इस कुंड की तीन बूंदों से मिट जाती है प्यास, जानें क्या है भीम कुंड का रहस्य

Edited By Updated: 23 Jun, 2021 05:42 PM

bheem kund madhya pradesh

हमारे देश में ऐसे कई मंदिर व धार्मिक स्थल हैं जिनसे जुड़ी ऐसी-ऐसी मान्यताएं हैं जो इन स्थलों को खास बनाती हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे भीम कुंड के नाम से जाना जाता है।

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हमारे देश में ऐसे कई मंदिर व धार्मिक स्थल हैं जिनसे जुड़ी ऐसी-ऐसी मान्यताएं हैं जो इन स्थलों को खास बनाती हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे भीम कुंड के नाम से जाना जाता है। बता देें भीमकुंड नामक ये कुंड मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। मध्यप्रदेश के निवासियों के अनुसार हिंदू धर्म के प्राचीन शास्त्रों व वेदों में इस कुंड का वर्णन है। इनके मुताबिक जब महाभारत के पांच पांडव अपना वनवास जीवन व्यतीत कर रहे तब भीम ने अपनी गदा को ज़मीन पर मारकर इस कुंड का निर्माण किया था। यही कारण है आज तक इस कुंड के अथाह और विशाल जल होने के पीछे का कारण जान नहीं पाया। यहां तक कि वैज्ञानिक तक इसका रहस्य जानने में असफल हो गए हैं।

कहां है भीम कुंड-
छतरपुर ज़िले से 80 कि.मी. दूरी पर दुर्गम पहाड़ियों के बीचो-बीच प्रकृति की अनोखी छटा में स्थित भीम नामक कुण्ड वह स्थान जिसका उल्लेख महाकाव्य ग्रंथ महाभारत में किया गया है। वैसे तो हम में से बहुत से लोग इस भीम कुंड की गाथा जानते होंगे। मगर हम दावे के साथ कह सकते हैं इस जगह को आज तक किसी ने देखा नहीं होगा। बता दें वेदों में वर्णित इस जगह को लोगों ने बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में खोज निकाला है। इस कुंड के बारे में कहा जाता है जब पांच पांडवों का बनवास हुआ तो वनवास के समय द्रौपदी को असहनीय प्यास लगी और वह पांचों भाइयों से पानी की मांग करने लगी। मगर पहाड़ियों पर और जंगलों में पानी मिलना एक कल्पना मात्र था। पांचों भाईयों में से नकुल, सहदेव ज्योतिष के अच्छे ज्ञानी थे। उन्होंनें भीम को इसी पहाड़ी क़ि चोटी पर अथाह पानी के होने का बताया। इतना सुनते ही भीम ने अपनी गदा से यहां पर प्रहार किया पहाड़ी पर गदा मारते ही विशाल जल निकलने लगा जिससे उनकी द्रौपदी ने अपनी प्यास बुझाई।

यहां के लोगों का कहना है सतयुग में भीम द्वारा पहाड़ी पर गदा से किए प्रहार का निशान आज भी बने हुए हैं। पहाड़ी की चोटी पर आज भी एक छेद है जो भीम की गदा की निशानी है। जल क़ा ये अनोखा नज़ारा जमीन से 200 मीटर गुफा के द्वारा रास्ता तय करने के बाद दिखाई देता है। वेदों के जानकर इस जगह को पांडवों के वनवास की कर्म स्थली बताते हैं। सतयुग में भीम के गदा से निकला अथाह जल का विशाल भंडार कलियुग में भी लोगों के लिए कोतुहाल का विषय बना हुआ है। कई बार स्थानीय लोगों के साथ साथ गोताखोरों ने इस जलाशय की जड़ तक जाने की कोशिश की लेकिन वे इस अद्भुत जल के छोड़ तक नहीं पहुंच पाए।
 

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