Rules For Roti : क्यों रात का बासी आटा बन जाता है तामसिक? शास्त्रों से जानिए सच्चाई

Edited By Updated: 18 Dec, 2025 10:32 AM

rules for roti

भारतीय रसोई में रोटी केवल पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि परिवार के स्वास्थ्य और संस्कारों का प्रतीक मानी जाती है। अक्सर समय की कमी के कारण हम रात को ही आटा गूंथकर फ्रिज में रख देते हैं, ताकि सुबह का काम आसान हो सके।

Rules For Roti : भारतीय रसोई में रोटी केवल पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि परिवार के स्वास्थ्य और संस्कारों का प्रतीक मानी जाती है। अक्सर समय की कमी के कारण हम रात को ही आटा गूंथकर फ्रिज में रख देते हैं, ताकि सुबह का काम आसान हो सके। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे घर के बड़े-बुजुर्ग ताजे आटे की रोटी बनाने पर इतना जोर क्यों देते थे। सनातन शास्त्रों और आयुर्वेद के अनुसार, गूंथकर रखा गया बासी आटा तामसिक ऊर्जा का केंद्र बन जाता है। तामसिक का अर्थ है वह ऊर्जा जो शरीर में आलस्य, प्रमाद और नकारात्मक विचारों को जन्म देती है। धर्म ग्रंथों में इसके पीछे न केवल आध्यात्मिक कारण बताए गए हैं, बल्कि इसके पीछे एक गहरा वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक आधार भी छिपा है।

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पिंड से तुलना: एक गहरा धार्मिक कारण
शास्त्रों के अनुसार, जब हम आटे को गूंथकर एक गोला बनाकर रख देते हैं, तो उसकी आकृति पिंड के समान हो जाती है। पिंड का अर्पण पितरों या मृत आत्माओं के लिए किया जाता है। माना जाता है कि फ्रिज में रखा वह आटे का गोला घर में नकारात्मक ऊर्जाओं या अतृप्त आत्माओं को आकर्षित करता है। आपने देखा होगा कि घर की बुजुर्ग महिलाएं आटा गूंथने के बाद उस पर अपनी उंगलियों के निशान बना देती हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि वह पिंड न लगे और साधारण खाने योग्य आटा बना रहे।

तामसिक भोजन का प्रभाव
फेंगशुई, आयुर्वेद और हिंदू शास्त्रों के अनुसार भोजन तीन प्रकार का होता है: सात्विक, राजसिक और तामसिक। ताजे गूंथे आटे में जीवन ऊर्जा होती है। लेकिन जब आटा रात भर रखा रहता है, तो उसमें सड़न या फर्मेंटेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। ऐसा भोजन तामसिक श्रेणी में आता है। तामसिक भोजन करने से व्यक्ति के स्वभाव में आलस्य, गुस्सा, चिड़चिड़ापन और सुस्ती बढ़ने लगती है। इससे मानसिक शांति भंग होती है।

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आयुर्वेद और वैज्ञानिक नजरिया
शास्त्रों के साथ-साथ विज्ञान और आयुर्वेद भी बासी आटे को सेहत के लिए ठीक नहीं मानते:

बैक्टीरिया का पनपना
गीले आटे में बहुत जल्दी रासायनिक बदलाव होते हैं। फ्रिज के ठंडे तापमान के बावजूद उसमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं।

पाचन की समस्या
बासी आटे की रोटियां भारी होती हैं, जिससे गैस, कब्ज और पेट से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।

पोषक तत्वों की कमी
ताजे आटे की तुलना में बासी आटे में पोषक तत्व और प्राकृतिक मिठास खत्म हो जाती है।

रसोई के लिए कुछ खास नियम
उतना ही गूंथें जितनी जरूरत हो या कोशिश करें कि हर समय ताजा आटा ही गूंथें। यदि किसी कारणवश आटा रखना भी पड़े, तो उस पर उंगलियों के गहरे निशान जरूर बना दें ताकि वह पिंड की आकृति न ले। शास्त्रों में कहा गया है कि जैसा अन्न, वैसा मन। इसलिए घर में सुख-शांति के लिए हमेशा ताजा और शुद्ध भोजन ही बनाना चाहिए।

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