Adi Vinayaka Temple: आदि विनायक मंदिर जहां हाथी नहीं, मानव मुख वाले गणेश जी हैं विराजमान

Edited By Updated: 28 Aug, 2025 05:00 AM

adi vinayaka temple

Adi Vinayaka Temple: भारत में भगवान गणेश को समर्पित कई चमत्कारिक मंदिर हैं। हर मंदिर का पौराणिक महत्व है। तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले में स्थित गणेश मंदिर भी अपनी  खासियत और पौराणिक महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यह अन्य मंदिरों से अलग है।...

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Adi Vinayaka Temple: भारत में भगवान गणेश को समर्पित कई चमत्कारिक मंदिर हैं। हर मंदिर का पौराणिक महत्व है। तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले में स्थित गणेश मंदिर भी अपनी  खासियत और पौराणिक महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यह अन्य मंदिरों से अलग है। जहां हर मंदिर में भगवान गणेश गज यानी हाथी के मुख सहित विराजमान हैं, वहीं इस मंदिर में भगवान की पूजा इंसानी मुख वाले रूप में की जाती है।

भगवान शंकर ने क्रोधित होकर जब गणेश जी की गर्दन काट दी तो बाद में उनको गज का मुख लगा दिया गया। यही कारण है कि हर मंदिर में भगवान गणेश की गज रूप वाली प्रतिमा ही स्थापित है, लेकिन आदि विनायक मंदिर अलग है। गज मुख लगाए जाने से पहले भगवान का चेहरा इंसान का था, इसलिए विनायक मंदिर में उनके इस रूप की पूजा होती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रसिद्ध आदि विनायक मंदिर में भगवान राम ने पितरों की आत्मा की शांति के लिए भगवान गणेश की पूजा की थी। जब भगवान राम किसी और स्थल पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा कर रहे थे, तो उनके रखे चार चावल के लड्डू कीड़ों के रूप में बदल गए थे।
जब बार-बार पूजा करने पर ऐसा ही होने लगा तो भगवान राम ने शिवजी से इसका हल जानने की कोशिश की। उन्होंने भगवान राम को आदि विनायक मंदिर में विधिपूर्वक पूजा करने की सलाह दी। इसके बाद भगवान राम ने पितरों की शांति के लिए यहां पूजा की।

मान्यता है कि पूजा के दौरान चावल के चार पिंड शिवलिंग बन गए। ये चारों  शिवलिंगआदि विनायक मंदिर के पास मौजूद शिव मंदिर मुक्तेश्वर में स्थापित हैं, जिनकी पूजा की जाती है। भगवान राम द्वारा आदि विनायक मंदिर में महाराजा दशरथ और अपने पूर्वजों के लिए किए गए पिंडदान के बाद से यहां देश के कोने-कोने से लोग अपने पूर्वजों की शांति के लिए आने लगे।

यही वजह है कि इस मंदिर को तिलतर्पणपुरीभी कहा जाता है। तिलतर्पणपुरी दो शब्दों से मिलकर बना है, तिलतर्पण अर्थात पूर्वजों के तर्पण से सम्बंधित और पुरी का अर्थ है नगर। इस प्रकार इस स्थान को पूर्वजों के मोक्ष और मुक्ति का नगर कहा जाता है। पितरों की शांति के लिए पिंडदान नदी के किनारे किया जाता है लेकिन धार्मिक अनुष्ठान मंदिर के अंदर ही होते हैं।

यहां माता सरस्वती का भी मंदिर स्थापित है। प्राचीन कवि ओट्टकुठार ने देवी के इस मंदिर की स्थापना की थी। भगवान गणेश के दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालु माता सरस्वती के दर्शन भी अवश्य करते हैं।

कैसे पहुंचें ?
तिरुवरुर शहर मुख्यालय से आदि विनायक मंदिर की दूरी लगभग 22 किलोमीटर है। नजदीकी हवाईअड्डा तिरुचिरापल्ली में है, जो लगभग 110 कि.मी. दूर है। इसके अलावा चेन्नई हवाईअड्डे से इस स्थान की दूरी लगभग 318 कि.मी. है। तिरुवरुर रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 23 कि.मी. की दूरी पर है। तंजावुर के माध्यम से यहां से तमिलनाडु के लगभग सभी शहरों के लिए रेल सुविधा उपलब्ध है। सड़क मार्ग से भी यहां पहुंचना आसान है क्योंकि यह तमिलनाडु के सभी बड़े शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

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