पांडव मूर्ति पूजा और मंदिर दर्शन से क्यों रहते थे दूर? जानें महाभारत से जुड़ा अनसुना सच

Edited By Updated: 03 Dec, 2025 02:41 PM

pandavas temple visit mystery

महाभारत काल के धर्मपरायण चरित्रों, विशेषकर पांडवों, के बारे में यह बात जानना चौंकाने वाला हो सकता है कि वे आमतौर पर मंदिरों में जाकर पूजा करने या मूर्तिपूजा करने पर ज़्यादा ज़ोर नहीं देते थे।

Mahabharata Story: महाभारत काल के धर्मपरायण चरित्रों, विशेषकर पांडवों, के बारे में यह बात जानना चौंकाने वाला हो सकता है कि वे आमतौर पर मंदिरों में जाकर पूजा करने या मूर्तिपूजा करने पर ज़्यादा ज़ोर नहीं देते थे। धर्म के मार्ग पर चलने वाले पांडवों का ध्यान बाहरी आडंबरों से ज़्यादा कर्म, धर्म और आंतरिक भक्ति पर केंद्रित था और उनके जीवन के गहरे दार्शनिक सिद्धांत, वैदिक परंपराओं का पालन और सबसे महत्वपूर्ण, स्वयं भगवान कृष्ण का सान्निध्य था। तो आइए जानते हैं महाभारत से जुड़े इस अनसुने सच को की आखिर क्यों पांडवों का ध्यान बाहरी आडंबर से हटकर कर्म और आंतरिक भक्ति पर केंद्रित था।

Mahabharata Story

वैदिक परंपरा और यज्ञों की प्रधानता
पांडवों का समय वैदिक परंपरा के प्रभाव में था। वैदिक काल में, ईश्वर की आराधना का मुख्य रूप यज्ञ और मंत्रों के उच्चारण के माध्यम से होता था। उस समय भव्य मंदिर बनाकर मूर्तिपूजा का प्रचलन उतना व्यापक नहीं था जितना बाद के युगों में हुआ। पांडवों ने राजसी दायित्व के तौर पर बड़े-बड़े यज्ञ किए, जैसे राजसूय और अश्वमेध यज्ञ। उनके लिए, अग्नि में आहुति देना और वैदिक मंत्रों का उच्चारण करना ही ईश्वर तक पहुंचने का प्रमुख और शुद्ध मार्ग था।

Mahabharata Story

भगवान कृष्ण का सान्निध्य और कर्मयोग
पांडवों को स्वयं भगवान कृष्ण का सान्निध्य प्राप्त था, जो उनके मित्र, सारथी और गुरु थे। जब साक्षात ईश्वर उनके साथ हर पल मौजूद थे, तब उन्हें बाहरी मूर्ति या मंदिर में ईश्वर को खोजने की आवश्यकता नहीं थी। पांडवों का जीवन कर्मयोग के सिद्धांत पर आधारित था, जिसका उपदेश कृष्ण ने गीता में दिया। उनके लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना ही सबसे बड़ी और सच्ची पूजा थी। युद्ध हो या वनवास, उन्होंने अपने कर्म को ही धर्म का आधार माना।

ईश्वर हृदय में हैं की गहरी भावना
पांडवों का मानना था कि ईश्वर किसी एक स्थान या मूर्ति में सीमित नहीं है, बल्कि वह हर प्राणी के हृदय में और पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त है। वनवास और अज्ञातवास के दौरान, उनके पास भव्य मंदिरों तक पहुंचने या उनका निर्माण करने की सुविधा नहीं थी। इसलिए, उन्होंने एकांत साधना और भगवान के नाम स्मरण को अपनी भक्ति का माध्यम बनाया, जो बाहरी दिखावे से दूर था।

Mahabharata Story

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!