Ashadha Gupt Navratri 2022- 8 जुलाई तक रखें इन बातों का ध्यान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jun, 2022 08:31 AM

ashadha gupt navratri

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आषाढ़ गुप्त नवरात्र 11 जुलाई से शुरू हो गए हैं जो 18 जुलाई को सम्पन्न होंगे। गुप्त नवरात्रि में भी मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ashadha Gupt Navratri 2022- आज आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू हो गए हैं, जो 8 जुलाई को सम्पन्न होंगे। गुप्त नवरात्रि में भी मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। माता रानी के भक्त निराहार या फलाहार रह कर मां दुर्गा की आराधना करते हैं। घर और मंदिर में कलश स्थापना की जाती है। 

PunjabKesari Ashadha Gupt Navratri

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें

गुप्त नवरात्रि के दौरान मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। मां स्वयं एक नारी हैं इसलिए नारी का सदैव सम्मान करना चाहिए। जो नारी का सम्मान करते हैं, मां दुर्गा उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं। इस दौरान घर पर क्लेश, द्वेष या अपमान नहीं करना चाहिए। स्वच्छता का विशेष ध्यान करना चाहिए। 

PunjabKesari Ashadha Gupt Navratri

Ashadha Navratri significance: नौ दिनों तक मां दुर्गा का पूजन करना 
देवी सती ने महादेव को अपने दस रूपों से अवगत कराया था। ये दस महाविद्याएं हैं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्तिका, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगला मुखी, मातंगी और कमला देवी। मां दुर्गा त्रिगुण सम्पन्न हैं और इनकी तीन प्रकृति की पूजा की जाती है: महाकाली तमोगुण, महालक्ष्मी रजोगुण और महासरस्वती सतोगुण। जो शक्ति इन तीनों गुणों को एक साथ धारण करती है उन्हें ही तीनों लोक श्रद्धा पूर्वक पूजते हैं। 

PunjabKesari Ashadha Gupt Navratri

गुप्त नवरात्र की अवधि को सिद्धि प्राप्ति का समय माना जाता है। इसीलिए यह प्रमुख रूप से साधुओं और तांत्रिकों का नवरात्र माना जाता है। साधक चातुर्मास में होने वाली आपदा-विपदा से रक्षा के लिए मां जगदम्बा से आग्रह करते हैं। गुप्त नवरात्र में देवी मां की शक्ति पूजा के नियम-विधान कठिन होते हैं, इसीलिए यदि करें तो नियमों का पालन जरूर करें।

दुर्गा सप्तशति का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। दुर्गा सप्तशति के पाठ में दुर्गा कवच, अर्गला स्तोत्र व कीलक का पाठ अनिवार्य अंग है। नौ स्वरूपों में पहला शैलपुत्री, दूसरा ब्रह्माचारिणी, तीसरा चंद्रघटा, चौथा कूष्मांडा, पांचवां स्कंदमाता, छठा कात्यायनी, सातवां कालरात्रि, आठवां महागौरी और नौवां सिद्धि दात्री का वर्णन मिलता है। चाहे सामान्य नवरात्र हों या गुप्त, देवी आराधना के पूजा, व्रत चंडी पाठ एवं कुमारी पूजन का विशेष महत्व है परन्तु इसमें भी अष्टमी तिथि की रात्रि का विशेष महत्व है। तंत्र साधक भी इसी दिन अपनी साधना पूर्ण करते हैं तथा अपने मंत्र को सिद्ध करते हैं। 

PunjabKesari Ashadha Gupt Navratri

 

 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!