Chaitra Navratri Day 8: महागौरी की उपासना से मिलेगी हर पाप से मुक्ति

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Apr, 2024 07:03 AM

chaitra navratri day 8

मां दुर्गा का आठवां स्वरूप महागौरी है। अपने इस रूप में मां आठ वर्ष की हैं इसलिए नवरात्रि की अष्टमी को कन्या पूजन की

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Navratri 8th Day Mahagauri: मां दुर्गा का आठवां स्वरूप महागौरी है। अपने इस रूप में मां आठ वर्ष की हैं इसलिए नवरात्रि की अष्टमी को कन्या पूजन की परंपरा है। धर्मिक मान्यताओं के अनुसार महागौरी की उपासना से इंसान को हर पाप से मुक्ति मिल जाती है। आइए जानें देवी के इस स्वरूप का विशेष महत्व...

Who is Mahagauri and what is her importance? कौन हैं महागौरी और क्या है इनका महत्व
नवदुर्गा का आठवां स्वरूप हैं महागौरी। भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इन्होंने कठोर पूजा की थी। जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनको दर्शन देकर मां का शरीर कांतिमय कर दिया। तब से इनका नाम महागौरी पड़ा। माना जाता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए महागौरी की पूजा की थी। महागौरी श्वेत वर्ण की हैं और सफेद रंग में इनका ध्यान करना बहुत लाभकारी होता है। विवाह संबंधी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है।
ज्योतिष में इनका संबंध शुक्र ग्रह से माना जाता है।

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How to worship Mahagauri कैसे करें महागौरी की पूजा
महागौरी की पूजा पीले कपड़े पहन कर करें। मां के सामने दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें। फिर मां को सफेद या पीले फूल चढ़ाएं और उनके मंत्रों का जाप करें। मध्य रात्रि में इनकी पूजा की जाए तो परिणाम ज्यादा शुभ होंगे।

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अष्टमी के दिन मां को नारियल का भोग लगाएं। नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी। महागौरी की कृपा से बीमारियां दूर होती हैं। देवी के इस स्वरूप की आराधना से मधुमेह और हारमोंस की समस्या दूर होती है। आंखों की हर समस्या से छुटकारा मिलता है। हर तरह के सुख की प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

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मां की उपासना सफेद कपड़े पहनकर करें। मां को सफेद फूल और सफेद मिठाई चढ़ाएं और उन्हें इत्र भी अर्पित करें। पहले देवी महागौरी के मंत्र का जाप करें। फिर शुक्र के मूल मंत्र 'ॐ शुं शुक्राय नमः' का जाप करें। मां को अर्पित किया हुआ इत्र अपने पास रख लें और इसका इस्तेमाल करते रहें।

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नवरात्रि नारी शक्ति के और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है।
इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को पूजने और भोजन कराने की परंपरा भी है।
हालांकि नवरात्रि में हर दिन कन्याओं के पूजा की परंपरा है लेकिन अष्टमी और नवमी को कन्याओं की पूजा जरूर की जाती है।
2 वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या की पूजा का विधान बताया है।
अलग-अलग उम्र की कन्या देवी के अलग अलग रूप को दर्शाती है।

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महागौरी को दूध से भरी कटोरी में रखकर चांदी का सिक्का अर्पित करें।
इसके बाद मां से धन के बने रहने की प्रार्थना करें।
सिक्के को धोकर हमेशा के लिए अपने पास रख लें।

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Mantras of Maa Mahagauri मां महागौरी के मंत्र
Puja mantra पूजा मंत्र

श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बराधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।
ओम देवी महागौर्यै नम:।।

Meditation mantra ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वीनाम्।।
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थिता अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्। वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्।
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्। मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्।।
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कतं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्। कमनीया लावण्या मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्।।

Kavach mantra कवच मंत्र
ओंकार: पातुशीर्षोमां, हीं बीजंमां ह्रदयो। क्लींबीजंसदापातुन भोगृहोचपादयो।।
ललाट कर्णो हूं बीजंपात महागौरीमां नेत्र घ्राणों। कपोल चिबुकोफट् पातुस्वाहा मां सर्ववदनो।।

Special solution for worshiping Maa Mahagauri मां महागौरी की पूजा का खास उपाय 
यदि किसी जातक के दांपत्य जीवन में कलह घर कर गई है, तो महागौरी की पूजा से उसे विशेष लाभ होगा। महागौरी की साधना से सभी प्रकार के विवाद एवं गृह क्लेश दूर होते हैं। ऐसे में तेल या घी का दीपल जलाएं। दीपक मिट्टी का लें। उसके बाद 5 राई के दाने लेकर माता महागौरी पूजा मंत्र का जाप करते हुए पूरे घर में घुमाएं। उसके बाद उन राई के दानों को जलते हुए दीपक में डाल दें। दीपक को माता के आगे से उठाकर घर से दूर किसी कचरे के डब्बे के पास ले जाकर रख दें। फिर लौट कर घर आ जाएं। घर आते वक्त पीछे मुड़कर न देखें।

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Maa Mahagauri's favorite offering मां महागौरी का प्रिय भोग
मां दुर्गा के आठवें रूप को माता महागौरी कहा जाता है। नवरात्रि के आठवें दिन यानि महाअष्टमी के दिन माता महागौरी की पूजी होती है। माता महागौरी वृषभ की सवारी करती हैं। उनका स्वरूप अत्यंत सौम्य है। माता की चार भुजाएं हैं। जो भक्त माता महागौरी की पूजा करते हैं, मां उन पर सदा अपनी कृपा बरसाती है। माता गौरी को नारियल और नारियल से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। आप माता को नारियल से बनी बर्फी का भोग लगा सकते हैं। 

Story of Maa Mahagauri मां महागौरी की कथा
मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को लेकर दो पौराणिक कथाएं काफी प्रचलित हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद मां पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या करते समय माता हजारों वर्षों तक निराहार रही थी, जिसके कारण माता का शरीर काला पड़ गया था। वहीं माता की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और माता के शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दिया, माता का रूप गौरवर्ण हो गया। जिसके बाद माता पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया।

आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी 
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य 
9005804317

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