Edited By ,Updated: 21 Apr, 2015 08:42 AM
* इस दिन समुद्र या गंगा स्नान करना चाहिए।
* प्रात: पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल तथा
* इस दिन समुद्र या गंगा स्नान करना चाहिए।
* प्रात: पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल तथा वस्त्र का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देनी चाहिए।
* ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
* इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए।
* आज के दिन नवीन वस्त्र, शस्त्र, आभूषणादि बनवाना या धारण करना चाहिए।
* नवीन स्थान, संस्था समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन भी आज ही करना चाहिए।
शास्त्रों में अक्षय तृतीया
* इस दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है।
* इसी दिन श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं।
* नर-नारायण ने भी इसी दिन अवतार लिया था।
* वृंदावन के श्री बांकेबिहारी जी के मंदिर में केवल इसी दिन श्रीविग्रह के चरण-दर्शन होते हैं अन्यथा पूरा वर्ष वस्त्रों से ढंके रहते हैं।
इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है।
नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था।
ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था।
पंडित ‘विशाल’ दयानंद शास्त्री