Bhai Dooj Yamuna Vishram Ghat Snan: यमलोक के भय से बचना है तो भाई दूज पर भाई-बहन करें इस घाट पर स्नान

Edited By Updated: 23 Oct, 2025 06:50 AM

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Bhai Dooj Yamuna Vishram Ghat Snan: भाई दूज का पर्व दीपावली के दो दिन बाद कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है। इस दिन का प्रमुख केंद्र यमुना नदी और विशेष रूप से मथुरा का विश्राम घाट माना गया है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भाई दूज के दिन यमुना...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Bhai Dooj Yamuna Vishram Ghat Snan: भाई दूज का पर्व दीपावली के दो दिन बाद कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है। इस दिन का प्रमुख केंद्र यमुना नदी और विशेष रूप से मथुरा का विश्राम घाट माना गया है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भाई दूज के दिन यमुना स्नान और तिलक संस्कार का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भाई-बहन यदि यमुना में एक साथ स्नान करें, तो उन्हें पापों से मुक्ति, दीर्घायु और समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है।

Bhai Dooj Yamuna Vishram Ghat Snan
शास्त्रों का संदेश है कि भाई दूज के दिन यमुना में स्नान करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है, भाई-बहन के संबंधों में अटूट प्रेम बना रहता है और यमराज का भय समाप्त होता है इसलिए यमुना के विश्राम घाट पर स्नान केवल परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण और कर्म शुद्धि का प्रतीक है।

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पौराणिक कथा – यमराज और यमुना का मिलन
स्कंद पुराण, पद्म पुराण और गरुड़ पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, सूर्यदेव की संतान यमराज और यमुना देवी भाई-बहन थे। यमुना अपने भाई को बार-बार घर आने का निमंत्रण देती थी परंतु यमराज अपने कर्मों में व्यस्त रहते थे। एक दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अपनी बहन के घर पहुंचे। यमुना ने स्नान कराया, तिलक किया और प्रेमपूर्वक भोजन कराया। यमराज इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने कहा – “जो भी बहन-भाई, भाई दूज के दिन यमुना नदी में स्नान करेगा और अपनी बहन से तिलक कराएगा, उसे यमलोक का भय नहीं रहेगा।”

तब से भाई दूज के दिन यमुना स्नान और तिलक संस्कार का विधान शास्त्रों में स्थापित हो गया।

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विश्राम घाट क्यों है सबसे पवित्र स्थान
मथुरा का विश्राम घाट वह पवित्र स्थल है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध के बाद विश्राम किया था। इसी कारण इसे विश्राम घाट कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, यह स्थान यमुना तट का सर्वश्रेष्ठ और सिद्ध स्थल है। भाई दूज के दिन हजारों श्रद्धालु यहां स्नान करते हैं, क्योंकि यहीं पर यमुना और यमराज के पवित्र मिलन का स्मरण किया जाता है।

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पुराणों में उल्लेख है: “यमुना स्नानं तु द्वितीयायां कृतं येन तेन मुक्तिः सर्वपापेभ्यः।”
अर्थात- कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना में स्नान करने वाला व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होता है।

वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्व
हिंदू धर्म केवल आस्था नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़ा जीवन दर्शन है। यमुना स्नान केवल धार्मिक कर्म नहीं बल्कि शरीर और मन की शुद्धि का प्रतीक है। कार्तिक माह में जब सर्दी आरंभ होती है, उस समय नदी स्नान से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही, भाई-बहन के एक साथ स्नान करने का अर्थ है संबंधों की पवित्रता और समरसता का संदेश देना।

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