Edited By Sarita Thapa,Updated: 19 Dec, 2025 01:12 PM
हिंदू धर्म में दैनिक पूजा-पाठ न केवल आध्यात्मिक शांति का मार्ग है, बल्कि यह हमारे जीवन में अनुशासन और शुद्धता का संचार भी करती है।
Daily Puja Tips : हिंदू धर्म में दैनिक पूजा-पाठ न केवल आध्यात्मिक शांति का मार्ग है, बल्कि यह हमारे जीवन में अनुशासन और शुद्धता का संचार भी करती है। पूजा करते समय हम कई तरह की सामग्रियों का उपयोग करते हैं, लेकिन अक्सर हमारे मन में यह दुविधा रहती है कि क्या हर चीज एक ही बार इस्तेमाल की जा सकती है या कुछ ऐसी वस्तुएं भी हैं जिन्हें हम दोबारा पूजा की थाली में सजा सकते हैं। शास्त्रों में शुद्धता के कड़े नियम बताए गए हैं। जहां कुछ चीजें एक बार उपयोग के बाद 'निर्माल्य' हो जाती हैं और उन्हें दोबारा चढ़ाना वर्जित माना गया है, वहीं कुछ विशेष वस्तुएं ऐसी भी हैं जो अपनी पवित्रता कभी नहीं खोतीं। पूजा की विधि और नियमों का सही ज्ञान होने से न केवल हमारी पूजा सफल होती है, बल्कि हम अनजाने में होने वाली गलतियों से भी बच जाते हैं। तो आइए जानते हैं कि किन पूजा सामग्रियों को हम जल से शुद्ध कर पुनः उपयोग में ला सकते हैं और किन वस्तुओं का नया होना ही अनिवार्य है।
जिन्हें आप दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं
गंगाजल
गंगाजल कभी बासी नहीं होता। इसे आप कितने भी समय तक रखकर पूजा में इस्तेमाल कर सकते हैं।
तुलसी के पत्ते
तुलसी के पत्तों को एक बार भगवान को अर्पित करने के बाद, उन्हें धोकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। माना जाता है कि तुलसी के पत्ते 7 से 11 दिनों तक बासी नहीं होते।
बेलपत्र
भगवान शिव को प्रिय बेलपत्र भी दोबारा चढ़ाया जा सकता है। यदि ताजा बेलपत्र न मिले, तो चढ़े हुए बेलपत्र को जल से शुद्ध करके पुनः अर्पित करना शास्त्र सम्मत है।
धातु के बर्तन और मूर्तियां
पीतल, तांबा या चांदी के पात्र और मूर्तियों को हर दिन शुद्ध जल से स्नान कराकर पुनः उपयोग किया जाता है।
धूप-दीप के स्टैंड
इन्हें प्रतिदिन साफ करके इस्तेमाल किया जा सकता है।

जिन्हें दोबारा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
पुष्प और माला
एक बार भगवान को अर्पित किए गए फूल अगले दिन बासी (निर्माल्य) हो जाते हैं। इन्हें हटाकर नए और ताजे फूल ही चढ़ाने चाहिए।
अक्षत
यदि पूजा के दौरान चावल का उपयोग हो चुका है, तो उसे दोबारा पूजा में न रखें। बचे हुए चावल को पक्षियों को डाल देना चाहिए।
दीपक की बाती
एक बार जल चुकी रुई की बाती का दोबारा उपयोग नहीं करना चाहिए। हर बार नई और स्वच्छ बाती का ही प्रयोग करें।
नैवेद्य
भगवान को अर्पित किया गया भोजन या फल 'प्रसाद' बन जाता है। उसे दोबारा भोग के रूप में नहीं चढ़ाया जाता, बल्कि भक्तों में बांट देना चाहिए।
बची हुई सामग्री का क्या करें?
यदि पूजा के बाद रोली, अक्षत या मौली जैसी सामग्री बच जाए, तो उन्हें फेंकने के बजाय इस तरह उपयोग करें।
रोली/कुमकुम
विवाहित महिलाएं इसे अपनी मांग में लगा सकती हैं या घर के मुख्य द्वार पर तिलक लगाने के काम ला सकती हैं।
सूखे फूल
चढ़ाए हुए सूखे फूलों को इधर-उधर फेंकने के बजाय गमले की मिट्टी में डाल दें, यह खाद का काम करेंगे।
कलश का जल
पूजा के कलश के जल को पूरे घर में छिड़कें और बाकी जल तुलसी या किसी पौधे में डाल दें।

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