Chaiti Chhath 2024: उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चैती छठ पूजा संपन्न

Edited By Prachi Sharma,Updated: 16 Apr, 2024 08:08 AM

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राजधानी दिल्ली में बिहार व पूर्वाचल के रहने वाले हजारों लोगों ने धूमधाम व पूरी धार्मिक निष्ठा के साथ चैती छठ पूजा मनाया। सोमवार को उदयगामी सूर्य को 36 घंटे के उपवास के साथ छठ व्रतियों ने अर्घ्य दिया। इसी

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नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स):  राजधानी दिल्ली में बिहार व पूर्वाचल के रहने वाले हजारों लोगों ने धूमधाम व पूरी धार्मिक निष्ठा के साथ चैती छठ पूजा मनाया। सोमवार को उदयगामी सूर्य को 36 घंटे के उपवास के साथ छठ व्रतियों ने अर्घ्य दिया। इसी के साथ चैती छठ का समापन हुआ। इसके बाद व्रती छठ व्रत का पारण कर अपना कठिन व्रत को खत्म किया। आईटीओ स्थित यमुना घाट से लेकर दिल्ली के कोने-कोने में स्थित पार्कों के छठ घाटों पर पूर्वांचलवासियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर आराधना की।

छठ महापर्व हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे नवरात्रि की तरह ही साल में दो बार मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार पहला छठ पूजा चैत माह में होता है और दूसरा कार्तिक महीने में मनाया जाता है। हालांकि कार्तिक माह का छठ पूजा बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश के घर-घर में मनाया जाता है, लेकिन चैती छठ महापर्व को ज्यादातर वही पूर्वांचलवासी मनाते हैं, जिन्होंने मन्नत मांगी हो और मन्नत पूरा होने पर चैती छठ पूजा को मनाया जाता है। छठ पूजा अब तो देशभर में आयोजित होता है, लेकिन विशेषकर झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे हिस्सों में इसकी धूम देखने को मिलती है। छठ पूजा मुख्य रूप से भगवान भास्कर की उपासना का पर्व है। 

मान्यता है कि छठ व्रत करने से छठी मईया और भगवान भास्कर की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। छठ पर्व संतान, सुहाग और घर-परिवार के सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य, सुख और खुशहाली के लिए किया जाता है। छठ व्रत में पारंपरिक गीतों और ठेकुआ प्रसाद का भी विशेष महत्व होता है। चार दिन के छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय होता है, दूसरे दिन खरना होता है, तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत संपन्न होता है।
 

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