Edited By Jyoti,Updated: 14 Apr, 2020 02:00 PM
प्रत्येक वर्ष देश में बाबा साहेब भीमराव की जयंती को बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। आज यानि 14 अप्रैल का दिन हर भारतीय के लिए अलग ही महत्व रखता है
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प्रत्येक वर्ष देश में बाबा साहेब भीमराव की जयंती को बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। आज यानि 14 अप्रैल का दिन हर भारतीय के लिए अलग ही महत्व रखता है। इन्होंने भारत के संविधान के साथ साथ विकसित और आधुनिक भारत के निर्माण के लिए काफी उपयोगी सुझाव दिए थे। इन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ताके रूप में भी काम किया। इन्होंने ही भारत में दलित बौद्ध आंदोलन चलाया। परंतु इस बार बाबा साहेब के जन्म का ये खास दिन धूम धाम से नहीं मनाया जाएगा। इसका कारण है कोरोना वायरस। जो धीरे-धीरे फैलता जा रहा है। इसके फैलाव को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन की जो अवधि आज तक थी उसे बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया। बता दें लॉकडाउन की स्थिति में लोगों की घर से बाहर निकलने पर पांबदी होती है। अब क्योंकि इस बार अंबेडकर जयंती को धूम धाम से मना पाना संभव नहीं है इसलिए हम आपके लिए लाएं इनके द्वारा बताई गई कुछ ऐसी खास बातें जो आपके लिए उपयोगी साबित हो सकती हैं।
भारतीय संविधान के निर्माता बी.आर अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। वह एक ऐसे शख्स थे जिन्होंने न सिर्फ संविधान का निर्माण किया बल्कि देश के सबसे बड़े बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कहा जाता है उस समय में सांझे किए गए इनके विचार आज तक अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। बल्कि कहा जाता हे इनके विचार ही आधुनिक भारत की नींव में काफी उपयोगी साबित हो रहे हैं। आइए जानते हैं इनके द्वारा दिए गए अनमोल विचार-
मैं ऐसे धर्म को मानता हूं। जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।
किसी भी व्यक्ति को अच्छा दिखने के लिए नहीं बल्कि अच्छा बनने के लिए जीना चाहिए।
कभी भी किसी से बदला लेने की नहीं सोच न रखें बल्कि बदलाव लाने की सोच को पैदा करें।
हमें जो स्वतंत्रता मिली हैं उसके लिए क्या कर रहे हैं? यह स्वतंत्रता हमें अपनी सामाजिक व्यवस्था को सुधारने के लिए मिली हैं। जो असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरी हुई है, जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष करती है।
सफल क्रांति के लिए यह आवश्यक नहीं है कि असंतोष हो। बल्कि आवश्यक है न्याय, आवश्यकता, राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों के महत्व पर गहन और गहन का विश्वास।
अंबेडकर जी का कहना था कि मैं एक समुदाय की प्रगति को उस प्रगति की डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है।
पानी की बूंद जब सागर में मिलती है तो अपनी पहचान खो देती है। इसके विपरीत जब व्यक्ति समाज में रहता है पर अपनी पहचान नहीं खोता। क्योंकि इंसान का जीवन स्वतंत्र है। वो सिर्फ़ समाज के विकास के लिए पैदा नहीं हुआ बल्कि स्वयं के विकास के लिए भी जन्मा है।
आधुनिक विकसित भारत के लिए सभी धर्मों को एक होना पड़ेगा।
इतिहास गवाह है जब नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष हुआ है वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हो।
धर्म पर आधारित मूल विचार व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास के लिए एक वातावरण बनाना अनिवार्य है।