिन ये समझना है कि बुद्ध कैसे परम सत्य को प्राप्त कर सके। जबकि उन्होंने कभी ईश्वर में विश्वास नहीं किया। बहुत से लोगों के लिए यह विश्वास करना कठिन है कि महावीर मोक्ष को प्राप्त हुए, क्योंकि उन्होंने तो कभी ईश्वर में विश्वास ही नहीं किया।

कहा जाता है पूर्वी धर्मों के प्रति सचेत होने से पहले, पश्चिमी विचारकों ने धर्म को हमेशा ईश्वर केंद्रित परिभाषित किया। जब वे पूर्वी विचारधारा के संपर्क में आए, तो उन्होंने इस बात का पता लगााया कि पता चला कि सत्य तक पहुंचने के लिए एक और मार्ग है। मगर वो ईश्वर से रहित है। 
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योग के अनुसार व्यक्ति साधनों से बंधा नहीं है, साधन हजारों हैं। हर किसी का सत्य ही लक्ष्य है। जिसे कईयों ने ईश्वर के द्वारा इसे प्राप्त किया। परंतु बहुत से लोग इस पर विश्वास नहीं करते तो भी ठीक है। 

योग किसी तरह का धर्म नहीं है और बल्कि ये एक तरह मार्ग दिखाता है, जो संभव हैं। योग वो सारे नियम दिखा रहा है, जो तुम्हारे लिए कार्य करते हैं।  ईश्वर उन्हीं मार्गों में से एक है। अगर हम ईश्वर के बिना हों, तो हमारा अधार्मिक होना ज़रूरी नहीं है। हम भी उन तक पहुंच सकते हैं।

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